कवि को "नीलकंठ" बनने की साधना करनी ही पड़ती है - इसे मैंने जाना समय के साथ पन्त, दिनकर, निराला, प्रसाद , नीरज, महादेवी, जैसे लोगो की कविताओं के मध्य से गुजरते हुए. बीच में अचानक इस साधना में विराम हुआ, पर उन्होंने जन्म लिया कई नामों में खुद को साधित किया, जिसमें एक नाम पंकज सुबीर जी का भी है ; दर्द की खरीद फरोख्त ज़िन्दगी को तराशती है, पंकज जी ने बहुतों को तराशा है...शुभकामनायें
रविकान्त जी के भूमिका-आलेख को पढ़ने के बाद इस कविता को सुनना और भी प्रीतिकर है ! अत्यन्त मूल्यवान गीत की प्रस्तुति ! पंकज जी को पहली बार सुनना भी इस उत्सव का ऋण है मेरे ऊपर ! आभार !
सुबीर की लेखनी के आगे तो मेरे शब्द ही स्माप्त हो जाते है इतनी गहरी संवेदनायें शब्दों मे ढालने की कला कोई सुबीर से सीखे। इस पर आवाज इतनी कर्ण्प्रिय है कि रचना को सजीव कर देती है सुन्दर गीत के लिये सुबीर को बधाई आपका धन्यवाद।
aise karyakram se apsi bhaichargi ke sath sath lekhkiye mitrata bhi badhti hai aur kuch sikhne samjhne ka suawsar bhi prapt hota hai. is mahotsaw ki saflta ke leye hardik mangal kamnayen. aur mahotsaw men lage mitron ko hardik badhai Arun kumar jha www.drishtipatmagazine.blogspot.com www.drishtipat.com
13 comments:
कवि को "नीलकंठ" बनने की साधना करनी ही पड़ती है - इसे मैंने जाना समय के साथ पन्त, दिनकर,
निराला, प्रसाद , नीरज, महादेवी, जैसे लोगो की कविताओं के मध्य से गुजरते हुए. बीच में अचानक इस साधना
में विराम हुआ, पर उन्होंने जन्म लिया कई नामों में खुद को साधित किया, जिसमें एक नाम पंकज सुबीर जी का भी
है ;
दर्द की खरीद फरोख्त ज़िन्दगी को तराशती है, पंकज जी ने बहुतों को तराशा है...शुभकामनायें
बहुत हृदयस्पर्शी गीत है दर्द बेचता हूँ...पंकज सुबीर जी को बधाई
पहली बार सुना है, जाना कि दर्द में भी मिठास हो सकती है।
बहुत खूब..उत्सव अपने शवाब पर है...बधाइयाँ !!
गुरुवर के मधुर गीत ने समा बाँध दिया है .... ये उत्सव ग़ज़ब की दिशा ले रहा है ..
रविकान्त जी के भूमिका-आलेख को पढ़ने के बाद इस कविता को सुनना और भी प्रीतिकर है ! अत्यन्त मूल्यवान गीत की प्रस्तुति ! पंकज जी को पहली बार सुनना भी इस उत्सव का ऋण है मेरे ऊपर ! आभार !
इस तरह की कविता का अलग महत्व है, यह हमारे सोंदर्यबोध को धक्का गेती है, उसे तोड़ती है। इसीलिए ऐसी कविताओं का अपना एक अलग महत्व है।
सुबीर की लेखनी के आगे तो मेरे शब्द ही स्माप्त हो जाते है
इतनी गहरी संवेदनायें शब्दों मे ढालने की कला कोई सुबीर से सीखे। इस पर आवाज इतनी कर्ण्प्रिय है कि रचना को सजीव कर देती है सुन्दर गीत के लिये सुबीर को बधाई आपका धन्यवाद।
aise karyakram se apsi bhaichargi ke sath sath lekhkiye mitrata bhi badhti hai aur kuch sikhne samjhne ka suawsar bhi prapt hota hai.
is mahotsaw ki saflta ke leye hardik mangal kamnayen. aur mahotsaw men lage mitron ko hardik badhai
Arun kumar jha
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आनन्द आ गया पंकज मास्साब की आवाज में उम्दा काव्यपाठ सुन कर. रविकान्त जी की भूमिका भी बहुत पसंद आई.
दर्द भरी फिर भी बहुत सुन्दर रचना और वैसा ही मधुर गायन!
गुरुदेव की आवाज़ में अद्भुत गीत और रवि द्वारा किया गया वर्णन....अहहः...आनद नहीं तो और क्या आएगा...धन्य हुए हम...
नीरज
अद्भुत रचना ! पंकज जी को बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं .....
---डा.रमा द्विवेदी
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