...मैंने जब ब्लोगोत्सव-२०१० की परिकल्पना की और इस दिशा में कार्य कैसे किया जाए इस पर काफी विचार मंथन कर रहा था , तब रश्मि प्रभा जी ने अपने सुझाव-सहयोग से मुझे संबल दिया . यदि मैं कहूं कि आज यह उत्सव पूरे चरम पर है तो इसका काफी श्रेय रश्मि प्रभा जी को जाता है !साहित्यिक गतिविधियों में सर्वाधिक अग्रणी महिलाओं में से एक रश्मि जी की कविताएँ देश-विदेश की बहुचर्चित पत्रिकाओं में शुमार हो चुकी है .'अनमोल संचयन' ३१ कवियों का काव्य-संग्रह इनके संपादन में निकला ,जिसका विमोचन डॉ बालस्वरूप राही जी ने किया. इनके काव्य-संग्रह 'शब्दों का रिश्ता ' , जिसका विमोचन प्रख्यात चित्रकार इमरोज़ जी ने किया .यू.के.से निकलनेवाली पत्रिका 'पुरवाई' में इनकी रचनाएँ प्रकाशित है
. 'हिन्दयुग्म'पर पॉडकास्ट कवि सम्मलेन , गीतों भरी कहानी का प्रस्तुतीकरण के अतिरिक्त रश्मि जी हिंदी चिट्ठाजगत में भी अपनी सार्थक उपस्थिति रखती हैं . परिकल्पना ब्लॉग उत्सव के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत है रश्मि जी के द्वारा प्रेषित -

!! उत्सवी स्वर !!


प्रकृति के सुकुमार कवि की परिकल्पनाओं की धरती पर
हुआ है नीड़ का निर्माण फिर
बच्चन की मधुशाला के शाश्वत अर्थ को
मिला है एक सम्पूर्ण आधार
खोल आकाशीय द्वार
महादेवी की तरह कहा है सबसे
'जो तुम आ जाते एक बार '
लोगों की हर आहट पर
बावरा मन देखता है एक सपना
पृष्ठ दर पृष्ठ
अमिट यादों का सैलाब
इससे अपूर्व समुद्र मंथन और क्या होगा !
कलयुग के चक्र को भी
शब्दों, विचारों , भावनाओं ने घुमा दिया है
सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग
ठगे से इसका कर रहे हैं अवलोकन
इन्द्रधनुषी छटा बिखरी है सर्वत्र...
रचनाकार , गीतकार, संचालक , अतिथि
सब है एकाकार !
नीलम प्रभा के लिखे गीत के ये बोल जीवंत हो उठे हैं
'सब ऋषि मुनि आशीष दे रहे
हनुमंता चंवर डोलावत हैं'
सुप्त अवस्था में पड़ी सरस्वती की वीणा
झंकृत हो उठी है
आडम्बरों से दूर इस अलौकिक उद्यान में
देवता भी आशीर्वचन लिख रहे हैं
इस आयोजन के हर संचालक को
मुक्त विस्तार दे रहे हैं...
अपनी भाषा, अपने देश की हर गरिमा
हर परिवेश को हमने पढ़ा और जाना है
' विश्व बंधुत्व' का शंखनाद किया है
हमारी कल्पना ,परिकल्पना का
है यह अविस्मरनीय उत्सव
चलो मिलकर गायें
नए स्वर नए विश्वास का आगाज़ लिए ..........
'मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा '



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14 comments:

M VERMA ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 6:38 pm बजे

'मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा '
रश्मि जी की यह मंसा विश्व बन्धुत्व की परिकल्पना को उजागर करते हुए ब्लागोत्सव 2010 'परिकल्पना' के स्वर के अनुरूप है. ब्लागोत्सव का भी तो स्वर यही है.

alka mishra ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 6:46 pm बजे

रश्मि प्रभा जी को मैं इस सुन्दर रचना के लिए साधुवाद नहीं दूंगी बल्कि हमारे परिकल्पना ब्लागोत्सव के मर्म को आकर्षक परिभाषा देने के लिए सादर धन्यवाद देना चाहूंगी
और उनके अपार सहयोग को तो रवीन्द्र जी ने रेखांकित कर ही दिया है
ये ब्लागोत्सव एकता की ताकत का परिचय तो दे ही रहा है ,पुरे देश के नगीनों को एक ही माला में पिरो भी रहा है

mala ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 8:16 pm बजे

तारीफें जितनी की जाए कम है ...इस आयोजन से निश्चय ही ब्लॉग जगत धन्य हो गया है ....इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिल रही है की टिपण्णी करना हम भूल जा रहे हैं ....आनंद आ गया इस उत्सव में शामिल होकर !

पूर्णिमा ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 8:26 pm बजे

प्रयास सराहनीय है !

pran sharma ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 8:35 pm बजे

RASHMI PRABHA JEE SAHITYA KSHERA MEIN JAANAA-
MAANAA NAAM HAI.UNKEE HAR RACHNA MUJHE BHAATEE
HAI.YAH RACHNA BHEE BHAA GAYEE HAI.SAHAJ
BHAVABHIVYAKTI HO RACHNAA KISKO NAHIN BHAAYEGEE?

राज भाटिय़ा ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 9:06 pm बजे

रश्मि जी बहुत सुंदर ओर सराहनीय प्रयास किया आप ने धन्यवाद

सुनील गज्जाणी ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 9:33 pm बजे

Regarding didi, saadar pranam,
jane aisi kya baat hai aap jaha bhi haath lagati hai wa sona ban jata hai .. maa saraswti ki anukampa yhi bani rahe.
saadar

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 26 अप्रैल 2010 को 11:19 pm बजे

चलो मिलकर गायें
नए स्वर नए विश्वास का आगाज़ लिए ..........
'मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा '


रश्मि जी ,
बहुत खूबसूरत है आपकी ये रचना..उत्सव का स्वर...बस यूँ ही स्वर मिलते रहें ...

निर्मला कपिला ने कहा… 27 अप्रैल 2010 को 5:38 am बजे

रश्मि जी को इस प्रयास के लिये बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ।

Himanshu Pandey ने कहा… 27 अप्रैल 2010 को 5:59 am बजे

ब्लॉगोत्सव की संवेदना को सक्षमता से अभिव्यक्त करती रचना !
रश्मि जी की इस रचना का स्वर ही मुख्यतः इस उत्सव का स्वर है ! आभार !

रेखा श्रीवास्तव ने कहा… 27 अप्रैल 2010 को 12:37 pm बजे

रश्मि जी,

बहुत सुन्दर रचना है, उससे सुंदर हैं स्वर. इस ब्लोगोत्सव में चार चंद लगा दिए. ये उत्सव तो एकदम से ब्लॉग महोत्सव बन जाएगा पूर्ण होते होते. सब को बहुत बहुत बधाई.

Urmi ने कहा… 27 अप्रैल 2010 को 3:59 pm बजे

बहुत ख़ूबसूरत रचना प्रस्तुत किया है आपने! इस सराहनीय प्रयास के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें!

रोहित ने कहा… 27 अप्रैल 2010 को 8:04 pm बजे

मिले सुर मेरा तुम्हारा
तो सुर बने हमारा '
WAASTAV ME AAJ ISKI SAARTHAKTA DEKH MAN PRAFULLIT HO GAYA!!!!!1

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 1 मई 2010 को 2:24 pm बजे

Blog utsav pe Rashmi di ke utsavi sur...........sach me sur mil raha hai.........:)
aur di ke suro ka kya kahna.........wo to Pen ki bhasha bolte hain.........:D jisko ek baar me padhna hota hai........!!

 
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