!! उत्सव गीत !!
कल्पना का सूर्य मन पर छा गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
मातृभाषा की सजा कर अल्पना,
रंग भरने को चली परिकल्पना,
भारती के गान गाना आ गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
मानसिकता को जगाने के लिए,
ज्ञान की सरिता बहाने के लिए,
अब हमें उत्सव मनाना आ गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
रश्मियों ने रूप हिन्दी का निखारा
सूर, तुलसीदास ने इसको सँवारा,
शब्द के पौधे उगाना आ गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
आरती के थाल अब सजने लगे,
तार वीणा के मधुर बजने लगे,
वन्दना अब गुनगुनाना आ गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
रचयिता: डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
स्वर: श्रीमती अमर भारती
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17 comments:
वाह डॉ. भावनाओं और सच्चाई का अद्भुत काव्य स्वरूप आपके शब्दों में निखर कर आया है। विशेष बधाई।
शब्द और आवाज़ दोनों के अभूतपूर्व संयोजन के साथ आज के कार्यक्रम का समापन
पूरा दिन उत्सवी रहा.........
पूरी टीम को बधाई
मातृभाषा की सजा कर अल्पना,
रंग भरने को चली परिकल्पना,
भारती के गान गाना आ गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है ....
बहुत सुंदर रचना ...
बहुत सुन्दर भाव से रची सुन्दर कविता ...बधाई
बेहतरीन। लाजवाब।
ब्लॉगोत्सव 2010 की बधाई स्वीकार करें!
अच्छा है भाई.. ब्लॉग उत्सव.. ब्लॉग न बहुतों को अपनी बात बेबाकी से कहने का बिंदास मौक़ा उपल्बध कराया है। बधाई...
सत्यनारायण पटेल
बिजूका लोक मंच, इन्दौर
bizooka2009.blogspot.com
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव 2010 की
बधाई के साथ-साथ
मेरा स्वर एवं इनका गीत
सम्मिलित करने के लिए आभार!
ब्लॉगोत्सव के लिए
रचा गया बहुत अच्छा और प्रभावशाली गीत!
इसे गाया भी
बहुत अच्छे ढंग से गया है!
--
रंग-रँगीला जोकर
माँग नहीं सकता न, प्यारे-प्यारे, मस्त नज़ारे!
--
संपादक : सरस पायस
परिकल्पना ब्लॉग-उत्सव का यह गीत पढ़कर/सुनकर सखद अनुूति हुई !आभार ।
आरती के थाल अब सजने लगे,
तार वीणा के मधुर बजने लगे,
वन्दना अब गुनगुनाना आ गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
वाह जी ! बहुत सुन्दर रचना है !
बहुत प्यारा गीत..बधाई.
nishchit taur pe behad kaamyaab rachana....gunguna utha ise .... :)
sadar
aatish
कल्पना का सूर्य मन पर छा गया है।
अलख हमको भी जगाना आ गया है।।
बहुत सुन्दर भाव एवं बहुत सुन्दर स्वर साधुवाद!
वाह वाह...
बहुत बहुत बहुत ....ही सुन्दर गीत लिखा है शास्त्री जी...
और गायन भी बहुत मधुर...
कवि और गायिका दोनों को बहुत बहुत बधाई....
आद. अमर भारती जी के स्वर में रुपचन्द्र जी का गीत सुनना बहुत अच्छा लगा, बधाई.
ांअवाज और गीत दोनो बहुत ही अच्छे लगे। धन्य्7ावाद्
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