अविनाश वाचस्पति हिंदी ब्लॉग जगत के सर्वाधिक सक्रिय और लोकप्रिय चिट्ठाकारों में से एक हैं , वे दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक हैं और भारतीय जन संचार संस्थान से 'संचार परिचय', तथा हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम पूरा किया है। साहित्यकार होने के साथ-साथ वे साहित्य, फ़िल्म और समाज से जुड़ी अनेक संस्थाओं के प्रबंधक पद पर काम कर चुके हैं।

उन्होंने लगभग सभी साहित्यिक विधाओं में लेखन किया है परंतु व्यंग्य, कविता एवं फ़िल्म पत्रकारिता में प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। उनकी रचनाएँ भारत तथा विदेश से प्रकाशित लगभग सभी प्रमुख हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं तथा उनकी कविताएँ चर्चित काव्य संकलनों में संकलित की गई हैं। इस अवसर पर प्रस्तुत है उनका एक व्यंग्य-

 
व्यंग्य:
!!जब चूहे बोलेंगे खूब राज खोलेंगे !!
()अविनाश वाचस्पति


चूहे ने कंप्यूटर के आविष्कार के साथ ही माउस के नाम से कंप्यूटर नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। इस पर इनका कब्जा अब भी बरकरार है। इस क्षेत्र में उनकी थोड़ी-सी पैठ अब टचस्क्रीन के आने से टूटती लग रही है, पर इसकी गति बहुत धीमी है। आप सोच रहे होंगे कि धीमा ही सही, पर कब्जा कम तो हो रहा है, परंतु इंसान को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि यदि एक क्षेत्र में चूहे की धाक कम हो रही है तो दूसरी ओर एक नया ही रास्ता हम चूहों के लिए ओपन करने में जुटे हुए हैं।

आपने वह खबर पढ़ ही ली होगी कि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने ऐसे चूहे तैयार कर लिए हैं, जो मनुष्य की भाषा में बात करेंगे। अब चूहे अगर बोलेंगे तो भेद सारे खोलेंगे ही। चूहे घर में हर समय घूमते रहते हैं, इसलिए उनसे कोई भी चीज छिपी नहीं रहती है। आपको उनका पता हो या पता हो, पर वे आपके बारे में पूरी जानकारी रखते हैं। आपकी रसोई में क्या पक रहा है, आपके बाथरूम में क्या हो रहा है, आपके बैडरूम में कौन सो रहा है, वे जानते तो सब पहले से ही हैं, लेकिन अब तक वे इस जानकारी को जाहिर नहीं कर पाते थे, क्योंकि वे बोल नहीं पाते थे।

लेकिन अब हम इंसान ही ऐसे चूहे बनाने में जुट गए हैं, जो हमारी भाषा में ही बात करेंगे। शोध पर विश्वास करें तो इसमें हमें सफलता मिल रही है। चूहे अगर मनुष्य की बोली में बात करेंगे तो चैनल वाले उन्हें इंटरव्यू के लिए जरूर बुलाएंगे। चर्चित लोगों के घरों में रहने वाले चूहों की चैनलों में डिमांड बहुत बढ़ जाएगी।सच का सामनाजैसे खूब सारे कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे, क्योंकि चूहे पूरी शिद्दत से सच का सामना करवाएंगे।

जब भेद चूहों ने ही उगलना है तो मेहनताना भी उन्हें ही मिलेगा और ताने मिलेंगे सच छिपाने वालों को। ऐसे-ऐसे रहस्य सामने आएंगे कि हम आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। चूहे ये भी बतलाएंगे कि किसकी नालियों में कितने कॉकरोच रहते हैं, कितनी गंदगी है और उस गंदगी से भी अधिक किसके मन में कितना अधिक मैल है। घर में कितनी संख्या में नोटों की गड्डियां धरी हैं।

अभी तो एक मधु कोड़ा पकड़ा गया है। जब चूहे बोलने लगेंगे तो आप देखिएगा कि रोजाना कितने ही मधु कोड़ा पकड़े जाएंगे। जब चूहे बात कर सकेंगे तो फिर मोबाइल फोन भी चाहेंगे। लेकिन इन्हें स्वयं मोबाइल फोन खरीदने की जरूरत ही नहीं होगी। रात को आप अपने सिरहाने रखकर सोएंगे और ये उसे उठाकर मनमाफिक नंबर मिलाएंगे, क्या पता कब किस से बतियाएंगे।

इन्हें मोबाइल के बिल से क्या? इन्हें तो अपना बिल प्यारा होता है। मोबाइलधारक को अपना मोबाइल का बिल भी दुश्मन लगता है, बल्कि यूं कहना चाहिए कि इंसान को सभी प्रकार के बिल पीड़ा ही देते हैं। बातें तो सब खूब करते हैं, बिजली भी जलाते हैं, पानी भी बहाते हैं, कैड्रिट कार्ड का भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बिल मिलने पर जेब कटती प्रतीत होती है।

एक चूहा ही है, जिसे अपने बिल से खूब प्यार होता है। उधर, खुफिया एजैंसियों में भी चूहों का ही बोलबाला होगा और कुत्तों का मुंह काला होगा, क्योंकि तब एजैंसियों को डॉग स्क्वाड की जरूरत ही कहां रह जाएंगी! चूहे ही राज खोल देंगे। आप देखना कि जब चूहे बोलेंगे तो मनुष्य की बोलती ही बंद हो जाएगी।

() () ()

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14 comments:

Shiv ने कहा… 17 अप्रैल 2010 को 1:17 pm बजे

अद्भुत व्यंग है.
धन्यवाद देता हूँ श्री रबीन्द्र प्रभात जी को, जिन्होंने हमें यहाँ तक पहुँचाया.यह उत्सव यूं ही चलता रहे और हमें अच्छी रचनाएँ पढने को मिलें, यही कामना है.

रश्मि प्रभा... ने कहा… 17 अप्रैल 2010 को 1:44 pm बजे

अविनाश वाचस्पति जी .... वे साहित्य जगत के
महारथी हैं ...........
उनके हर वाणों को देखा है मैंने , लक्ष्य , निशाना --- अद्भुत !

mala ने कहा… 17 अप्रैल 2010 को 4:21 pm बजे

अद्भुत व्यंग ...

पूर्णिमा ने कहा… 17 अप्रैल 2010 को 4:23 pm बजे

यह उत्सव यूं ही चलता रहे और हमें अच्छी रचनाएँ पढने को मिलें, यही कामना है.

गीतेश ने कहा… 17 अप्रैल 2010 को 4:26 pm बजे

बढ़िया है अविनाश जी, धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा… 17 अप्रैल 2010 को 6:54 pm बजे

अहा!! गज़ब मार है इस व्यंग्य की..अविनाश जी की कलम को प्रणाम!!

dr amit jain ने कहा… 18 अप्रैल 2010 को 2:03 am बजे

वाह चुहा व्यंग्य उवाच के लिए आप को मुक्त कंठ से बधाई

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा… 18 अप्रैल 2010 को 7:54 am बजे

अद्भुत व्यंग .....धन्यवाद

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 19 अप्रैल 2010 को 9:54 pm बजे

धन्‍यवाद तो चूहे जी का, जो कंप्‍यूटर पर भी चमत्‍कार दिखलाता चलता है। इंसानी शोध का विषय बनता है। व्‍यंग्‍यकारों के व्‍यंग्‍य में उछलता है, कूदता है, मचलता है - ऊंगलियों के काम वो अपनी मूंछों से करता है। (एक नई खोज)

Crazy Codes ने कहा… 20 अप्रैल 2010 को 10:03 am बजे

chuhe shri kee ye satta chalti hi rahegi...

Narendra Vyas ने कहा… 20 अप्रैल 2010 को 1:25 pm बजे

ek aur sateek vyanga baan shree avinash ji ke tuneer se. Vaise choohon ke bolne se sach to saamne aayenge lekin scintists ke liye ek nai chunauti khadi ho jaayegi aur vo hai anti-human vaxine banaane kee. Kyonki jis tarah choohon se plague failtaa hai usee tarah jab choohe bolne lagenge to jaahir hai bahut jyaada unke sansarg me aayenge to unko bhee insaano kee jhooth bolne kee mahaamaari se bachane ke liye anti-human vaxine kee to jaroorat to padegi hee...
BAHUT HEE KARAARA VYANGY...BADHI AUR AABHAR !!

rashmi ravija ने कहा… 22 अप्रैल 2010 को 8:46 pm बजे

बहुत ही सटीक व्यंग्य....चूहे बोलेंगे फिर तो कोई राज़ ही राज़ नहीं रहेगा...और चूहों का ही साम्राज्य होगा सर्वत्र

Shah Nawaz ने कहा… 12 जून 2010 को 10:45 am बजे

:-)

वाह अविनाश जी, क्या बात ही!!!!! बहुत ही ज़बरदस्त व्यंग.

 
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