मैं मुकेश कुमार सिन्हा झारखंड के धार्मिक राजधानी यानि देवघर (बैद्यनाथ धाम) का रहने वाला हूँ! वैसे तो देवघर का नाम बहुतो ने सुना भी न होगा, पर यह शहर मेरे दिल मैं एक अजब से कसक पैदा करता है, ग्यारह ज्योतिर्लिंग और १०८ शक्ति पीठ में से एक है, पर मेरे लिए मेरा शहर मुझे अपने जवानी की याद दिलाता है, मुझे अपने कॉलेज की याद दिलाता है और कभी कभी मंदिर परिसर तथा शिव गंगा का तट याद दिलाता है.......तो कभी दोस्तों के संग की गयी मस्तियाँ याद दिलाता है.......काश वो शुकून इस मेट्रो यानि आदमियों के जंगल यानि दिल्ली में  भी मिल पाता ....पर सब कुछ सोचने से नहीं मिलता......और जो मिला है उससे मैं खुश हूँ........ क्योंकि इस बड़े से शहर मैं मेरी दुनिया अब सिमट कर मेरी पत्नी और अपने दोनों शैतानों (यशु-रिशु)के इर्द-गिर्द रह गयी है.........और अपने इस दुनिया में ही अब मस्त हूँ.........खुश हूँ !! इस अवसर पर प्रस्तुत है मेरी एक कविता-

कैनवेस


एकांत में बैठे बैठे सोचा
काश! मैं होता एक ऐसा चित्रकार
हाथ में होती तक़दीर की ब्रश
और सामने होती, एक ऐसी कैनवेस
जो होती खुद की ज़िन्दगी
जिसमे मैं रंग पाता अपनी चाहत
भर पाता वो रंग, जो होते मेरे सपने
जरुरत है कुछ चटक रंगों की
लाल, पीले, हरे, नारंगी
या सफ़ेद, आसमानी
जैसे शांत सौम्य रंग
ताकि मेरे तक़दीर की ब्रश
सजा पाए ज़िन्दगी को
जहाँ से झलके बहुत सारी खुशियाँ
सिर्फ खुशियाँ !!
तभी किसी ने दिलाया याद
इन चटक और सौम्य रंगों के मिश्रण में
एक और रंग की है जरूरत
जिसे कहते हैं "काला"
जो है रूप अंधकार का
जो देता है विरोधाभास!!
तब मुझे आया समझ
जब तक दुःख न होगा
दर्द न होगा
नहीं भोग पाएंगे सुख
अहसास न हो पायेगा ख़ुशी का
और इस तरह
मैंने अपने सोच को समझाया
अब हूँ मैं खुश, प्रफुल्लित
अपनी ज़िन्दगी से
अपने इस रंगीन कैनवेस से
जिसमे भरे है मैंने सारे रंग
दुःख के भी
दर्द के भी
साथ में सहेजे हैं,
ख़ुशी के कुछ बेहतरीन पल..............!!!
() () ()
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31 comments:

रश्मि प्रभा... ने कहा… 19 मई 2010 को 3:48 pm बजे

बहुत ही गहन गंभीर भावों को अर्थपूर्ण ढंग से संजोया है

honesty project democracy ने कहा… 19 मई 2010 को 3:48 pm बजे

विचारणीय प्रस्तुती /

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 19 मई 2010 को 4:00 pm बजे

Rashmi di aapko dhanyawad to kah nahi sakta......kyonki mujhe lagta hai, aaapke karan hi mere me likhne ki chah jagi, aur fir aapne hi mujhe ye blog ki duniya rubaru karaya...........aur ab iss blog ke mahan hastiyon ke saamne mujhe milwane ki koshish bhi ki hai.........!!

main khush hoon, bas itna hi kah sakta hoon!!

ρяєєтii ने कहा… 19 मई 2010 को 4:19 pm बजे

jindgi ke kenwaas per chahto ke rang... bahut hi khubsurat hai yeh painting to...

Alpana Verma ने कहा… 19 मई 2010 को 4:26 pm बजे

बहुत अच्छी कविता.
जिंदगी के केनवास पर यूँ ही खूबसूरत बिखरते रहें.
दर्द के रंग भी अच्छे ही होते हैं उनके बिना सुख के रंगों की अहमियत कहाँ?
शुभकामनाएं.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 19 मई 2010 को 4:30 pm बजे

dhanyawad "honesty", Jakir jee, preeti aur Alpana jee!! inn panktiyon ke liye samay nikalne ke liye......:)

Neelam ने कहा… 19 मई 2010 को 6:00 pm बजे

Mukesh ji aapko pahle bhi kai baar paadha..har baar naye ahsaas , nayi soch, aapki kavitaaon main dikhai di.
aap bahut achha likhte hain . yunhi likhte rahiye.
main dua kaarti hoon ki aapki zindagi main ider-dhanush jaise sabhi khoobsurat rang ho.
aapki lekhni aur nikhar kar sabke saamne aane lagi hai.
ab ise yunhi likhte aur nikhaarte rahiyega.

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल ने कहा… 19 मई 2010 को 6:53 pm बजे

मुकेश भैया रंग भर कर देख लिया ना. ईश्वर ने जो कुछ बनाया है बहुत सोच कर ही बनाया होगा. लगे रहो.
सादर,

माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से जुड़ाव
अपनी माटी
माणिकनामा

बेनामी ने कहा… 19 मई 2010 को 9:22 pm बजे

i m really speechless after reading your poems.i remember my childhood i feel i m reading a book used to come named'DHARMAYUG' you might know bout it.HATS OFF 2 YOU BHAIIYAAAAAAAAA

बेनामी ने कहा… 19 मई 2010 को 9:23 pm बजे

i m really speechless after reading your poems.i remember my childhood i feel i m reading a book used to come named'DHARMAYUG' you might know bout it.HATS OFF 2 YOU BHAIIYAAAAAAAAA

Unknown ने कहा… 19 मई 2010 को 9:24 pm बजे

i m really speechless after reading your poems.i remember my childhood i feel i m reading a book used to come named'DHARMAYUG' you might know bout it.HATS OFF 2 YOU BHAIIYAAAAAAAAA

Prem Prakash ने कहा… 20 मई 2010 को 10:37 am बजे

परोकल्प्नाओं की यह सार्थक अभिव्यक्ति आपके व्यक्तित्व के कवी को उजागर करती है
आप वास्तव में भूरि भूरि प्रसंशा के पात्र हैं.

Unknown ने कहा… 20 मई 2010 को 11:03 am बजे

hamare jeevan ka rachnakaar ek ishwar hi hota hai jo apni tulika se har ek ke jeevan mai alag-alag rang bharta hai ....aapki rachna kathachit usi prapekschya mai hai ...kuch rang man ko aanadit karte hai aur kuch man ko bhate nahi...lekin jahan dhoop hai wahi chaya ki kalpana ki jaa sakti hai theek waise hi jaise aapki kavita mai jeevan ke mahatav ko samjhaya gaya hai ek canvas ke taur par ..jo apitu hum nahi ishwar ki kala ka bhakan karti hai ..pratyaksh aur apratayaksh roop se hame kuch seekh aur seekhane ka kaam karti hai ...theek vaise hi jaise chaon ki mahatavata tabhi maloom padti hai jab kadi dhoop mai raahi behaal hota hai .....sundar rachna ...jo hame ek seekh hi deti hai rang jo bhi ho chahe wo haamere chunav ke ho ya kisi aur ke ....bas kuch seekh hi hame deti hai jo jeevan ko sundar hi banati hai ....:)

रेखा श्रीवास्तव ने कहा… 20 मई 2010 को 11:16 am बजे

ये कल्पनाओं की संपत्ति ही तो कवि और लेखक को नया आयाम देती है, जो विचारों कि पतंग उड़ना शुरू करती है तो अनंताकाश में खो जाती है और फिर कुछ न कुछ तो ऐसा खोज कर लाती है जो दस्तावेज बन कर औरों तक पहुँच जाता है.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 20 मई 2010 को 12:03 pm बजे

Neelam jee, aap sabo ka agar aise hi pyar mila to koshish jarur jaari rahegi....:)

Manik jee, bahut bahut dhanyawad!! apna samay dene ke liye!!

Charu my sis!! I m very thankful to you!!

Prem Prakash (Samvit jee) aapke prashansa ke liye bahut bahut dhanyawad!!

Dipti my little sis!! tumne to puri kavita ka sanchhep hi nikal diya........thanx!!

Rekha jee!! bas aap jaiso ke shabdo ko apne man ke brush me dubo kar koshish matra ki hai....:)

DAISY D GR8 ने कहा… 20 मई 2010 को 12:12 pm बजे

जब तक दुःख न होगा
दर्द न होगा
नहीं भोग पाएंगे सुख
अहसास न हो पायेगा ख़ुशी का
और इस तरह
मैंने अपने सोच को समझाया
अब हूँ मैं खुश,



हम सब भूल जाते हैं की ईस रंगीन
दुनिया के रंग तभी चटक हैं
जब काला रंग हम देखते हैं
नहीं तो सब सुंदर ही सुंदर
न दुख होता न सुख का पता चलता!!

आपको सलाम हैं मुकेश जी
क्या शब्द और सोच हैं!!

DAISY D GR8 ने कहा… 20 मई 2010 को 12:12 pm बजे

जब तक दुःख न होगा
दर्द न होगा
नहीं भोग पाएंगे सुख
अहसास न हो पायेगा ख़ुशी का
और इस तरह
मैंने अपने सोच को समझाया
अब हूँ मैं खुश,



हम सब भूल जाते हैं की ईस रंगीन
दुनिया के रंग तभी चटक हैं
जब काला रंग हम देखते हैं
नहीं तो सब सुंदर ही सुंदर
न दुख होता न सुख का पता चलता!!

आपको सलाम हैं मुकेश जी
क्या शब्द और सोच हैं!!

दिगम्बर नासवा ने कहा… 20 मई 2010 को 2:27 pm बजे

Gahri Rachna hai ... jeevan mein yadi apne aap hi rang bhre on to vo mazaa jaroor dete hain ...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 20 मई 2010 को 3:30 pm बजे

thanx Daizy jee, aapkee itni achchhi baat kahne ke liye.........

thanx Digamber jee..:)

geet ने कहा… 20 मई 2010 को 3:42 pm बजे

mukesh
tum likhe bahut achcha ho sabse achche baat tu ye hai ki tum jo bhi likhte ho vo tumhare dil ki aavaz hote hai. jab tum kavita dil se likhte ho tu uske sachche bhi hote hai jo sabhi ko pasand aate hai. es liye tu tumhare kavita ko padne vale or usko pasand karne vale bahut hai.hum bhi tumhare kavita pasand karne valo mami ek hai.bhagvan kare aap es tarh hi likhte rahe or aapne kavita sabhi ko pasnad aate rahe.

बेनामी ने कहा… 21 मई 2010 को 10:35 am बजे

mukesh ji....aapki lekhni ko maan gaya main....
yun hi likhte rahein..
bahut hi umdaah rachna....

vandana gupta ने कहा… 21 मई 2010 को 3:37 pm बजे

bahut sundar bhavavykti.........jeevan ke rang tabhi sarthak hain jab uske sath khatta aur meetha ka anubhav ho ......dhoop aur chaaya ka gyan ho........ek ke bina dooja adhura hi rahta hai hamesha aur jeevan ki sarthakta bhi isi mein hai.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा… 21 मई 2010 को 8:38 pm बजे

mukesh ji,
bahut gahri soch hai aapki rachna mein. jiwan ke liye sabhi rang nihayat aawashyak hai, aur jiwan ke canwaas par jabtak sabhi rang na hon, ek rupta see lagti hai.
bahut badhai aur shubhkaamnayen.

adhuri baaten¤¤~~ ने कहा… 22 मई 2010 को 5:53 am बजे

zindagi ke kenvaas par behad bhaavpurn rang bhare hain bhaia aapne.. subhkamanayen....







amit~~

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 22 मई 2010 को 1:35 pm बजे

Vandana jee, Jenny jee aur doctor!!

aap sabko ko bahut bahut dhanyawad, meree kavita ke liye samay nikalne ke liye........:)

Urmi ने कहा… 22 मई 2010 को 3:48 pm बजे

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ है! बधाई!

kavita ने कहा… 22 मई 2010 को 8:52 pm बजे

jeevan ke rang tabhi apani poori khubasurati bikherte hai jab un rango ke sath unko poornata deta ,unhe poori shiddat se mahsoos karata udasi ka rang bhi ho.bahut khoobsurat bhav aur behatar avam saral shabd sanyojan.

shikha varshney ने कहा… 25 मई 2010 को 1:38 pm बजे

जीवन दर्शन दर्शाती खूबसूरत कविता है.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 28 मई 2010 को 11:23 am बजे

dhanyawad Babli!!

bahut achchhi baat kahi aapne Kavita jee!!..:)

Thanx Shikhaa!!

 
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