मैं अमित कुमार केशरी, झारखण्ड के एक छोटे से शहर देवघर का रहने वाला हूँ! देवघर को लोग बैध्यनाथधाम के नाम से भी जानते हैं, क्यूंकि यहाँ ही बाबा बैध्यनाथ का १२ वा ज्योतिर्लिंग स्थापित है! पिछले ६ वर्षों से मैं अपने परिवार और शहर से हज़ारों मिल दूर रूस के मोस्को शहर में रह कर चिकित्सा विज्ञान की पढाई कर रहा हूँ! मास्को में रहते हुए हिंदी और हिंदी ब्लॉग से जुड़कर मुझे मेरे वतन की याद कभी नहीं सताती . मुझे लगता है ब्लॉग के भीतर का हिन्दुस्तान यदि हमेशा ज़िंदा रहे तो परदेश में देश की अनुभूति हमेशा होती रहेगी . ब्लोगोत्सव की परिकल्पना के बारे में जानकर मन रोमांचित हो गया और देर से ही सही इस उत्सव के माध्यम से मैं आप सबों से फिर एकबार रूबरू हूँ . लेकर आया हूँ अपनी एक छोटी सी कविता-
पंख
एक पंख लगा दो मुझको माँ,
जो ऊँचे नभ में उड़ पाऊं मैं,
दूर जहाँ से आना चाहूँ,
बस तेरे पास पहुँच पाऊं मैं!
ना गिरने का डर होगा फिर मुझको,
बादल से भी ऊँचा उड़ पाऊं मैं,
जितना भी ऊँचा मैं चाहूँ,
माँ उतना ऊँचा उड़ जाऊं मैं!
एक पंख लगा दो मुझको माँ,
फिर खुले गगन में खुलकर,
चाँद सूरज से भी ऊँचा उड़ पाऊं मैं,
बस एक आज़ाद पंछी बन कर उड़ता ही चला जाऊं मैं!
थके ना कभी मेरे पर उड़ कर,
माँ बस इतना ही चाहूँ मैं,
पंख विशाल हो बस माँ इतना,
की तुम्हे भी साथ ले उड़ पाऊं मैं!
बस एक पंख लगा दो मुझको माँ,
अब उड़ना ही चाहूँ मैं,
थक चूका हूँ धरा पर बैठा,
आशमान की शैर कर आऊं मैं!
बस अब पंख लगा दो मुझको माँ, अब उड़ना ही चाहूँ मैं!!
अमित~~
पुन: परिकल्पना पर वापस जाएँ
19 comments:
खूबसूरत प्यार भरे .... हर शब्द वात्सल्य रस में डूबा
@ रश्मि मौसी: धन्यवाद मौसी, बस आपके मार्गदर्शन की थोड़ी और जरुरत है, धन्यवाद!
@ माधव: धन्यवाद महोदय!
hame ise padh kar bahut prasannta hui ki aaj bhi hamare desh ki hindi kavita vidyamaan hai. ati parshantta hui dr. amit keshri ki kavita padhkar
hame sabse jyada prashanntta hoti hai ki ham aaj bhi is mahan bhasa ka prayog kar rahe hain.
@ राहुल : आपको यहाँ देख कर बेहद ख़ुशी हुई राहुल, टिप्पणी के लिए धन्यवाद!
कमाल की अभिव्यक्ति दी है बधाई..
सही व सटीक लगा..बहुत बढिया
मानवीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती रचना हेतु शुभकामनाएं।
Sarahneeya prayaas hai !!!
@ पूर्णिमा जी, माला जी एवं गीतकार : आपकी टिप्पणियों के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ! dhanyawaad!
अमित~~
@ श्री भाई: आपको यहाँ देख कर बहुत ख़ुशी हुई, टिप्पणी के लिए धन्यवाद्!
अमित~~
Waah BHai...GAzab....BAhut hi khubsurat
अमित तुम बहुमुखी प्रतिभा के धनी हो। अवश्य ऊँचाइयों को छूओगे। ईश्वर से यही प्रार्थना है सदैव उन्नति के शिखर पर बिठाये तुम्हे।
Doctor!! Tumhari maa ne tumhe pankh laga kar desh se itni dur bhejni ki koshish ki........aur tumne apne ko Medical ke saath desh ke sahitya se jud kar ye jalta diya ki dil........ye dil apne desh ke liye dharakta hai.....:)
God bless my dear!!
tere shabd me jaadu hai yaar!!
hame ummid hai, ye jadu barkarar rahega..........:)
preeti didi, suryakant uncle & mukesh bhaia, aap logo ko yaha dekh kar bahut khushi hui, tippani ke liye dhanyawaad....
maa ke jaisa bhala kaun hai jag mai dooja ....wo ek aisi naari hai jiske aanchal mai ,god mai sukoon hi milta hai.hum khush ho ya gum mai ho uski hi yaad sabse pehle ati hai ...kathachit aapki rachna usi vatsalya prem ki bhana ko ujagar karti hai ...bahoot khoob .....ek geet hai jo kathachit barbas hi zubaan par aa jaati hai "pankh hoti to ud jaati mai ....."
bahut achha likha hai Bhai... God Bless U....
nice attepmt....:)
dipti ji, himanshu ji & amit ji,aap sab ko yaha dekh kar bahut achcha laga, tippani ke liye dhanyawaad!
माँ के प्रति आपकी भाव भीनी कविता बहुत सुंदर लगी ।
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