यायावर सी जिंदगी में कहीं बीच में अपने को खोजता हुआ, पेशे से बैंकिग में तकनीक सलाहकार विशेषज्ञ विवेक रस्तोगी हिंदी ब्लॉग जगत के सुपरिचित नाम है ।अपने ब्लॉग "कल्पतरू" पर सारगर्भित पोस्ट और गंभीर लेखन के लिए ये जाने जाते हैं .प्रस्तुत है इनकी एक कविता -
मेरी तस्वीर जो केवल मेरे मन के आईने में नजर आती है….मेरी कविता ….. विवेक
मेरी तस्वीर जो केवल,
मेरे मन के आईने में नजर आती है,
दुनिया को कुछ ओर दिखता है,
पर अंदर कुछ ओर छिपा होता है,
मेरा स्वरुप पारदर्शी है,
पर आईने को सब पता होता है,
जैसा मैं हूँ वैसा मैं ,
तत्व दुनिया को दिखाता नहीं हूँ,
आईना आईना होता है,
पर वो अंतरतम में कहीं होता है,
तस्वीर चमकती रहती है,
जिसे दुनिया तका करती है।
() विवेक रस्तोगी
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2 comments:
बहुत ही सुंदर कविता , एक-एक शब्द महत्वपूर्ण, बधाइयाँ !
बहुत ही सारगर्भित रचना
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