कवि कुलवंत सिंह हिंदी के समर्पित और सक्रिय चिट्ठाकारों में से एक हैं , इनका ब्लॉग गीत सुनहरे इनके गीतों, भावनाओं, अभिव्यक्ति एवं कविताओं का खुशनुमा गुलदस्ता है। इनकी रुचियां है - कवि सम्मेलनो में भाग लेना। मंच संचालन। क्विज मास्टर। विज्ञान प्रश्न मंच प्रतियोगिता आयोजन। मानव सेवा धर्म - डायबिटीज, जोड़ों का दर्द, आर्थराइटिस, कोलेस्ट्रोल का प्राकृतिक रूप से स्थाई इलाज। प्रस्तुत है इनकी एक प्यारी सी कविता -
पुष्प का अनुराग
विधु से मादक शीतलता ले
शोख चांदनी उज्ज्वलता ले,
भू से कण कण चेतनता ले
अंतर्मन की यौवनता ले .
अरुणिम आभा अरुणोदय से
सात रंग ले किरण प्रभा से,
रंग चुरा मनभावन उससे
प्रीत दिलों में जिससे बरसे .
जल बूंदों से निर्मलता ले
पवन तरंगों से झूला ले,
संगीत अलौकिक नभ से ले
मधु रस अपने यौवन का ले .
डाल डाली पर यौवन भार
गाता मधुमय गीत बहार,
पुष्प सुवास बह संग बयार
रति मनसिज सी प्रेम पुकार .
पाकर मधुमय पुष्प सुवास
गंध को भर कर अपनी श्वास
इक तितली ने लिया प्रवास,
किया पुष्प पर उसने वास .
मधुर प्रीत की छिड़ गई रीत
दोनो लिपटे कह कर मीत,
पंखुड़ियों ने भूली नीति
मूक मधुर बिखरा संगीत .
अतिशय सुख वह मौन मिलन का
मद मधुमय उस रस अनुभव का,
कंपन करती पंखुड़ियों का
तितली के झंकृत पंखों का .
पराग कणों से कर आलिंगन
शिथिल हुए दोनों के तन मन,
सुख मिलता सब करके अर्पण
हर इक कण में रब का वर्णन .
कवि कुलवंत सिंह
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5 comments:
Har ik kan men rab ka vernan.
Ati Sundar, Badhayi.
सार्थक रचना। हार्दिक बधाई।
बधाई।
हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
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