अविनाश वाचस्पति हिंदी चिट्ठाजगत के एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिसे हर कोई सर आँखों पे बिठाता है, जिनकी सहजता बरबस आकर्षित करती है सृजनकर्मियों को . वैसे तो ये प्राय: सभी विधाओं में लिखते हैं, किन्तु व्यंग्य लेखन में इन्हें महारत हासिल है .....ब्लोगोत्सव की टीम ने ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रकाशित इनके व्यंग्य जब चूहे बोलेंगे खूब राज खोलेंगे को आधार मानते हुए इन्हें वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . " जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत प्रस्तुत है इनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर - |
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(1)पूरा नाम :
अविनाश वाचस्पति
(2) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :
स्व. डॉ. दिनेश चन्द्र वाचस्पति/ श्रीमती चन्द्रप्रभा रानी/उत्तम नगर, नई दिल्ली
(3) वर्तमान पता :
साहित्यकार सदन, पहली मंजिल, 195 सन्त नगर, नई दिल्ली 110065
ई मेल का पता :
avinashvachaspati@gmail.com
टेलीफोन/मोबाईल न.
9868166586/9711537664
(4) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग ?
मैं आपसे मिलना चाहता हूं,http://avinashvachaspatinetwork.blogspot.com/
अविनाश वाचस्पति, http://avinashvachaspati.blogspot.com/
नुक्कड़, http://nukkadh.blogspot.com/
पिताजी,http://pitaajee.blogspot.com/
बागीची, http://bageechee.blogspot.com/
झकाझक टाइम्स, http://jhhakajhhaktimes.blogspot.com/
तेताला http://tetalaa.blogspot.com/
(5) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
यदा कदा अन्य ब्लॉगों पर भी पोस्ट व कविताएं लिख लेता हूं।
(6) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है :
हिन्दी का प्रत्येक ब्लॉग मेरी पहली पसंद है, उसमें कुछ अच्छा नहीं भी हो तो उसे अच्छाई की तरफ प्रवृत्त करने की हमारी जिम्मेदारी है।
(7) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
ब्लॉग को विषय सीमा में बांधना मुझे ठीक नहीं लगता परंतु मानव और मानवता से संपृक्त विषयों और समस्याओं को इस माध्यम के जरिए उठाने में गुरेज नहीं करना चाहिए। मन से मन को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन रहे हैं आज हिन्दी ब्लॉग।
(8) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
तभी से जब कादम्बिनी में श्री बालेन्दु दाधीच जी का आलेख ब्लॉग हो तो बात बने पढ़ा, बगीची नामक ब्लॉग से शुरू हुआ यह सफर अब तक अनवरत् जारी है। उससे पहले भी संभवत: 2003 में प्रयास किया था, तेताला नामक ब्लॉग बनाया था परन्तु उस समय हिन्दी लिखने-दिखने की सुविधा नहीं मिल पाई, फोंटों की जानकारी नहीं थी, इसलिए सफर वहीं रूक गया।
(9) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
किसी भी प्रकार के खिताब से प्रसन्नता महसूस होती है परन्तु सही मायनों में जिम्मेदारी बढ़ जाती है और उस बढ़ी हुई जिम्मेदारी को मेरी कलम, कीबोर्ड और विचार संभाल पाएं, उसे सही तरह से पोषित कर पाएं, यही प्रयास रहेगा।
(11) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
अवरोध किस प्रकार का, अच्छाईयों के प्रचार-प्रसार, अच्छे लोगों के बीच संवाद, पाठकों से सीधा संवाद, इस तरह के कई आयाम ब्लॉगिंग ने ही उपलब्ध कराए हैं तो ब्लॉगिंग तो इन सबके बीच एक शक्तिशाली सेतु बनकर आया है, इससे अवरोध का तो प्रश्न ही नहीं उठता है।
(12)यदि होता है तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?
अगर आप कह रहे हैं तो मान लेता हूं। इसके लिए इंटरनेट खोलने से पहले अपने सभी आवश्यक कार्यों की सूची बना लेता हूं और एक-एक करके उन्हें पूरा करता जाता हूं उसके बाद इंटरनेट खोलकर ब्लॉगिंग और ऑनलाईन संबंधी सभी कार्य करता हूं क्योंकि यह सही है कि एक बार इंटरनेट, ई मेल खोलने के बाद दिशा-भटकन इसलिए शुरू हो जाती है कि क्योंकि यह तो जानकारी का अथाह संसार है और जानकारी पाने की जिज्ञासा मानव मन की कमजोरी या मजबूती कहिए, वह है।
(13) जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
नि:संदेह अच्छा ही लगा और इस प्रकार के माध्यम से पाठकों और लेखकों से सीधा जुड़ाव हो पाता है। सबके विचार पढ़ने को मिलते हैं। किए गए कार्यों पर सबकी तीखी नजर पड़ती है, जिसकी आज खास जरूरत है।
(14) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
ब्लॉगोत्सव की विशेषता तो इसके आयोजन की अवधारणा में ही समाहित है।
(15) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
मेरा तो मानना है कि ऐसा आयोजन साल भर चलता रहना चाहिए। जिस प्रकार आज की तारीख में सर्वाधिक लोकप्रिय एग्रीगेटर ब्लॉगवाणी बंद हैं, उस समय में ब्लॉगोत्सव पुन: सक्रिय होकर उस कमी को दूर कर सकता है बल्कि उसे करना चाहिए। इसमें और भी हिन्दी ब्लॉगरों को सम्मिलित होकर अपनी जिम्मेदारी समझकर इसमें कार्य करना चाहिए।
(16) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
खेमेबाजी बढ़ने का कारण टिप्पणियां पाने की चाहत है, पुरस्कार पाने की लालसा है - इन सबसे तो वैसे ही जीवन में बचा जाना चाहिए।
(17) तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
अमंगलकारी तो है पर इसे जान-समझकर इससे बचा जा सकता है।
(18) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
मेरा व्यक्तिगत भी हिन्दी व हिन्दी ब्लॉगहित के लिए समर्पित है।
(19) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
मैं तो वैसे भी पूरा का पूरा ही सार्वजनिक हूं। इससे अधिक क्या सार्वजनिक करूं। बस यही कहूंगा कि जिनसे भी मिलता हूं, खूब अच्छा लगता है। अभी पिछले दिनों सुशील कुमार जी दिल्ली में थे, उनसे मिलना हुआ। मन को खूब राहत मिली। इससे पहले जयपुर और आगरा यात्रा में हिन्दी के बहुत से प्रेमियों/ब्लॉगरों से संवाद हुआ। इन ब्लॉगर मिलन से ब्लॉगर सक्रियता में इजाफा होता है जो कि हिन्दी की सुख-समृद्धि के लिए एक भरपूर खुराक है।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अविनाश जी
.....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।
आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद ब्लोगोत्सव जैसी सुन्दर परिकल्पना के लिए
प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात
20 comments:
अविनाश जी को हार्दिक बधाई।
अविनाश जी को बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
अविनाश जी को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई
अविनाश जी को बधाई
अविनाश जी को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई
बहुत बहुत बधाई
बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत बहुत बधाई!
पुरस्कार देने वालों को भी
और पुरस्कार पाने वालों को भी!
हमारी भी बधाई स्वीकार करें।
अविनाश जी को हार्दिक बधाई!
अविनाश जी को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई
मैं तो आपकी कलम के चमत्कारों से विस्मित रहती हूँ.... आपको तो बहुत से पुरस्कार मिलने चाहिए
अविनाश जी को बधाई व आपके वेदों की ऋचाओं से धीरे से उद्धृत करने को प्रणाम.
आदरणीय अविनाश वाचस्पति जी
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 में सम्मानित होने पर बहुत बहुत बधाइयां !
मंगलकामनाएं !!
शुभाकांक्षी
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
ब्लॉगिंग का चमकता आकाश,
किसी से दूर नहीं, सबके पास,
मन की सुंदरता का उजास,
कहते हैं जिसको सब अविनाश...
अविनाश भाई के प्रभामंडल से एक और कीर्ति जुड़ने की बधाई,
रवींद्र भाई और ब्लॉगोत्सव टीम २०१० का आभार...
जय हिंद...
भाई, वो वाला न समझें, को बधाई.
अविनाश जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
bahut bahut badhai.
pavitra
अविनाश जी को बहुत-बहुत बधाई ...
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