ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रकाशित कहानी बेटियों की माँ को वर्ष की श्रेष्ठ कहानी के रूप में चयन करते हुए श्रीमती निर्मला कपिला को ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ कथा लेखिका के रूप में अलंकृत करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . " जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत प्रस्तुत है उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी और सृजन के कुछ अनछुए प्रश्नों के उत्तर -

पूरा नाम
निर्मला कपिला
पति का नाम
श्री मनमोहन कपिला
वर्तमान पता
H.No 558\A-1 शिवालिक एवन्यू नया नंगल -141126
टेलीफोन ----- 01887-220377--- मोबाईल -09463491917
प्रमुख व्यक्तिगत ब्लाग
www.veerbahuti.blogspot.com,-- www.veeranchalgatha.blogspot.com
अपने ब्लाग के इलावा अन्य ब्लाग पर गतिविधियों का वर्णन
अपने ब्लाग के अतिरिक्त मै कई ब्लाग पर सक्रिय रही हूँ-- नन्हें मुन्ने-हिन्दी साहित्य मंच, पंजाब की खुश्बूअदि ब्लाग्ज़ पर भी लिखती रही हूँ बाकी ब्लाग्ज़ पर यदा कदा ही जा पाती हूँ_ पिछले कई महीनों से पारिवारिक व्यस्ताओं के कारण वीर बहुटी के अतिरिक्त सब गतिविधियाँ बन्द हैं। वैसे भी घर का काम और कई ब्लाग चलाना सम्भव नही हो पाता।
अपने ब्लाग के अतिरिक्त कौन कौन सा ब्लाग पसन्द है आपको?
इस सवाल को पूछ कर ब्लागजगत मे नया विवाद ना खदा हो जाये। पहले ही पसंद ना पसंद के चट्कों को ले कर ब्लागजगत मे बवाल मचा हुया है। फिर एक हो तो बताऊँ। वैसे परिकल्पना तो पसंद है ही।
ब्लाग पर कौन सा विषय आपको आकर्शित करता है?
कविता कहानियाँ गज़ल। और सामाजिक मुद्दों पर आलेख धार्मिक या भेद भाव वाली बहस से दूर ही रहती हूँ।
आपने ब्लाग कब लिखना शुरू किया ?
25 नवम्बर 2008 को
यह खिताब पा कर आपको कैसा महसूस हो रहा है?
खिताब पा कर बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे कभी गुमान भी नही था कि इतने अल्प समय मे मै इतना कुछ कर पाऊँगी। क्यों कि मैने लेखन 2004 मे ही शुरू किया था दसवीं जमात से 2004 तक हिन्दी का शायद एक भी शब्द कभी लिखने का अवसर नही मिला था। पंजाब मे नौकरी के दौरान पंजाबी और इन्गलिश ही लिखी जाती थी डिपलोमा मे भी इन्गलिश ही थी। इस लिये इतने अल्प समय मे तीन पुस्तकें छपना और 2 का मैटर त्यार करना घर की जिम्मेदारियों के साथ मेरे लिये फक्र की बात है।कौन सोच सकता है कि घूँघट से निकल कर कोई इस आभासी दुनिया मे अपना नाम कमा सकता है।

क्या ब्लागिन्ग से आपके अन्यकार्य मे अवरोध उत्पन होता है?
अगर होता है तो उसे कैसे प्रबन्ध करती हैं--- घर के रुटीन काम मे तो नही होता मगर मै अपने शहर मे सामाजिक गतिविधियों मे भी भाग लेती हूँ ,तब होता है मगर रात को देर तक बैठ कर क्षतिपूर्ती कर लेती हूँ। कई बार शहर से बाहर जाना पडता है तब मुश्किल होती है।

ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
इस उत्सव मे शामिल होना मेरे लिये सौभाग्य की बात है। मगर दुख इस बात का है कि इस दौरान मुझे अमेरिका जाना पडा वहाँ मै इस ब्लाग की पूरी गतिविधियों मे भाग नही ले सकी। फिर भी जब 5-10 मिनट का समय मिलता तो इस ब्लाग को जरूर देख लेती। शायद ब्लागजगत मे ये के अपनी तरह का पहला और सफल प्रयोग है। इसकी प्रशंसा शब्दों मे नही की जा सकती। श्री रवीन्द्र प्रभात और उनकी टीम की साहित्य के प्रति कर्मनिष्ठा सब के लिये प्रेरणा है। पूरी टीम इसके लिये बधाई की पात्र है।

आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
सब से बडी विशेषता तो ये रही कि एक ही जगह बहुत कुछ चुनी हुयी सामग्री पडने को मिली दूसरी विशेषता ये कि कई ऐसे ब्लाग जिनको पहले कभी नही देखा था वो देखने को मिले , नये नये लेखकों के बारे मे जानकारी मिली। पूरे ब्लागजगत मे चहल पहल का ये ब्लागौत्सव समारोह रहा सब से बडी बात एक ही जगह साहित्य की सभी विधास्यें देखने को मिली साथ ही तक्नीक का कमाल पोडकास्ट वेडियो आदि भी देखने को मिले। इस से बडा उतसव और क्या हो सकता था।
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
मुझे इस मे कोई कमी नही खटकी।
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
इस पर कुछ नही कह सकूँगी क्यों कि आप जानते हैं कि मैं तब बहुत व्यस्त थी ,सभी रचनायें पढ भी नही पाई

(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
जितनी रचनायें मैने पढी हैं सभी पसंद आयी हैं।

(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
जरूर किया जाना चाहिये इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है। वैसे पहली बार आपने जो ब्लाग विश्लेशण किया था वो भी किसी उतसव से कम नही था।

(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
जरूर महसूस होता है। मगर मै इस तरह की खेमेबाजी से दूर ही रहती हूँ उन सभी ब्लाग पर जाती हूँ जिनका विषय मेरी पसंद का हो। धार्मिक राजनितिक खेमे बाजी से दूर रहती हूँ(१८) यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ? बिलकुल हिन्दी चिठाकारी के लिये ये बहुत हानिकारक है। इसी से ब्लागवाणी जैसे निस्वार्थभाव से काम करने वाले अग्रिगेटर बन्द हो गये हैं।
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
मेरा व्यक्तिगत जीवन बहुत संघर्षपूरण रहा है। शादी के 3-4 माह बाद मेरी जेठानी 5 छोटे बच्चों को छोड कर भगवान को प्यारी हो गयी उन बच्चों के पालन पोषण का भार साथ मे नौकरी और ग्रामिण जीवन जिसकी मै आदी नही थी \घूँघट निकाल कर शहर की सीमा तक साईकल पर जाना पडता था। 3-4 साल बाद हम उन बच्चों की पढाई की कारण शहर मे जा कर रहने लगे।मगर वहाँ ही नौकरी और 3बच्चों के साथ बहुत मुश्किल होती थी 2 बच्चे जो गाँव मे रहने लगे थे उनकी पढाई आदि का जिम्मा भी हमारा था। फिर अपने बच्चों का भी पालन पोशण बहुत मुश्किल रहा उधर मायके मे भी दो जवान भाईयों की मौत से दोनो तरफ की जिम्मेदारी हम दोनो ने निभाई। बस हम दोनो केवल दूसरों के लिये ही जीये। आप विश्वास नही करेंगे मगर ये सच है कि आज तक हम पति पत्नि को कभी एक साथ थियेटर मे फिलम देखने का अवसर नही मिला। कहीं घूमने जाने का भी समय नही था। जीवन के दुख भरे कुछ संस्मरण ब्लाग पर भी लिखे हैं।
पर सब कुछ अब निबट गया है तीनो बेटियों और जेठ के बच्चों की पढाई लिखाई नौकरी और शादियां कर दी हैं मेरी तीन बेटियाँ भी उच्च शि़क्षा एक एम सी दूसरी एम एस तीसरी एम बी कर के कर नौकरी कर रही हैं। दामाद भी बहुत अच्छे मिले हैं इस तरह सभी दुख-- सुख मे बदल गये मेरी बेटी ने विदेश की सैर भी करवा दी मेरे पति बहुत कर्मनिष्ठ धर्मनिष्ठ इन्सान हैं जो सीखा उनसे ही सीखा। मगर मेरे पिता जी का मार्ग दर्शन और जिम्मेदारियों के प्रति मुझे समझाना भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।ैअगर मै उन बच्चों को पाल सकी तो अपने पिता जी के कारण। कई बार काम से घबरा जाती या दुखी होती तो उनके पास ही जाती और मुझे एक सहज समाधान उनसे मिल जाता आज जब पीछे मुड कर देखती हूँ तो लगता नही कि मै इतना कुछ जीवन मे कर पाई हूँ खुद पर गर्व होता है कि आज तक दूसरों के लिये किस तरह अपनी जिन्दगी कुर्बान की। मगर आत्मसन्तुष्टी से बढ कर कोई सुख नही।
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहती हैं ?

चिठाकारी से सम्बन्धित संस्मरण तो कई हैं मगर वो दिन सब से खास है जब मैने अपना ब्लाग बनाया और पहली पोस्ट लिखी आज तक भी मैने अपनी उस पोस्ट को सुधारा नही है। तब मुझे कम्प्यूटर की बी सी भी नही आती थी बस बच्चों ने ले रखा था उनकी शादी के बाद ऐसे ही पडा था। दिन का रोमांच भूल नही पाती।
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ :

वैसे तो अपनी बहुत सी रचनायें मेरे दिल के करीब हैं मगर मेरी पसंदीदा एक गज़ल जो मेरे दिल की आवाज है ,मुझे बहुत अच्छी लगती है और यू ट्यूब पर भी है श्री सुनील डोगरा की आवाज मे इसे सुन सकते हैं।
फूल जैसे बचपने मे यूँ पली है जिन्दगी ये
क्या पता किस आग मे फिर क्यों जली है जिन्दगी ये

कौन सा अपना नही जो छोड कर चलता बना था
हादसों की धूप मे चलते पली है जिन्दगी ये

जो मिले थे राह मे सब पर लुटाई है खुशी
चेहरे की इस हसी ने ही छली है जिन्दगी ये

चाहतों की बाँध गठरी दर्द दिल मे थे छुपाये
छोड शिकवे ढाल ली जैसे ढली है जिन्दगी ये

चाहिये कोई तो कन्धा रो सकें सिर रख कभी तो
वो गये जिन के बिना हर पल खली है जिन्दगी ये
{ये शेर अपने उस बेटे के नाम जिस का भरी जवानी मे मर्डर हो गया था।}

तज़ुर्बे मेरे किसी भी काम ना आये कभी भी
यूँ ही दुनियाँ के इशारों पर चली है जिन्दगी ये

आज पत्थर हो गये जो फूल के माफिक खिले थे
यूँ गमों की आग मे पल पल जली है जिन्दगी ये

है शिनाख्त ही नहीं अब आदमी को आदमी की
चोर उच्चकों की यहाँ देखो फली है जिन्दगी ये

ख्वाहिशें तो थी मगर मजबूरिओं का बोझ जो था
राह काँटों से भरी टेढी गली है जिन्दगी ये

मुश्किलों मे भी गिराया हौसला निर्मल नही था
सब गमों को पी गयी थी तब चली है जिन्दगी ये !




बहुत बहुत धन्यवाद .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।


प्रस्तुति: रवीन्द्र प्रभात

20 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 11:18 am बजे

निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई

Narendra Vyas ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 11:55 am बजे

aadarniyaa Nirmal ji ka antahkaran se badhaai. ! aap deserve karteen hain..blogotsav kee tamaam team ko badhai aur aabhar !

vandana gupta ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 12:01 pm बजे

निर्मला जी को बहुत -बहुत बधाई .

रश्मि प्रभा... ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 12:02 pm बजे

निर्मला जी को बधाई.... जिस स्थिरता से उन्होंने अपनी हर भूमिका को एक ख़ास मुकाम दिया, वह अनुकरणीय है ....

बलराम अग्रवाल ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 12:06 pm बजे

निर्मल कपिला जी को बहुत-बहुत बधाई। साथ ही रवीन्द्र प्रभात जी को भी बधाई कि उन्होंने बहुत-सी जरूरी बातें उनसे पूछकर पाठकों तक पहुँचाईं।

kshama ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 1:12 pm बजे

Bahut,bahut badhayi!Unke jeevan ke bareme padh man me aur adhik aadar bhaav nirmaan ho gaya.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 1:19 pm बजे

आदरणीया निर्मला कपिलाजी को हार्दिक बधाइयां !
आपके बारे में और भी जानने को मिला …

निःसंदेह रवीन्द्र प्रभातजी और ब्लॉगोत्सव परिकल्पना से जुड़े हर सहभागी सहयोगी बधाई के अधिकारी हैं ।
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

दिगम्बर नासवा ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 3:00 pm बजे

निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई ....

राजकुमार सोनी ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 3:48 pm बजे

मैंने फोन पर बधाई दे दी है
लेकिन फिर भी एक बार और बधाई
यूं ही लिखती रही

mala ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 7:08 pm बजे

निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई

पूर्णिमा ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 7:09 pm बजे

निर्मला जी को बधाई....

गीतेश ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 7:11 pm बजे

निर्मला जी को बहुत-बहुत बधाईयाँ।

Udan Tashtari ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 7:39 pm बजे

निर्मला जी को बहुत बधाई...उन्हें जानने का मौका भी मिला, आभार.

दीपक 'मशाल' ने कहा… 13 जुलाई 2010 को 7:56 pm बजे

बहुत-बहुत बधाई.. आप वास्तव में एक श्रेष्ठ कथाकार और इस सम्मान की सर्वथा योग्य हैं..

Khushdeep Sehgal ने कहा… 14 जुलाई 2010 को 12:18 am बजे

निर्मला जी के आशीर्वाद से हमेशा ऐसा महसूस होता है जैसे पूरे ब्लॉगवुड पर ममता की छांव है...ज़िंदगी हर घड़ी इक नई जंग है को चरितार्थ करते हुए निर्मला जी की देवी सरस्वती की ऐसी साधना हम जैसे ब्लॉगरों के लिए हमेशा प्रेरणा-पुंज रही है...यही कामना है कि निर्मला जी का वात्सल्य भरा हाथ हमेशा हमारे सिर पर बना रहे...निर्मला जी को सम्मान मिलना सम्मान का ही सम्मान है...

जय हिंद...

Smart Indian ने कहा… 14 जुलाई 2010 को 6:54 am बजे

एक श्रेष्ठ कथाकार निर्मला जी को इस सम्मान की हार्दिक बधाई!

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 14 जुलाई 2010 को 11:01 am बजे

उनको उकेरा और हमें कुरेद दिया। जानना दिल को छू गया।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा… 15 जुलाई 2010 को 1:14 pm बजे

कपिला जी को ढेरों बधाइयां.

shikha varshney ने कहा… 15 जुलाई 2010 को 6:54 pm बजे

Nirmala ji ko dheron badhai.

 
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