राजेन्द्र स्वर्णकार एक ऐसे गीतकार हैं जिन्हें स्थानीय स्तर पर काफी उपेक्षाओं का सामना करना पडा है . ब्लोगोत्सव पर प्रसारित उनके पोडकास्ट "मन है बहुत उदास रे जोगी" को आधार मानते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने इसबार उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन और वाचन ) से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ! "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर-

(१) पूरा नाम : राजेन्द्र स्वर्णकार
(२) पिता का नाम : स्वर्गीय श्री शंकरलालजी
माता का नाम : श्रीमती भंवरीदेवी
स्थायी पता : गिराणी सोनारों का मौहल्ला ,
जन्म स्थान : बीकानेर
(३) वर्तमान पता : गिराणी सोनारों का मौहल्ला , बीकानेर 334001
( राजस्थान )
ई मेल का पता : swarnkarrajendra@gmail.com
मोबाइल नं : 09314682626
फोन नं : 0151 2203369
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
शस्वरं http://shabdswarrang.blogspot.com
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
मैं यहां main yahaan
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परिचय
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(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन से ब्लॉग पसंद हैं? :
बहुत सारे हैं , नाम गिनाना संभव नहीं ।
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
साहित्य , और उसमें भी छंदबद्ध काव्य
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
शनिवार , 10 अप्रैल 2010
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
( मैं अपने घर यानी अपने शहर बीकानेर में निरंतर जातिवाद , गुटबंदी , और लॉबिंग के कारण खुले अन्याय और उपेक्षा का शिकार होता रहा हूं ।
मुझे छोटे से छोटे प्रशासनिक एकेडेमिक - अनुदान पुरस्कार से रोका गया है ।
…और तो और शहर की किसी स्मारिका में भी मेरा नाम ,
मेरे गुणों का उल्लेख न आ जाए , इसकी भी पूरे षड़यंत्रों के साथ सामूहिक प्रयासों से क्रियान्विति अंज़ाम दी गई ।
आकाशवाणी पर , अकादमियों , विभिन्न संस्थाओं , …जहां भी मेरे गुण के व्यापक स्तर पर सामने आने की संभावना हुई , मठाधीश बने बैठे तथाकथित साहित्यकारों ने अपने निर्णायक पदों का दुरुपयोग करते हुए , हमेशा , हर बार , हर कहीं मेरी पांडुलिपियों , प्रविष्टियों , पुस्तकों को पीछे सरका कर दोयम / चवन्नी लिखारों को तरज़ीह दी !
उनके वर्चस्व , प्रभुत्व को मद्देनज़र रखते हुए मैं पिछले चार साल से प्रशासन और अकादमियों द्वारा लेखकों के लिए जारी किसी भी योजना में अपनी प्रविष्टि लगाना भी छोड़ चुका हूं ।
एक गुणी के गुण से ऐसे सामूहिक भय और सामूहिक हीन भाव की स्वीकृति का उदाहरण किसी ने अन्यत्र नहीं देखा होगा ।
मेरे चाहने वाले भी बहुत हैं …
लेकिन मैं मात्र उसी मूल्यांकन और सम्मान से संतुष्ट और गौरवान्वित महसूस करता हूं , जो स्वतः , बिना सिफ़ारिश के , मेरे गुणों के आधार पर मिले ।
बाहरी जगत ने मुझे इतना अधिक दिया कि , विदेशों से प्राप्त छोटे - बड़े प्रशस्तियों - पुरस्कारों की संख्या भी सौ तक पहुंच गई । चाइना रेड़ियो इंटरनेशनल की एक निबंध प्रतियोगिता के प्रथम पुरस्कार - विजेता के रूप में चीनी दूतावास में मुझे बुला कर सम्मानित - पुरस्कृत किया जाता है ।
बाहर मुझे ससम्मान , पारितोषिक सहित एक मंचीय गीतकार , ग़ज़लगो , कवि के नाते अनजान से अनजान लोगों , गुणगाहकों द्वारा चालीस से भी अधिक जगह बुलाया जाता है … और शहर में प्रशासन से खींचे हुए पैसे की रेवड़ी - शॉल से भी योजनाबद्ध तरीके से मुझे हमेशा टाला जाता है । )
इन परिस्थितियों में मुझे
ब्लोगोत्सव-२०१० का "वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन व गायन)" का खिताब पाकर कैसा लग रहा होगा , आप स्वयं स्वतः ही महसूस कर सकते हैं !
… बस , नम आंखों को मूंदे हुए मां सरस्वती को स्मरण करने लगा … ,
न्याय मरा नहीं …धन्यवाद , आभार , कृतज्ञता प्रकट करने लगा मन ही मन ।
एक ईमानदार गुणी द्वारा पच्चीस पैसे के पोस्टकार्ड पर लिख कर भेजे गये आशीर्वाद और मूल्यांकन के कुछ शब्द , चांडाल चौकड़ियों की मिलीभगत से प्राप्त सौ सौ बड़े केंद्रीय अकादमी पुरस्कारों से भी अधिक महत्वपूर्ण और मूल्यवान मानता हूं ।
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
बहुत होता है … लेकिन लत जैसी हो रही है … शायद ।
यदि होता है तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?
बच्चों और श्रीमतीजी के एहसान , सहयोग और सहनशीलता के बिना कुछ भी असंभव ही है , सचमुच !
(११) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
मन भी लगा रहा , और एक से एक गुणीजन को पढ़ने - सुनने - समझने का अवसर मिला ।
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती … । … और श्रेष्ठ उद्देश्यों के लिए , और व्यापक स्तर पर , और भी पावन - पवित्र प्रयासों के साथ ऐसे आयोजन अनवरत होते रहने चाहिए ।
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
वैसे कोई ख़ास नहीं ।
हां, आम प्रतिभागी ब्लॉगर तक हर ताज़ा सूचना आयोजक मेल से पहुंचा पाते तो …
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
किन्हीं दो पांच नामों का उल्लेख हो नहीं सकता ।
सभी निजी स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं , यहां भी दिया ।
इसलिए सभी रचनाकार बधाई के पात्र हैं ।
(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
नापसंद से नापसंद भी किसी को पसंद होता है ।
हम नये गीत संगीत को सुन कर सर पीटते हैं ,
बच्चे पुराने गीतों के नाम से ही नींद लेने लगते हैं ।
सबका अपना महत्व है ।
अपाहिज बदसूरत बेसुरी ग़रीब लड़की का भी ब्याह हो'कर बिना पहचान स्थापित किए' भरा पूरा परिवार हो जाता है ,
करोड़ों की संपत्ति लावारिस छोड़ कर जाने वाली सुरैया जैसी रूपसी नायिका और मधुर कंठ वाली गायिका का भी पूरी दुनिया में एक अदद अपना नहीं मिलता ।
सब को किसी न किसी कारण से , कहीं न कहीं पसंद किया जाता है ।
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
नेकी और पूछ पूछ ?
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
कीचड़ में पत्थर मारते ही सड़ांध आएगी ।
(१८) यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
कह नहीं सकता … , चिट्ठाकारी के उद्देश्य और लाभ - हानि अभी समझ रहा हूं ।
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
स्वर्णकार हूं । अब , अधिकांशतः लेखन करता हूं । पूज्य पिताजी का स्वर्गवास हुए बीस वर्ष हो गए । परिवार में स्नेह , करुणा और वात्सल्य की देवी मां , अपना सर्वस्व मेरे लिए समर्पित कर चुकी मेरी धर्मपत्नी , तीन सुयोग्य सुपुत्र , एक पुत्रवधू और संसार का सबसे अनुपम उपहार नौ माह की पौत्री … हम आठ , हमारे ठाठ !
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
मेरी तमाम पोस्टों पर प्राप्त टिप्पणियों को खंगाल कर कोई भी देखे
तो ख़ुद ब ख़ुद पता चल जाएगा कि मुझे
सर्वथा अनजान अपरिचित लोगों से कितना प्यार , स्नेह और अपनत्व मिला ।
इस स्वार्थी संसार में इतने सारे लोगों का प्यार , स्नेह और अपनत्व कोई कृतघ्न ही विस्मृत कर सकता है ।
मैं सार्वजनिक तौर पर बड़े दिलों के मालिक मेरे समस्त् फॉलोअर साथियों और टिप्पणीदाताओं के प्रति कृतज्ञता और आभार प्रकट करता हूं ।
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ : (यदि आप चाहें तो यहाँ ऑडियो/विडिओ का प्रयोग भी कर सकते हैं )



बहुत बहुत धन्यवाद .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।


प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात

12 comments:

mala ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 5:37 pm बजे

बधाई राजेंद्र जी

girish pankaj ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 5:49 pm बजे

ek se ek nageebe nikal kar samane laa rahe hai ravindra bhai. aapko dhanyavaad aur rajendra bhai ko badhai. jitana achchha likhate hai, utana achchha aur pyara gate bhi hai. ekdam sahi chayan..

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 5:53 pm बजे

घणा मानीता राजेन्द्र जी ने म्हारी घणी-घणी बधाई,
पोतों पोतियों रे सागे मौज करो सा।

चैन सिंह शेखावत ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 6:02 pm बजे

rajendra ji ko hardik badhai...
jis pushp se saurabh prasfutit hoti h,use zamane ki upekshaen suvaasheen nahi kar sakti..aap bejod h..

पूर्णिमा ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 6:24 pm बजे

बहुत बहुत बधाई

गीतेश ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 6:25 pm बजे

बधाई राजेंद्र जी !

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 8:20 pm बजे

बबधाई यानी महाबधाई।

Udan Tashtari ने कहा… 28 जुलाई 2010 को 9:17 pm बजे

बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा… 29 जुलाई 2010 को 2:30 am बजे

रवीन्द्र प्रभात जी सहित ब्लॉगोत्सव की संपूर्ण टीम
और …आप सब का हृदय से बहुत बहुत आभार !
अब , मुझे अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन और भी सजगता और उत्कृष्टता के साथ करना होगा ।
आशा है , मेरे प्रति आप सभी का स्नेह और विश्वास प्रतिपल
द्विगुणित होता रहेगा ।
सदैव आपका स्नेहाकांक्षी
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

नीरज गोस्वामी ने कहा… 29 जुलाई 2010 को 10:40 am बजे

राजेंद्र जी जैसे साहित्य कार की उपेक्षा कुछ टुच्चे किस्म के लोग ही कर सकते हैं वो तो सूरज हैं जिनकी रौशनी बादल लाख चाहें तो भी ढक नहीं सकते...उन्हें पढना ही नहीं सुनना भी एक ऐसा अनुभव है जिस से बार बार गुजरने को दिल करता है...ब्लॉग उत्सव में उन्हें सम्मानित कर आपने उनके सभी पाठकों पर उपकार किया है...

नीरज

Khushdeep Sehgal ने कहा… 3 अगस्त 2010 को 2:16 pm बजे

उत्कृष्ट गीत लेखन के पर्याय राजेंद्र जी को बहुत-बहुत बधाई...

रवींद्र भाई और ब्लॉगोत्सव २०१० टीम का आभार...

जय हिंद...

Amit Sharma ने कहा… 3 दिसंबर 2010 को 9:25 am बजे

बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

 
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