२०वीं शताब्दी के आठवें दशक में अपने पहले ही कविता-संग्रह " रास्ते के बीच" से चर्चित हो जाने वाले आज के सुप्रतिष्ठित हिन्दी-कवि ब्लोगोत्सव-२०१० में प्रकाशित कविताओं के आधार पर ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष के श्रेष्ठ कवि का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत प्रस्तुत है इनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर-


(१) पूरा नाम :


दिविक रमेश, वास्तविक नाम: रमेश चन्द शर्मा
(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान


श्री सी०बी० शर्मा/ श्रीमती कलावती देवी / गाँव: किराड़ी, दिल्ली ।
(३) वर्तमान पता :


बी-२९५, सेकटर- २०, नॊएडा-२०१३०१
ई मेल का पता :


divik_ramesh@yahoo.com


टेलीफोन/मोबाईल न.
०१२०-४२१६५८६/ ०९९१०१७७०९९
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग ?


http://divikramsh.blogspot.com/
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण


अन्य ब्लाग पर रचनाएं पढ़ कर प्रतिक्रिया देता हूं । बहस में भाग भी ले लेता हूं ।
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?


प्रताप सहगल, अविनाश जी, प्रेम जनमेजय, उदय प्रकाश, अशोक चक्रधर आदि ब्लाक निरन्तर देखता हूं ऒर कितनी ही सामग्री पसन्द भी करता हूं । लेकिन अभी देखना ऒर बढ़ाना हॆ ।


(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
विशेष रूप से कविता, बाल साहित्य, लेख विचारात्मक सामग्री आदि ।
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?


अभी हाल ही में । इतना ज़्यादा समय भी नहीं हुआ हॆ ।
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?


बहुत अच्छा । मॆंने तो सोचा भी नहीं था ।लग रहा हॆ कि इस क्षेत्र में ईमानदारी काफ़ी हद तक बची हॆ ।
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?


नहीं । बल्कि लाभ ही होता हॆ । हाँ समय की कमी खटकती रहती हॆ ।
(११)ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?


बहुत अपनापन मह्सूस हुआ । अपने को सम्मानित ऒर धन्य समझा । दिल से कह रहा हूं बहुत अच्छा लगा ।
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?


ब्लोगत्सव में एक साथ सार्थक ऒर महत्वपूर्ण सामग्री पढ़ने को मिली । साथ हई गतिविधियों से भी परिचय हुआ। अपने विचार व्यक्त करने का भी मॊका मिला ऒर ऒरों के विचार भी जानने ऒर सोचने को प्राप्त हुए । बिना लाग-लपेट की प्रतिक्रियाऎं पाकर मन प्रसन्न हुआ ।
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?


कमियां तो शायद बहुत सोचने पर मिल जाएं तो गनीमत होंगी ।
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?


लगभग सभी ने ।
(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?


इसका उत्तर सुरक्षित रखना चाहूं गा । विश्वास हॆ कि भविष्य में सब बेहतर होता जाएगा ।
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?


अवश्य । हम जॆसे लोग तो ललक के साथ प्रतीक्षा करेंगे ।
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?


अभी तो इतनी नहीं । यूं भी मॆं नया हूं । पुराना होने दीजिए तब पूछ्ना ।
(१८) क्या यह खेमेवाजी हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?


खेमेबाजी का मॆं हमेशा विरोधी रहा हूं । शिकार भी हुआ हूं । लेकिन आत्मविश्वास नहीं खोया ।
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :


पेशे से अध्यापक हूं । आजकल प्राचार्य हूं । विवाहित हूं । गाँव से हूं सो थोड़ा देहात झलकता रहता हॆ । बहुत संघर्ष करना पड़ा हॆ । कुछ ज़ादा ही स्वाभिमानी हूं । इज्जत करता हूं, इज्जत चाहता भी हूं ।मेरे बारे में इंटरनेट पर बहुत कुछ उपलब्ध हॆ ।
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?


कोई खास नहीं । हां अपने मित्र अविनाश जी के अपने प्रति सदभाव ऒर मदद की स्मृति को हमेशा बनाए रखना चाहता हूं ।
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ


मेरी एक कविता हॆ माँ गाँ में हॆ जो मुझे पसन्द हॆ । गर्भनाल पर हॆ । आउट्लुक में प्रकाशित हुई थी । एक दो कविताएं यहां संलग्न कर रहा हूं । ये पंक्तियां जो मेरी कविताओं से हॆं अवश्य देंखे:
जब चोंच में दबा हो तिनका
तो उससे खूबसूरत
कोई पक्षी नहीं होता

ऒर ये भी:
दरवाजा खुला हो
तो अंधड़-तूफ़ान ही नहीं
एक खूबसूरत
पंख भी तो आ सकता हॆ
उड़ कर ।


आपका बहुत-बहुत धन्यवाद दिविक जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।



शुक्रिया आपका भी .....


प्रस्तुति : रविन्द्र प्रभात

12 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 3:25 pm बजे

रमेश जी को हार्दिक बधाई

Udan Tashtari ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 4:39 pm बजे

श्री दिविक रमेश जी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.

girish pankaj ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 5:05 pm बजे

divik ji ko badhaai, iske pahale bhi jinko samman mila, sabko badhaaiyaan. divikji ke vichaar achchhe lage. shayad isliye ki unke bheetar ek gaanv zindaa hai.

प्रमोद ताम्बट ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 6:13 pm बजे

दिविक रमेश जी को बहुत बहुत बधाईयाँ।

गीतेश ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 6:45 pm बजे

बहुत बहुत बधाई ...

mala ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 6:49 pm बजे

बहुत बहुत बधाई ...

पूर्णिमा ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 6:50 pm बजे

रमेश जी को बहुत बहुत बधाईयाँ।

Khushdeep Sehgal ने कहा… 18 जुलाई 2010 को 1:40 am बजे

दिविक जी को बहुत-बहुत बधाई,

दिविक जी से रू-ब-रू कराने के लिए रवींद्र जी और टीम ब्लॉगोत्सव २०१० का आभार...

जय हिंद...

Smart Indian ने कहा… 20 जुलाई 2010 को 6:14 am बजे

इस सम्मान के लिये दिविक रमेश जी को हार्दिक बधाई और आपका आभार. 25 वर्ष पहले केनरा बैंक नोएडा में अपनी पहली नौकरी शुरू की थी. वहीं एक वरिष्ठ के द्वारा दिविक रमेश जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुअ था. उन्हें शायद याद न हो परंतु हम तो पहली मुलाकात में ही उनके प्रशंसक हो गये थे.

Subhash Rai ने कहा… 20 जुलाई 2010 को 4:29 pm बजे

aadarneey bhaai Divik Ramesh ko badhaiyan

बेनामी ने कहा… 29 अगस्त 2010 को 11:15 am बजे

Hi there, I hackneyed up your blog via Google while searching destined for the benefit of gold medal goad on the side of a generosity combat in fracas and your execution looks plumb thought-provoking after me

बेनामी ने कहा… 29 अगस्त 2010 को 11:16 am बजे

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