रविकांत पाण्डेय आज के वेहद समर्पित और सक्रिय युवा चिट्ठाकारों में से एक हैं , उनके गीत अत्यंत कर्णप्रिय और सारगर्भित होते हैं ! ब्लोगोत्सव-२०१० में प्रकाशित उनके गीत को आधार बनाते हुए उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ युवा गीतकार का सम्मान दिया गया है ! "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर- |
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रविकांत पाण्डेय
(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :
श्री वैद्यनाथ पांडेय एवं श्रीमती शांति देवी/जन्म स्थान-सिवान (बिहार)
(३) वर्तमान पता :
रविकांत पाण्डेय
लैब नं.- ८
बी. एस. बी. इ. डिपार्टमेंट,
आई. आई. टी. कानपुर
कानपुर (उ. प्र.)- २०८०१६
मोबाइल नं- ०९८८९२४५६५६
ई मेल का पता :
laconicravi@gmail.com (@जीमेल डाट काम)
टेलीफोन/मोबाईल न. 09889245656
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
कुछ शब्द (http://jivanamrit.blogspot.com/)
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
सामान्यतः चिट्ठाजगत जैसे ब्लोग एग्रीगेटर्स को नियमित रूप से देखता हूं जिससे सद्यः प्रकाशित पोस्ट की जानकारी मिल जाती है। इसके अलावा कुछ पसंदीदा ब्लोग्स को नियमित चेक करते रहता हूं। शीर्षक देखकर तय करता हूं कि कौन सी पोस्ट पढ़ने लायक है।
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है :
कई हैं जैसे, ब्लोगोत्सव(परिकल्पना) ब्लोग के अलावा, नीरज गोस्वामी जी का ब्लौग, पंकज सुबीर जी का ब्लौग, राकेश खंडेलवाल जी का ब्लौग आदि। वस्तुतः ब्लोग पोस्ट देखते समय ध्यान रखता हूं कि पोस्ट सिर्फ़ ध्यानाकर्षण/आत्म-प्रलाप के लिये तो नहीं लिखी गई है?
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
मुख्यतः छंदबद्ध रचनायें (गीत/कविता/गज़ल) पसंद आती हैं। इसके अलावा साहित्य को समर्पित रोचक आलेख एवं उम्दा संस्मरण भी पसंद हैं।
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
फरवरी 2008 से ब्लोग पर हूं यानि तकनीकि रूप से देखें तो दो साल से ज्यादा हो गया। हां ये जरूर है कि शुरूआती दिनों में लेखन नियमित नहीं था। फिर धीरे-धीरे मैंने अपनी सक्रियता बढाई।
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
निस्संदेह, बहुत खुश हूं। खुश सिर्फ़ इसलिये नहीं कि ये पुरस्कार मुझे मिल रहा है बल्कि सच पूछें तो इसलिये कि ये कदम ब्लागजगत में साहित्य और खासकर छांदस विधाओं के प्रति रूझान का द्योतक है। ऐसे समय में जबकि उल-जलूल कुछ भी लिखकर लोग स्वयं को कवि मानने लगे हैं और फलस्वरूप पाठक वर्ग कविता से दूर होता जा रहा है ये जरूरी है कि समर्पण भाव से आत्म-प्रचार से दूर साहित्यसाधना में लीन लोगों को सामने लाया जाये। ये इसलिये भी जरूरी है कि कई लोग इस भ्रांति में जीते हैं कि ब्लोग जगत में सिर्फ़ अनर्गल लिखा जा रहा है। स्वस्थ एवं समृद्ध लेखन को बढ़ावा देने लिये ये कदम स्तुत्य है।
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
देखिये ये विशुद्ध रूप से समय-प्रबंधन की बात है। मैं ब्लोगिंग को टाइम-पास गतिविधि के रूप में देखे जाने का पक्षधर नईं हूं। ब्लोगिंग को कुछ समय रोजाना देने से और उचित समय-प्रबंधन से अन्य आवश्यक कार्य प्रभावित नहीं होते।
यदि होता तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?
कोशिश करता हूं कि ऐसी स्थिति न आये और यदि आ गई तो सप्ताहांत में अतिरिक्त समय देता हूं जिससे उचित संतुलन बना रहे।
(११)ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
रचनाओं को सुधी पाठकों तक पहुंचाना हमेंशा प्रिय होता है। ब्लोगोत्सव ने ऐसा ही सार्वजनिक मंच प्रदान किया इसलिये आनंदित होना स्वाभाविक है।
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
सबसे पहले तो ब्लोगोत्सव सीमित गुटीय गतिविधि न होकर एक व्यापक आयोजन रहा इसलिये कोई आश्चर्य नहीं कि इसे ब्लोग जगत में भरपूर स्नेह मिला।दूसरे, स्तरीय रचनाओं के प्रकाशन ने गुणवत्ता को बनाये रखा। तीसरे जो मैं पहले भी कह चुका हूं ब्लोगोत्सव उन तमाम मिथकों पर प्रहार करता है जिनका दावा है कि ब्लोग पर गंभीर साहित्य नहीं लिखा जाता।
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
इतने वृहत आयोजन का सफलतापूर्वक संपन्न होना अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इसलिये कोई बड़ी कमी तो नहीं गिनाई जा सकती। हां एक सुझाव है-रचनाओं के सही समय से प्रकाशन के लिये जिससे बीच की कोई कड़ी विलंब से प्रकाशित करनी पड़े से बचने के उपाय किये जा सकते हैं। जैसे प्रतिदिन के पोस्ट्स के लिये shedule posting पर विचार किया जा सकता है। इससे लाभ यह है कि बीच में लाईट चले जाने या अन्य तकनीकि कारणों से कार्यक्रम प्रभावित नहीं होगा। ब्लोग पर set time के मुताबिक पोस्ट प्रकाशित हो जायेगी।
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
वैसे तो पूरा आयोजन और उसकी प्रस्तुति इतनी उम्दा रही कि यह प्रशन बेमानी लगता है फिर भी रश्मि प्रभा जी का प्रस्तुतिकरण और समय के माध्यम से कही गई बातें, रूपचंद शास्त्री ’मयंक’ जी एवं संजीव वर्मा ’सलिल’ जी की रचनायें, पंकज सुबीर जी का काव्य पाठ, अरविंद मिश्रा जी का सोमरस विषयक आलेख, ओम आर्य जी की कवितायें, नीरज जी, गौतम राजरिशी एवं अर्श की गज़लें, इरफान जी के कार्टून और इन सबके साथ-साथ बीच-बीच में प्रस्तुत परिचर्चायें विशेष पसंद आईं। शेष रचनायें भी अच्छी हैं।
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
हां, ऐसे आयोजन प्रतिवर्ष होने का मैं पक्षधर हूं।
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
हां इस दुखद सत्य से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता।
(१८) तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
निश्चय ही अमंगलकारी है। इसीलिये तो ब्लोगोत्सव जैसे मंच की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
ये जानकारी संक्षेप में इस प्रकार है-
शैक्षणिक योग्यतायें- मैट्रीकुलेशन-१९९६, इंटरमीडिएट-१९९८, स्नातक-प्राणिविजान (प्रतिष्ठा)-२००१, परास्नातक- जैव-प्रौद्योगिकी-२००६, संप्रति- आई. आई. टी. कानपुर (ऊ.प्र.) में कैंसर पर शोधरत
अवार्ड एवं उप्लब्धियां- जे. एन. यू. द्वारा आयोजित अखिल भारतीय जैव-प्रौद्योगिकी परीक्षा, २००४ में चयन और फलस्वरूप Rs.९६०० वार्षिक छात्रवृत्ति, ग्रेजुएट अप्टीचुड टेस्ट (GATE), 2005 में अखिल भारतीय रैंक-०९५, केंद्रीय वैजानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) परीक्षा, २००६ में फेलोशिप के लिये चयन फलस्वरूप संप्रति Rs १४०००प्रतिमाह की अध्येतावृति २०१२ तक के लिये।
साहित्यिक गतिविधियां- साहित्यानुराग विरासत में प्राप्त, मूलतः कवि (छांदस विधाओं में सृजन), अंतर्जाल और प्रिंट मीडिया में गीत, गज़ल और कविताओं का प्रकाशन, संप्रति एक खंड-काव्य पर कार्यरत।
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
कम से कम इतना एहसान चिट्ठाकारी का तो मुझ पर है ही कि इसने कई स्नेहीजनोंसे मिलाया है। कई आभासी रिश्तों को आत्मीय रिश्तों में तब्दील किया है। स्वभावतः कई संस्मरण हैं। जैसे हाल ही में एक मुशायरे के दौरान पद्मश्री बशीर बद्र जी और पद्मश्री बेकल उत्साही जी जैसे शायरों से मिलने की जड़ में चिट्ठाकारी ही है।
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ : (यदि आप चाहें तो यहाँ ऑडियो/विडिओ का प्रयोग भी कर सकते हैं )
एक ऑडियो प्रस्तुत कर रहा हूँ -
(रात्रि के दिव्य मंडप में वेदी सजी
देर तक होम की भी क्रियायें हुईं
प्रेम के यज्ञ में देह की आहुती
और सांसों में मुखरित ऋचायें हुईं
ज्ञान-आलोक से मन प्रकाशित हुआ
बोधि-तरु सी छुअन वो सुहानी लगी
सृष्टि के आदि में जो समय ने लिखा
मुझमें साकार वो ही कहानी लगी
दो घड़ी में विसर्जित हुआ द्वैत फिर
जब समर्पण की नव-साधनायें हुईं
थे अधर शांत पर मौन ने कुछ कहा
दीप जैसे हो निर्जन में कोई जला
सुप्त थी जो हृदय की मधुर भावना
जागकर नींद से हो गई चंचला
चिर-प्रतीक्षित मिलन के महारास की
मूक-साक्षी दसों ये दिशायें हुईं
थम गया रथ समय का निमिष मात्र को
हो गया लो उदित पुण्य का वो प्रहर
खुल गईं सब हृदय की बंधी ग्रंथियां
प्राण से प्राण जब मिल हुये एकस्वर
शील-संकोच के गिर गये आवरण
दूर मन की सभी वर्जनायें हुईं)
बहुत बहुत धन्यवाद रविकांत जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद यह मंच प्रदान करने के लिए !
प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात
6 comments:
बधाईयाँ और शुभकामनाएं ...!
बहुत बहुत बधाई
रविकांत पाण्डेय को इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
रविकांत पाण्डेय को इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाई
इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
गीतों के साधक रविकांत पांडे जी को बहुत बहुत बधाई...
रवींद्र भाई और ब्लॉगोत्सव २०१० टीम का आभार...
जय हिंद...
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