शास्त्री जे सी फिलिप एक समर्पित लेखक, अनुसंधानकर्ता, एवं हिन्दी-सेवी हैं. उन्होंने भौतिकी, देशीय औषधिशास्त्र, और ईसा के दर्शन शास्त्र में अलग अलग विश्व्वविद्यालयो से डाक्टरेट किया है. आजकल वे पुरातत्व के वैज्ञानिक पहलुओं पर अपने अगले डाक्टरेट के लिये गहन अनुसंधान कर रहे हैं.शास्त्रीजी का बचपन मध्य प्रदेश के ग्वालियर मे बीता था, जहां उन्होंने कई स्वतंत्रता सेनानियों से शिक्षा एवं प्रेरणा पाई थी. इस कारण उन्होंने अपने जीवन में राजभाषा हिन्दी की साधना और सेवा करने का प्रण बचपन में ही कर लिया था. उनका मानना है कि यदि हम भारतीय संगठित हो जायें तो सन २०२५ से पहले हिन्दुस्तान एक विश्व-शक्ति बन जायगा. फिर से एक सोने की चिडिया भी बन जायगा. उनके इस अवदान के लिए ब्लोगोत्सव की टीम ने उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ हिंदी प्रचारक का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर-
(१) पूरा नाम :
शास्त्री जे सी फिलिप
(२)जन्म स्थान :
केरल
(३) वर्तमान पता :
कोचिन विश्वविद्यालय, केरल

(३) टेलीफोन/मोबाईल न.
९९९ ५१९ ८६९०

(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :http://sarathi.info/

(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
मैं कल्कियों.कॉम पर नियमित रूप से वैज्ञानिक आलेख लिखने की कोशिश कर रहा हूं.
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है :
सच कह दूँ तो शायद मेरे चिट्ठामित्रों में सरफुटौव्वल हो जाये अत: इस प्रश्न को प्रश्न ही रहने दें.
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
सामाजिक पुर्ननिर्माण एवं व्यक्ति-प्रोत्साहन से संबंधित विषय
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
जब मैं पांचवी कक्षा में पढता था तब से.
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
बहुत खुशी हो रही है, और साथ में ग्लानि भी कि हिन्दी के लिये मैं उतना सब कुछ न कर पाया जितना करना चाहता था.
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
नहीं, बल्कि मामला उलट है. आवश्यक कार्य कई बार ब्लागिंग में अवरोध उत्पन्न कर देते हैं. चूँकि पापी पेट की जरूरतें ब्लागिंग से नहीं पूरी होती अत: पेट के कारण कई बार ब्लाग को "काटना" पडता है.

(११)ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
ब्लागोत्सव एक अभिनव प्रयोग था एवं इसके लिये रवीन्द्र प्रशंसा के पात्र हैं. इस उत्सव ने हम सब को एक ब्लाग-मेले में शामिल होने का बौद्दिक एव भावनात्मक अनुभव करवाया.

(१२)ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
इसका प्रचार और अधिक होना चाहिये. अगले साल हर चीज की अग्रिम सूचना प्रचार के लिये सारथी को जरूर दे दें. (आपको सारथी पर सूचनायें सीधे पोस्ट करने की सुविधा दे देंगे)
(१३) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
निश्चित रूप से
(१४)आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं, कुछ हद तक सफल भी हो रहे हैं, लेकिन जल्दी ही यह सब महत्वहीन हो जायगा.
(१५)यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
अलगवाद हम सब के खून में हैं और यह कोई नही बात नहीं है.
(१६)आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
पेशे से वैज्ञानिक, लेकिन शौक से समाजसेवक!
बहुत बहुत धन्यवाद .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।
प्रस्तुति: रवीन्द्र प्रभात

19 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 3:24 pm बजे

अच्छा लगा शास्त्री जी के बारे में जानकर।
................
पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.

mala ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 3:52 pm बजे

फिलिप जी को ढेर सारी बधाईयाँ।

पूर्णिमा ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 3:53 pm बजे

शास्त्री जी को बधाईयाँ।

vandana gupta ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 4:11 pm बजे

शास्त्री जी को बधाईयाँ।

गीतेश ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 4:36 pm बजे

ढेर सारी बधाईयाँ।

Udan Tashtari ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 4:43 pm बजे

बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.

Smart Indian ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 5:27 pm बजे

शास्त्री जी की बहुमुखी प्रतिभा को सलाम और बधाई!

Arvind Mishra ने कहा… 16 जुलाई 2010 को 10:28 pm बजे

यह तो बहुत ही उचित निर्णय रहा -शाष्त्री जी का सम्मान हिन्दी ब्लागरी का सम्मान है !
उन्हें बधायी -मुझे यह कहने में तनिक हिचक नहीं है की इससे यह सम्मान ही समानित हो गया है !
आपके चयन को भी साधुवाद !

उन्मुक्त ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 7:02 am बजे

शास्त्री जी को बधाई।

Khushdeep Sehgal ने कहा… 17 जुलाई 2010 को 8:40 am बजे

शास्त्री जी की साधना को नमन,

रवींद्र जी का इस महत्ती कार्य के लिए आभार...

जय हिंद...

Shastri JC Philip ने कहा… 18 जुलाई 2010 को 8:40 pm बजे

आभार मेरे प्रिय साथियो!

सस्नेह -- शास्त्री

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