संजीव तिवारी का छतीसगढ़ी व हिन्दी में समान रूप से लेखन, 1993 से जारी है. इंटरनेट में हिन्दी व छत्तीसगढी भाषा के दस्तावेजीकरण हेतु सतत् क्रियाशील है .छत्तीसगढ की कला, संस्कृति व साहित्य से संबंधित हिन्दी ब्लोग मैगजीन ‘आरंभ’ पर 2007 से छत्तीसगढ से संबंधित विषयों पर स्वयं एवं स्थापित लेखकों की रचनाओं का अनवरत प्रकाशन.. छत्तीसगढी भाषा पर आधारित ब्लाग मैगजीन ‘गुरतुर गोठ’ का संपादन.. .. हिन्दी इंटरनेट व हिन्दी ब्लाग निर्माण से संबंधित तकनीकी लेखों कार्यशालाओं में सहभागिता.सम्मान/पुरस्कार : राष्ट्रभाषा अलंकरण - अंतरजाल में हिन्दी अनुप्रयोग के उन्नयन में उल्लेखनीय भूमिका के लिए छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की ओर से वर्ष 2009 में प्रदान किया गया..ब्लोगोत्सव -२०१० पर प्रकाशित इनके आलेख छतीसगढ़ की पारंपरिक नारी के लिए ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष के श्रेष्ठ क्षेत्रीय लेखक का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है. "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत आज प्रस्तुत है श्री संजीव तिवारी से पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर- |
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(१) पूरा नाम :
संजीव तिवारी
(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :
स्व. श्री आर.एस.तिवारी / स्व.श्रीमती शैल तिवारी / खारून और शिवनाथ नदी के संगम में बसा गांव खम्हरिया, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़
(३) वर्तमान पता :
ए 40, खण्डेलवाल कालोनी, दुर्ग 491001. छत्तीसगढ़
(३) ई मेल का पता :
tiwari.sanjeeva@gmail.com
टेलीफोन/मोबाईल न. :
09926615707 / 0788 2322340
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
आरंभ (http://aarambha.blogspot.com/), गुरतुर गोठ (http://www.gurturgoth.com/), जूनियर कौंसिल (http://jrcounsel4u.blogspot.com/)
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
कोई नहीं
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है :
लिस्ट लंम्बी है
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
प्राथमिकता क्रम - साहित्य, समसामयिक, तकनीक
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
सक्रिय ब्लॉगिंग 2 अप्रैल 2007 से
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
बहुत खुशी हो रही है, मेरे प्रदेश छत्तीसगढ़ की कला, साहित्य, संस्कृति और परंपराओं से नेट पाठकों को परिचित कराने के मेरे छोटे से कार्य को ब्लॉगोत्सव की टीम नें प्रोत्साहन दिया है. मैं इस खिताब को मेरे संपूर्ण जगमग छत्तीसगढ़ का खिताब मानता हूं. मुझे अतिरिक्त खुशी इसलिए है कि भविष्य में विभिन्न प्रदेशों के स्थानीय संस्कृति से परिचित कराने वाले हिन्दी ब्लॉगों को भी इससे प्रोत्साहन मिलेगा.
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
अवरोध अवश्य होता है किन्तु सामन्जस्य बिठाना पड़ता है.
होता है तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?
कार्यालयीन समय में जब भी थोड़ा खाली समय मिलता है समय को सहकर्मचारियों के बीच गपशप में लगाने के बजाय ब्लाग को देता हूं यद्धपि ऐसा करते हुए मैं अपराधबोध से ग्रस्त रहता हूं कि कार्यालयीन समय में मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. घर में जब तक बीबी टीवी देखती है तब तक का समय ब्लॉग का होता है.
(११) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
ब्लॉगोत्सव जैसे आयोजनों से हिन्दी ब्लॉगों की गतिविधियों को बढ़ावा मिला है और ब्लॉगरों में लेखन के प्रति उत्साह बढ़ा है.
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
अनेक ब्लॉग नेक हृदय के अपने ध्येय वाक्य को सौ प्रतिशत पूरा करने वाला. विवादों से परे एक सफल आयोजन. सार्थक लेखन को प्रोत्साहन. सर्वप्रथम विश्वव्यापी आभासी आयोजन. आयोजको की हिन्दी के प्रति निष्ठा और योग्यता.
(१3) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
हां
(१4) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
हां
(१5) क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
नहीं बल्कि इससे गुणवत्ता में निखार आयेगी.
(१6) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
जीवन में कुछ उल्लेखनीय नहीं है.
(17) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
हॉं, मैं शुरूआती समय में छत्तीसगढ़ के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं लेखकों से अनुमति प्राप्त कर उनकी मोटी-मोटी रचनाओं को ब्लॉग पे ब्लॉग बनाकर ब्लॉग के माध्यम से नेट प्लेटफार्म में पहुचा रहा था तो मन कहता था कि बिना हो हल्ला ऐसा बरसों करता रहेगा कोई इसे नहीं देखेगा किसी के भी काम नहीं आयेगा। किन्तु अब उन ब्लागों को पढ़कर जब लोग मुझे मेल करते हैं कमेंट करते हैं या क्लिक काउंटर से आकडा मिलता है तब लगता है कि हां मैंने रात रात भर जागकर मेहनत की है उसका कोई मतलब है. और जब मुझे इस चिट्ठाकारी में योगदान के लिए विगत दिनों मुझे रायपुर में राजभाषा अलंकरण प्रदान किया गया, तब लगा कि प्रयासों का मान करने वाले वाले लोग आपको बिना बोले भी देख रहे हैं।
आपके द्वारा क्ष्ेत्रीय क्षेणी में मुझे चुने जाने पर मुझे दुगनी खेशी हुई मेरे छत्तीसगढ़ में ब्लॉग में क्षेत्रीय योगदान को किसी नें भी रेखांकित नहीं किया क्योंकि गांव का जोगी जोगड़ा कहा जाता है किन्तु आपने मुझे चुना यह मेरे लिए गर्व की बात है, यहां भी वही बात कहूंगा, लोग बिना बोले, बिना टिप्पणी किये भी आपके कार्यों को देख रहे हैं, और खुशी है कि आपके जैसे लोग उन्हें प्रोत्साहित भी कर रहे हैं।
(18) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ :
इसी के लिए बहुत दिनों से प्रयास कर रहा हूं
बहुत बहुत धन्यवाद संजीव जी ....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात
15 comments:
संजीव तिवारी सतत कर्मशील हैं. इस सम्मान की बधाई!
संजीव जी के विचारों को जानकर प्रसन्नता हुई।
एक बार पुन: बधाई।
………….
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
बड़े-बड़े ब्लॉगर छक गये इस बार।
बहुत-बहुत बधाई
संजीव जी को बहुत बहुत बधाई.
संजीव जी को बहुत बहुत बधाई.
बहुत-बहुत बधाई!
बहुत बहुत बधाई ! अनन्त शुभकामनाएं ।
लोक संघर्ष पत्रिका, रविन्द्र भाई सहित लखनउ ब्लॉगर्स एसोसियेशन के सभी सदस्यों एवं टिप्पणीकर्ताओं का मै हृदय से आभारी हूं. आप सबने मुझे स्नेह व सम्मान दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
संजीव जी को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
सजीव विचार।
मेरे ब्लॉग लेखन के प्रेरणा स्रोत भाई संजीव को मेरी ओर से हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें। दिन दूनी रात चौगुनी आपकी प्रतिभा निखरती जावे। हमारा छत्तीसगढ़ गौरवान्वित हुआ इससे।
गाड़ा गाड़ा बधई संजीव भाई ला
अउ हमर छत्तीसगढ वासी मन ला।
जय जोहार
संजीव भाई को बहुत बहुत बधाई...
रवींद्र जी और ब्लॉगोत्सव टीम २०१० का आभार...
जय हिंद...
संजीव जी का चयन एकदम उपयुक्त है, बधाई.
संजीव जी का चयन एकदम उपयुक्त है, बधाई.
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