परिकल्पना पर आयोजित परिचर्चा के अंतर्गत प्रकाशित आलेख भारतीय मुद्रा की ईकाई बनाता रुपया और गुमशुदा होता पैसा (व्यंग्य ) के लिए श्री दीपक मशाल को वर्ष के श्रेष्ठ परिचर्चा लेखक के रूप में चयनित करते हुए ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम के द्वारा उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है ."जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ प्रश्नों के उत्तर -


(१) पूरा नाम :

दीपक चौरसिया 'मशाल'

(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :

श्री लोकेश चौरसिया/ श्रीमती विजयलक्ष्मी चौरसिया/ उरई(जनपद-जालौन) उ.प्र.

(३) वर्तमान पता :

२२, यूनिवर्सिटी स्ट्रीट
बेलफास्ट (उत्तरी आयरलैंड)
यूनाईटेड किंगडम
BT7 1FZ
स्थाई पता: ७३९, मालवीय नगर
बज़रिया
कोंच(जिला-जालौन)
उ.प्र. भारत
२८५२०५

(३) ई मेल का पता

:mashal.com@gmail.com


(३) टेलीफोन/मोबाईल न.

+४४-७५१५४७४९०९

(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :

मसिकागद, नई कलम- उभरते हस्ताक्षर

(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
मैंने शुरुआत नई कलम-उभरते हस्ताक्षर ब्लॉग से की थी और उसके बाद शब्दकार, रचनाकार, महावीर, मंथन, आखर कलश, ब्लोगोत्सव-२०१०, परिकल्पना, हिन्दयुग्म, पहला अहसास, मेरी रचनाएं, भारत ब्रिगेड, मेरी अभिव्यक्ति, प्रवक्ता.कॉम और काव्यांचल.कॉम जैसे महत्त्वपूर्ण एवं सम्मानित चिट्ठों ने स्थान दिया..

(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?
ये एक लम्बी सूची है.. ५वें प्रश्न के उत्तर में जिन ब्लॉग या हिन्दी साइट्स का नाम लिया उनके अतिरिक्त कई सारे ब्लॉग हैं जहाँ काफी अच्छा लेखन हो रहा है.. वैसे कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा को पढ़ सकूं लेकिन समय की कमी ऐसा नहीं करने देती. फिर भी जो अच्छे लगते हैं वो सभी तो नहीं पर उनमें से कुछ ब्लॉगरोल में डाल रखे हैं.
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
मुख्य रूप से समसामयिक विषय, साहित्य, कला, संस्मरण, संगीत, ज्ञानवर्धक लेख इत्यादि भाते हैं.

(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
'नई कलम-उभरते हस्ताक्षर' पर तो जून २००९ में प्रारंभ किया था, आप सबसे ही प्रेरित और प्रोत्साहित होकर एक व्यक्तिगत ब्लॉग 'मसि-कागद' सितम्बर २००९ में प्रारंभ किया..

(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
मैं बिना आदर्शवादी बने सीधे शब्दों में यही कहना चाहता हूँ कि सम्मान हो या ख़िताब हो वो आपके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक ईंधन का कार्य करते हैं.. खासकर तब जब वो पूरी इमानदारी से, सिर्फ आपके काम को ध्यान में रख, किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हुए बगैर दिया जाए. आप एक नयी ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति में लग जाते हैं. लेकिन अगर ये ना भी मिले तो निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया में बहुत सारे अच्छे काम करने वाले लोग हैं और जरूरी नहीं कि खिताब देने वाले की नज़र जल्दी ही आप पर पड़ जाए... कुछ लोगों के काम को समय से पहले सराहना मिल जाती है, कुछ को बाद में या काफी बाद में और कुछ को समय पर. इसलिए बिना इस सब के बारे में सोचे अपने मकसद को पूरा करने में लगा रहूँ इतना संबल देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ.

(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
हाँ कभी-कभी ऐसा होता है पर ज्यादातर मैं ये नहीं होने देता.

यदि होता है तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?
कोशिश करता हूँ कि २ दिन के साप्ताहिक अवकाश में ३-४ पोस्ट लिख लूं और उन्हें बाद में लगाता रहूँ.. लेकिन कई बार किसी आवश्यक विषय पर विचार मन में आते हैं तो उन्हें भी तुरंत किसी तरह समय निकाल कर शब्द दे देता हूँ.

(११) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
जब से ब्लोगिंग शुरू की तब से पहली बार मुझे इस उत्सव में भाग लेने का सौभाग्य मिला इसलिए निश्चित रूप से काफी उत्साहित तो था ही.. खासकर जब श्री रवींद्र प्रभात जी को लखनऊ ब्लोगर्स एशोसिअशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ चिटठा चर्चा का पुरस्कार मिल तब से उनकी चर्चा पढ़ने को मन आतुर था.. और लगा कि वास्तव में उनकी चर्चा हर प्रकार से इस पुरस्कार के योग्य थी.

(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
विभिन्न विषयों पर सैकड़ों लेख पढ़ने को मिले.. कई चिट्ठे जिन पर बेहतरीन लेखन हो रहा है और दुर्भाग्यवश अभी तक ना पहुँच पाया था उनके बारे में जाना, कई नए लोगों के बारे में जाना, कविताओं का चयन भी देखने योग्य था.. सुमधुर, सुगम संगीत के द्वरा आगाज़ से लेकर अंत तक हर प्रस्तुति अपने आप में कोई ना कोई विशेषता समेटे हुए थी.

(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
ये सारे ब्लोगरों का अपना उत्सव होने के बावजूद लोगों ने इसमें पर्याप्त दिलचस्पी नहीं दिखाई, ये बात थोड़ी खटकी.. वैसे उसका एक कारण शायद गुटबाजी का प्रभुत्व होना भी रहा.. लोग अपनी व्यक्तिगत खुन्नस इस उत्सव से निकालते रहे और जिस प्रोत्साहन और स्वागत के योग्य यह था वो इसे नहीं मिला.. देखने में आया कि बाद में कई लोग जो इसमें शामिल नहीं हुए थे वो पुरस्कार और सम्मलेन के नाम पर बहुत जल्दी आगे आ गए.

(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
किसी एक का नाम लूँगा तो दूसरे के साथ अन्याय होगा.. क्योंकि आवश्यक नहीं कि किसी रचनाकार की सभी रचनाएं अच्छी ही हों.. एक तो मैंने सभी को पढ़ नहीं पाया लेकिन जिसे भी पढ़ा उसे दिल से पसंद किया.. मेरी रचनाएं छोड़ दें तो बाकी सभी की स्तरीय लगीं..

(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
रचनाएं लगभग सभी की एक से बढ़ कर एक थीं सिवाय दीपक 'मशाल' की रचनाओं के, क्योंकि वहाँ सुधार की अभी काफी गुंजाइश है... दुख ये है कि मैं सारी रचनाएं नहीं पढ़ पाया, इसके लिए क्षमा भी चाहता हूँ.. किसी दिन समय निकाल कर पढूंगा जरूर.. पर आयोजकों के चयन पर भरोसा है कि जितनी सुन्दर वो रचनाएं थीं जो मैंने पढीं उतनी ही बिना पढ़ी हुई भी होंगीं.

(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
ये प्रथा एक बार प्रारंभ हुई है तो प्रतिवर्ष ये आयोजन होना ही चाहिए.. उत्सव/त्यौहार जिस तरह व्यक्ति में नव-जीवन का संचार करते हैं ठीक वैसे ही ये ब्लोगोत्सव भी नए-पुराने ब्लोगरों को बेहतर लिखने को प्रेरित करता है..

(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
देखिये खेमेबाजी से इंकार नहीं किया जा सकता.. खेमेबाज़ी एक मानवीय प्रवृत्ति है जो हर जगह व्याप्त है और उसका कारण भी यही है कि व्यक्ति जब भी जहाँ भी अपने जैसे मानसिक स्तर के लोगों को देखता है वहीं जाके जुड़ना चाहता है, क्योंकि वो वहाँ स्वयं को अधिक सुरक्षित महसूस करता है. आप ही बताइए कि संसार में ऐसी कौन सी जगह है जहाँ खेमेबाजी नहीं है.. चाहे देश हों, धर्म हो, लेखक हों, अभिनेता हों, खिलाड़ी हों, अधिकारी हों या नेता हों हर कोई अपने आप को समान आवृत्ति की मानसिक सोच वाले लोगों से जोड़ ही लेता है.

(१८) क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
जिस तरह से हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक वैसे ही खेमे या गुटबाजी के भी लाभ भी हैं और हानियाँ भी. जैसे कि कबीर दास जी ने कहा है कि 'निंदक नियरे राखिये.. आँगन कुटी छवाए' यदि वास्तव में आप प्रगति करना चाहते हैं तो ध्यान दीजिए की दूसरे खेमे के लोग आपसे क्या अपेक्षा करते हैं.. आपके जो प्रशंसक होंगे वो आपके औसत या बुरे लेखन पर भी वाह-वाह करके चले जायेंगे या हो सकता है ये कहने में उनका कोई निजी स्वार्थ भी हो.. लेकिन जो आपके गुट का नहीं वो आपको आपकी कमियाँ बता सकता है, भले ही गुस्से में या चिढ़ कर बताये.. उसके बाद आप अपने में सुधार कीजिए.. लिखिए इतना अच्छा कि वो भी मजबूर होकर आपका समर्थन करने आयें.. पर अभी तक खेमेबाजी सिर्फ अमंगलकारी ही लग रही है क्योंकि देखने में आया है कि विपरीत खेमे का ब्लोगर कितना ही अच्छा लिखे लोग उसे पढ़ तो लेते हैं लेकिन ना उसकी कमियाँ बताते हैं और ना ही अच्छाइयां.. उलटे उसे नीचा दिखाने के लिए अन्य कई अस्त्र प्रयोग करते हैं..

(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
ज़िंदगी के २९ सालों ने बहुत कुछ सिखाया है.. अभी तक सीख रहा हूँ और सीखता रहूँगा.. इस तरह से कह सकते हैं कि मैं एक विद्यार्थी हूँ और रहूँगा. वैसे मैं एक कैंसर शोधार्थी हूँ जो हर विषय में, हर विभाग में अपनी दखल बनाना चाहता है.. या कह लें कि हर जगह टांग अड़ाने की आदत है.. काफी सारी विशेषताएं दी हैं ऊपर वाले ने उसका शुक्रगुज़ार हूँ और उन सब क्षमताओं का उपयोग जनहित में करना चाहता हूँ पर चूंकि लोग उसी की सुनते हैं जो ऊंचे मंच पर खड़ा होकर बोलता है, भीड़ में खड़े लोगों की आवाज़ पर कोई ध्यान नहीं देता इसलिए पहले खुद के लिए एक मंच बनाने में लगा हुआ हूँ.. साथ में ये ध्यान भी रखना चाहता हूँ कि 'मुझमें जो भी अच्छा है.. सब उसका है..' कृष्ण और सर लियोनार्दो दा विंची मेरे आदर्श हैं..

(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
संस्मरण है तो लेकिन काफी बड़ा है.. आपको जल्दी ही लिख भेजूंगा॥


बहुत बहुत धन्यवाद दीपक जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।
आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद !

() प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात


22 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 3:19 pm बजे

दीपक मशाल को बहुत बहुत बधाई

shikha varshney ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 3:42 pm बजे

बहुत ही सुलझे हुए और अच्छे विचारों के व्यक्ति है दीपक .
बहुत बहुत बधाई.

M VERMA ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 3:44 pm बजे

दीपक जी को बधाई

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 4:37 pm बजे

दीपक जी हो हार्दिक शुभकामनाएं
विचारों की मशाल हमेशा जीवन पथ आलोकित करती रहे।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 4:44 pm बजे

Dipak ki baat hi juda hai...
Na sirf wo kalam ka dhani hai balki wo sanskaaron ka bhi dhani insaan hai...
mera bahut saara aasheerwaad aur hriday se badhai hai Dipak ko...

girish pankaj ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 4:57 pm बजे

deepak,tum isi tarah mashal ban kar duniya ko raushan karte raho.shubhkamanaen...

Smart Indian ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 5:04 pm बजे

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीपक!

Archana Chaoji ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 5:07 pm बजे

दीपक अपने नाम की तरह हमेशा-- रोशन रहे ....
अपने उपनाम की तरह हमेशा -- प्रज्ज्वलित....
---स्नेहाशीष....

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 5:07 pm बजे

उम्र की तुलना में परिपक्‍व विचार बहुत पसंद आए।

kshama ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 5:18 pm बजे

Deepak ji,badhayi ho!

vandana gupta ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 5:43 pm बजे

दीपक नाम ऐसे ही थोडे है।
दीपक जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।

Arvind Mishra ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 7:58 pm बजे

दीपक जी को बहुत बहुत बधाई!

संजय @ मो सम कौन... ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 8:29 pm बजे

दीपक को बहुत बहुत बधाई और भविष्य के लिये बहुत सारी, ढेर सारी शुभकामनायें।

संगीता पुरी ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 9:05 pm बजे

बहुत अच्‍छे लगे दीपक जी के विचार ..

Udan Tashtari ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:31 pm बजे

बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ..

Unknown ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:36 pm बजे

वाह वाह
बहुत अच्छा लगा बाँच कर,,,,,,,,,,,

दीपक जी को ख़ूब बधाई !

डा सुभाष राय ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:39 pm बजे

आप आन्धियों में भी जलते रहें।

दीपक 'मशाल' ने कहा… 24 जुलाई 2010 को 11:30 am बजे

ब्लोगोत्सव टीम, श्री रवींद्र जी और आप सबका तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ इस अनुज को भी प्रोत्साहित करने के लिए..

Khushdeep Sehgal ने कहा… 24 जुलाई 2010 को 6:46 pm बजे

रचनात्मकता की ये मशाल ब्लॉगवुड का सबसे चमकता दीपक है...इस सम्मान के साथ दुनिया की हर खुशी दीपक के प्रकाश के साथ जुड़े, बड़े भाई की यही कामना है...

रवींद्र जी और ब्लॉगोत्सव टीम २०१० का आभार...

जय हिंद..

दिगम्बर नासवा ने कहा… 25 जुलाई 2010 को 7:26 pm बजे

दीपक मशाल को बहुत बहुत बधाई ...

 
Top