ओम आर्य एक ऐसे कवि/चिट्ठाकार हैं जिन्होंने महज डेढ़ वर्षों की चिट्ठाकारी में वह मुकाम प्राप्त करने में सफल हुए हैं जो शायद हीं किसी को प्राप्त हुआ हो . ओम आर्य मूलत: बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हैं, किन्तु वे विगत छ: वर्षों से गुलाबी शहर जयपुर में अपना बसेरा बना रखा है . इनकी कविताओं के बिंब पाठकों को बरबस ही आकर्षित करते हैं . ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रकाशित उनकी कविताओं को चयन का आधार बनाते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है. "जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर-

(१) पूरा नाम :

ओम आर्य
(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :

श्री राम स्नेही सिंह/ श्रीमती पूनम सिंह / सीतामढ़ी, बिहार
(३) वर्तमान पता :

१११/३१५, अग्रवाल फार्म, मानसरोवर, जयपुर, राजस्थान, पिन: ३०२०२०

ई मेल का पता :omji.arya@gmail.com
टेलीफोन/मोबाईल न. +९१ ९९२८० ३९२१०
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :

मौन के खाली घर में...
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :

कुछ नहीं
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है :

बहुत सारे हैं
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?

प्रेम, अध्यात्म और सामजिक सरोकार से सम्बंधित
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?

२००७ से वेबदुनिया पर
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?

मुझे बेहद ख़ुशी है
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?

बल्कि मैं कहना चाहूँगा कि अन्य कार्यों की वजह से ब्लोगिंग में अवरोध हो जाता है
यदि होता है तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?

सृजन अपने रास्ते खोज हीं लेता है और मेरे लिए भी खोज देता है
(११)ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?

यह एक महोत्सव था, जिसका हिस्सा होना मन में पूर्णता का भाव
पैदा करता है
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?

एक उत्सव जहाँ संगीत, चित्रकला, विचार, कवितायेँ,कहानियां और एक महोत्सव के जितने भी आयाम हो सकते हैं, वे सब इसमें शामिल थे.
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?

मेरे हिसाब से सब उत्सव जैसा हीं था.

(१४)क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?

बिलकुल
(१५)आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?

मनुष्य का स्वभाव है बंटने का, हमें अभी और परिपक्व होना है..मनुष्य से जरा ऊपर.
(१६)यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?

है, परन्तु..मुझे लगता है हिंदी चिट्टाकारी अन्य भाषाओँ में की जाने वाली चिट्ठाकारी से ज्यादा समृद्ध है.
(१७) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :

सब कुछ एक सामान्य व्यक्ति के जीवन जैसा हीं है, सिर्फ ह्रदय जरा कमजोर है.

बहुत बहुत धन्यवाद ओम .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।

धन्यवाद तो मुझे देना चाहिए आपको की आपने अपने इस अनुज को खिताब के काबिल समझा !यह मेरे लिए अपार हर्ष की बात है कि ब्लोगोत्सव-२०१० को आधार मानते हुए इस बार मुझे "वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि " का खिताब दिए जाने हेतु ब्लोगोत्सव की टीम ने प्रस्ताव रखा है. मैं टीम के सभी सदस्यों का तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ. सचमुच मुझे बहुत ख़ुशी है.

प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात

9 comments:

mala ने कहा… 30 जुलाई 2010 को 11:37 am बजे

बधाईयाँ और शुभकामनाएं

पूर्णिमा ने कहा… 30 जुलाई 2010 को 12:33 pm बजे

बहुत बहुत बधाई

वाणी गीत ने कहा… 30 जुलाई 2010 को 1:12 pm बजे

बधाईयाँ और शुभकामनाएं ...!

गीतेश ने कहा… 30 जुलाई 2010 को 1:40 pm बजे

ओम जी,बधाईयाँ !

Smart Indian ने कहा… 30 जुलाई 2010 को 4:36 pm बजे

ओम जी को इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

Udan Tashtari ने कहा… 31 जुलाई 2010 को 1:36 am बजे

इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

Khushdeep Sehgal ने कहा… 3 अगस्त 2010 को 2:06 pm बजे

कल्पनाशील और रचनाकर्मी ओम आर्य जी को बहुत-बहुत बधाई...

रवींद्र भाई और ब्लॉगोत्सव २०१० टीम का आभार...

जय हिंद...

 
Top