हिंदी चिट्ठाकारी में संवेदनशील लेखन से जुडी प्रिती महेता ने ब्लोगोत्सव-२०१० के दौरान अपनी सार्थक सहभागिता से पाठकों को अचंभित करती रही . रश्मि प्रभा जी के द्वारा आयोजित प्राय: समस्त परिचर्चाओं में शामिल होकर इन्होने बिभिन्न विषयों पर गंभीर विमर्श को जन्म दिया . ....इसी क्रम में पुनर्जन्म पर आयोजित परिचर्चा के दौरान इनके विचार कि मेरे लिए मेरा अनोखा बंधन ही पुनर्जन्म है को काफी सराहा गया . इसीलिए ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष की श्रेष्ठ परिचर्चा लिखिका का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर-

(१) पूरा नाम

प्रिती महेता

(२) पति का नाम/जन्म स्थान :

तनय महेता, सूरत गुज़रात

(३) वर्तमान पता :

B - 702, Aalishan Enclave, Adajan - Hazira Road, SURAT - 9

(४) ई मेल का पता :

anokhabandhan@gmail.com , preeti.mehta23@gmail.com

(५) टेलीफोन/मोबाईल न.

09016142462

(६) प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग -

http://ant-rang.blogspot.com
(७) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?

- कोई एक पूरी सूची देना कठिन है

(८) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है ?

- जो हृदय को स्पर्श करे

(९) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?

- 18/11/08
(१०) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?

ऐसा भी होगा सोचा न था , … still shocked..
(११) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?

- जी नहीं...

(१२) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?

- एक अनोखा एहसास था, प्रभावी रहा है उत्सव
(१३) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?

- कई नये आलेख विधा, विषयों, मुद्दों से परिचित कराया इस उत्सव ने उद्देश्य पूर्ण हुए आयोजकों के .
(१४) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?

- मुझे कोई कमी महसूस नहीं हुई

(१५) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?

- वो जिनने बेलाग और साफ़ सुथरा लिखा हैं
(१६) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद आई ?

- All most सभी की , सभी रचनाये एक विशेष खासियत लिए थी ...
(१७) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?

- अवश्य , जरूरी था है रहेगा वार्षिक आयोजन
(१८) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?

- नज़रिया बदलिये समान विचार धाराएं हमेशा मिल जातीं हैं ......... इसे खेमे बाज़ी कहने से मुझे परहेज़ है
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं

- एक चित्रकार, एक ग्रहस्थ, एक व्यवसायिक प्रबंधक, एक ब्लागर उन सबसे पहले प्रिती हूं
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहती हैं ?

- ऐसा प्रसंग नहीं जुड़ा जो सार्वजनिक करने योग्य हो, बस लोग जुडे़, विषय मिले, अंतरज़ाल के ज़रिये पहचान मिली , सब अच्छा रहा अब तक
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ –

कविताओं में मैं सबसे ज्यादा आदरणीया रश्मि प्रभा जी से प्रेरित हूँ , इसलिए इस अवसर पर उन्हीं कि कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रही हूँ -

मैं सोचा करती थी, रिश्ते साथ चलते हैं !
रास्ते एक होते हैं !
हार नहीं मिलती ! पर.....
वक्त ने बताया, वक्त का एक खेल हैं - ये रिश्ते !
बस एक puzzle है...
और उसके लिए पास में होता है - sand टाइमर !
गर जोड़ लिया तुमने रंगों का ताना - बाना,
तो ठीक –
नहीं तो अनसुलझे प्रश्न रह जाते हैं-
सारे रंग बेरंग हो जाते हैं,
अब जाना - ये रिश्ते हमें बहुत रुलाते हैं !


बहुत बहुत धन्यवाद प्रिती जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले।

जी आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद इस महत्वपूर्ण खिताब के लिए
प्रस्तुति: रवीन्द्र प्रभात


20 comments:

सदा ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:52 am बजे

प्रीति जी, इस उपलब्धि पर आपको बहुत-बहुत बधाई,
आपकी तरह ही आदरणीया रश्मि प्रभा जी की रचनाएं मुझे भी प्रेरित करती हैं
उनकी यह पंक्तियां प्रस्‍तुत करने लिये आभार

मैं सोचा करती थी, रिश्ते साथ चलते हैं !
रास्ते एक होते हैं !
हार नहीं मिलती ! पर.....
वक्त ने बताया, वक्त का एक खेल हैं - ये रिश्ते !

पूर्णिमा ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 12:21 pm बजे

बहुत-बहुत बधाई ।

mala ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 12:26 pm बजे

प्रीति जी को हार्दिक बधाई।

kshama ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 12:33 pm बजे

Preetiji,bahut,bahut badhayi ho!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 12:36 pm बजे

Preeti!! tumhe bahut bahut hardik badhai.......:)

hame pata hai, tum wo nayab sitare ho!! jise Rashmi di ne chuna hai.......:)

tum wo ho, jiske pass bahut kuchh hai, har hunar me tum ustad ho, bas tum wo sabko dikhana nahi chahti.......:)

God bless my dear friend!!

tumhari manjile abhi baaki hai dost!!

Aparajita ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 12:58 pm बजे

बहुत बहुत बधाई प्रीति ....
बहुत अच्छा लगा देख कर ...
तुम सचमुच लाजवाब हीरा हो ..
इश्वर तुमको आशीर्वाद दे और तुम और आगे बढ़ो
सफलता ..सुख और समृधि मिले ....दी
अपने अन्दर के कलाकार को बहार आने दो....

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 1:37 pm बजे

बधाई हो बधाई हो बधाई हो

शेरघाटी ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 3:17 pm बजे

प्रीति जी को हार्दिक बधाई।
read बिहार में माओवादी : यानी पैसा उगाओ http://hamzabaan.blogspot.com/2010/07/blog-post_22.html
shahroz

anita agarwal ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 7:23 pm बजे

बहुत बहुत बधाई प्रीती
ईश्वर करे तुम पर्वत की uchayi tak pahucho
khoob agae badho...

ρяєєтii ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 7:24 pm बजे

आप् सभी का तहे दिल से शुक्रिया ..!

Udan Tashtari ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:30 pm बजे

बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ..

Dr Subhash Rai ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:35 pm बजे

प्रीति जी को हार्दिक बधाई।

Dr Subhash Rai ने कहा… 23 जुलाई 2010 को 11:36 pm बजे

प्रीति जी को हार्दिक बधाई।

Smart Indian ने कहा… 24 जुलाई 2010 को 8:56 am बजे

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

Khushdeep Sehgal ने कहा… 24 जुलाई 2010 को 6:41 pm बजे

प्रीति जी को बहुत-बहुत बधाई,

रवींद्र जी और ब्लॉगोत्सव टीम २०१० का आभार...

जय हिंद..

मुन्ना लाल शर्मा ने कहा… 24 जुलाई 2010 को 9:08 pm बजे

बधाई प्रीतिजी ,
जीवन में अभी न जाने कितनी सफलताये प्राप्त करना है दिनों दिनों दिन प्रगति के लिए पुनः एक बार बधाई

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा… 25 जुलाई 2010 को 9:26 am बजे

मेरी भी प्रीति जी को बधाईयां.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा… 25 जुलाई 2010 को 10:00 pm बजे

prriti,
puraskaar aur samman paane keliye hriday se badhai. har unchaaiyan haasil ho, shubhkaamnaayen.

 
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