ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रकाशित ग़ज़लकारों में से एक गज़लकार का चयन करते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गज़लकार के रूप में श्री दिगंबर नासवा को चयनित करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर - |
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(१) पूरा नाम :
दिगम्बर नासवा
(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :
माता - श्रीमती शीला नासवा पिता - स्वर्गीय गिरधारी लाल नासवा, मेरा जन्म स्थान - कानपुर
(३) वर्तमान पता :
मकान नंबर २३, बिल्डिंग नंबर ९, गार्डन जबल अली दुबई संयुक्त अरब अमीरात
(३) ई मेल का पता :
dnaswa@gmail.com
(३) टेलीफोन/मोबाईल न. :
००९७१ ५० ६३६४८६५
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
स्वप्न मेरे ........
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
कुछ रचनाएँ हिंद-युग्म, अनुभूति, साहित्य-शिपि, वेब-दुनिया, ब्लोगोत्सव पर प्रकाशित
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है :
बहुत से कविताओं और गजलों के ब्लॉग
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
कवितायें, ग़ज़ल, अच्छी कहानियाँ
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ? ब्लॉग बनाया दिसंबर २००६ में पर सक्रीय रूप से जुलाई २००८
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
बहुत अच्छा लग रहा है ... जैसे नयी पहचान मिल गयी हो ...
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
अगर जूनून हो तो समय अपने आप निकल आता है .. प्रबंध भी अपने आप ही हो जाता है ... पता ही नहीं चलता कैसे
(11) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ? ब्लोगोत्सव तो जैसे समुन्दर की लहरों की तरह उछालें मार रहा था ... जब मेरी रचना भी शामिल हुयी तो लगा इस विशाल सागर में मेरा भी कोई अस्तित्व है .... बूँद को भी कोई पहचान मिल गयी हो ...
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
चमन में जैसे हर रंग का फूल होता है .. हर रंग की पहचान होती है .. वैसे हो ब्लोगोत्सव ब्लॉग जगत के अलग अलग रंग, साहित्य और कला जगत से जुडी हर विशेषता को अलग अलग रंगों के साथ प्रस्तुत कर रहा था .
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
ब्लोगोत्सव में तो कोई कमी नज़र नहीं आई ...
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
लगभग हर विषय से जुडी रचनाओं ने ...
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
बिलकुल होना चाहिए ..
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
मुझे नहीं लगता की खेमेबाजी बड़े स्तर पर हो रही है ... अभी भी अधिकतर ब्लोगेर्स स्वतंत्र ही रहते हैं ... जो छोटी मोती खेमेबाजी है वो भी समय अनुसार ख़त्म हो जायेगी ..
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूँ ... अधिकाँश बचपन वहां ही बीता है ... स्कूल कॉलेज सब कुछ वहीं से ... लिखने और पढने का शौंक बचपन से ही है जो माँ की आदतों से मिला है ...
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ :
इक इक कर सब छोड़ गए, नाते रिश्तेदार
आँगन में खिलता रहा, फ़िर भी सदाबहार
जब जब ये पंक्तियों याद आती हैं ... उम्र का बीता हुआ दौर और वो घर याद आ जाता है जहां कभी सुहाना बचपन बीता ... फरीदाबाद का अपना घर .....
बहुत बहुत धन्यवाद नासवा जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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प्रस्तुति: रवीन्द्र प्रभात
18 comments:
नासवा जी को बधाई! हमारे पसंदीदा कवि जो ठहरे.
Congrats Digambar ji...!
दिगम्बर नासवा जी को बधाई!
बहुत बहुत बधाई।
दिगम्बर नासवा जी को बधाई!
मुझे बधाई देते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है, कलम की मिसाल तो है ही, दिगम्बर जी खुद एक बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं... साहित्य के प्रति इनकी रूचि सिर्फ इनके लेखन से ही नहीं, पठन से भी है और इनके बहुमूल्य योगदान से भी है ......... इनकी दीदी कहे जाने का गर्व मुझे है
नासवा जी को ढेर सारी बधाई!
नासवा जी को बहुत बहुत बधाई
दिगम्बर नासवा जी को बधाई!
बहुत-बहुत बधाई
दिगम्बर नासवा जी को बधाई!
दिगम्बर नासवा जी बधाई.nice
Aap sab ka bahut baut aabhaar ... Blogutsav ki teem ka aabhaar jo unhone mujhe is laayak samjha ...
दिगम्बर नासवा जी को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ!
जिओ दिगम्बर बाबू!!! बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
Digambar Nasva ji ko bahut,bahut badhai!
दिगंबर भाई को बहुत बहुत बधाई...
रवींद्र जी और ब्लॉगोत्सव टीम २०१० का आभार...
जय हिंद...
इस उपलब्धि के लिये बहुत-बहुत बधाई,
इक इक कर सब छोड़ गए, नाते रिश्तेदार
आँगन में खिलता रहा, फ़िर भी सदाबहार
और उस पर आपकी स्वरचित पंक्तियां अनुपम ।
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