पूरे ब्लोगोत्सव के दौरान रश्मि प्रभा जी एक ब्रांड एम्बेसडर की भूमिका में रहीं . कहीं संवेदनशील कवियित्री के रूप में दिखीं तो कहीं कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन करती हुयी , कहीं परिचर्चा आयोजित कर कार्यक्रम को नया आयाम देती हुयी दिखीं तो कहीं देश के शिखर पुरुष इमरोज का साक्षात्कार लेती हुयीं ..........ब्लोगोत्सव से कई प्रतिभावान रचनाकारों को जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य भी उन्होंने किया और कार्यक्रम की सफलता के लिए उन्होंने उत्सवी स्वर भी दिए .....! ब्लोगोत्सव की टीम उनके इस अवदान को शायद ही कभी भुला पाए ....हम उनके इस जज्बे को सलाम करते हैं .और उनके इस सहयोग हेतु व्यक्तिगत तौर पर आभार भी......! यद्यपि उनका अवदान कई क्षेत्रों में रहा, किन्तु ब्लोगोत्सव के नियम के अनुसार एक व्यक्ति को केवल एक सम्मान ही दिए जाने का प्रावधान है इसलिए ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रकाशित उत्सवी स्वर / कविता पाठ /यादें/प्रभु तुम और मैं ! तथा काव्यनुमा साक्षात्कार के लिए उन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने "वर्ष की श्रेष्ठ कवयित्री" का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . "जानिये अपने सितारों को " के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर - |
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(१) पूरा नाम :
रश्मि प्रभा
(२) पिता -- स्वर्गीय रामचंद्र प्रसाद
माता--- श्रीमती सरस्वती प्रसाद
जन्म स्थान :
सीतामढ़ी (बिहार)
(३) वर्तमान पता :
फ्लैट-४७, NECO NX , निअर दत्त मंदिर चौक ,
विमान नगर, पुणे- १४
(३) ई मेल का पता :
http://www.blogger.com/rasprabha@gmail.com
(३) टेलीफोन/मोबाईल न.-
09371022446
(४) प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
http://lifeteacheseverything.blogspot.com/
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
http://nanhaman.blogspot.com/
http://saptrangiprem.blogspot.com/
http://www.vicharmimansa.com/
http://aakharkalash.blogspot.com/
६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?
हर ख़ास रचनाओं के साथ चलती हूँ ...
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
वे सारे सन्दर्भ जो ज़िन्दगी के मायने देते हैं .
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
काव्य सफ़र ब्लॉग का शुरू हुआ २८ oct २००७ से
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
मैं विस्मयविमुग्ध
शब्द मुस्कुरा रहे हैं
मुखर है हर मौन
इससे ज्यादा क्या कहूँ !
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?
बिल्कुल नहीं... घर के कार्य अपनी जगह हैं और कलम और मन का मान अपनी जगह ...
(११) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
एक उत्सवी एहसास , कई लोगों के रंगों में रंगने का एहसास ...
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
इस उत्सव ने अतीत, वर्तमान और भविष्य को एक सूत्र में बाँध दिया !
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
ऐसा कुछ नहीं लगा...थोड़ी कमी तो हर बड़े प्रयोजन में रहती ही है ....
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
किसे भूलूँ, किसे याद करूँ ?
(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
सबकी अपनी अलग विशेषताएं रहीं
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
जी हाँ, क्योंकि इस तरह के आयोजन में अनगिनत संभावनाएं होती हैं
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
सच कहूँ, मैं इधर गौर नहीं करती...
(१८) यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?
अगर हम खुद पर भरोसा रखें तो अमंगल कैसा !!!
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
व्यक्तिगत जीवन में एक प्रेम का आधार मेरे साथ रहा , जिसको महसूस करने के लिए मैं शब्दों की माँ बनी, नाम दिया --- मृगांक , खुशबू, अपराजिता !
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहती हैं ?
नहीं .
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ :
"नीड़ के निर्माण में,
कभी तूफ़ान में , कभी गर्म थपेडों में...
कभी अनजानी राहों से...
कभी दहशत ज़दा रास्तों से...
माँ से अधिक तिनके उठाए नन्हें चिडों ने...
देने का तो नाम था...
उस देय को पाने के नाम पे...
एक बार नहीं सौ बार शहीद हुए॥
शहादत की भाषा भी नन्हें चिडों ने जाना॥
समय की आंधी में बने सशक्त पंखो को...
फैलाया माँ के ऊपर...
माँ सा दर्द लेकर सीने में॥
युवा बना नन्हा चिड़ा...
झांकता है नीड़ से बाहर,
डरता है माँ चिडिया के लिए...
"शिकारी के जाल के पास से दाना उठाना,
कितना खतरनाक होता है...
ऐसे में स्वाभिमान की मंजिल तक पहुँचने में...
जो कांटे चुभेंगे उसे कौन निकालेगा?"
चिडिया देखती है अपने चिडों को॥
उत्साह से भरती है, ख्वाब सजाती है, चहचहाती है...
"कुछ" उडानें और भरनी हैं...
यह "कुछ" अपना बल है...
फिर तो...
हम जाल लेकर उड़ ही जायेंगे..."
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका रश्मि जी ...आपने अपना अनमोल समय दिया ब्लोगोत्सव को
आपका भी धन्यवाद ब्लोगोत्सव की इस अनोखी परिकल्पना के लिए
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.....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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प्रस्तुति : रवीन्द्र प्रभात
19 comments:
रश्मि प्रभाजी को बधाइयाँ..!
बधाइयाँ..!
U r Our Proud ..! Love U Maa [:)]
बहुत बहुत बधाई !!
ऋग्वेद की पंक्तियाँ मेरी धरोहर रहेंगी - इस सम्मान के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत बहुत बधाई ...
श्मि प्रभाजी को बहुत बहुत बधाई ..
रश्मि प्रभा जी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
रश्मि जी तो ब्लोगजगत का चमकता हुआ सितारा हैं………………बहुत बहुत बधाई रश्मि जी।
बहुत बहुत बधाई रश्मि जी।
बहुत बहुत बधाई ...
Rashmi ji,bahut,bahut badhai!
बहुत बहुत बधाई ! अनन्त शुभकामनाएं ।
रश्मि जी की रश्मि ब्लॉग जगत को हमेशा आलोकित करती रहे...बहुत बहुत बधाई
रवींद्र जी और टीम ब्लॉगोत्सव २०१० का आभार...
जय हिंद...
रश्मिजी को बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनायें ...!
रश्मि प्रभा जी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
रश्मि प्रभा जी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
Rashmi Di........tumko badhai dene ka koi tukk nahi .......tum to sayad is se upar ho chuke ho.......waise tumhhe dekh kar ham jaise bahut saare hain, jo blogger ban gaye, attah ye badhai mere liye...:D
आदरणया रश्मि प्रभा जी
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 में सम्मानित होने पर बहुत बहुत बधाइयां !
मंगलकामनाएं !!
शुभाकांक्षी
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
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