आज मैं अपनी आवाज़ में आपको अपनी एक ग़ज़ल सुनाने जा रहा हूँ । इस ग़ज़ल को मैंने आज से लगभग दो वर्ष पूर्व कानपुर स्थित हरकोटियन बटलर इंस्टीट्युट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी के द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में सुनाया था, तब से इसे मैं कई कवि सम्मेलनों में सुना चुका हूँ मगर ब्लॉग पर आज पहली बार प्रस्तुत कर रहा हूँ -
यह विडिओ तीन भागों में विभाजित है , किन्तु ग़ज़ल एक ही है ....
( भाग-१ )
जुगनुओं रोशनी में नहाना फिजूल
(भाग-२)
शर्त है प्यार में प्यार की बात हो.....
(भाग-३)
चाँदनी रात में चाँद के सामने.....
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6 comments:
मंत्रमुग्ध हो गयी मैं आपकी आवाज़ में ग़ज़ल को सुनकर
Doosre shahar me hun...speakers nahi hain...gazal nahi sun payi..lautke avashy sunungi.
मंत्रमुग्ध हो गयी मैं आपकी ग़ज़ल को सुनकर
बहुत बढिया
अहा!! वाह!! आनन्द आ गया रविन्द्र भाई...बहुत खूब..आनन्द आ गया विडियो देख कर.
लाजवाब!!
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