आज ब्लोगोत्सव में उपस्थित हैं सुश्री अमरजीत कौर.सुश्री कौर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्षा रह चुकी हैं . देश की सर्वाधिक चर्चित महिलाओं में से एक सुश्री कौर वर्तमान में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कौंग्रेस की सक्रिय नेत्री हैं . पिछले दिनों जब ब्लोगोत्सव की घोषणा हुई तो ये किसी कार्यवश लखनऊ में ही थी ,ये ब्लॉग पर उत्सव की परिकल्पना से काफी प्रभावित थीं . एक मुलाक़ात के दौरान लोक संघर्ष के श्री सुमन जी ने इनसे विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातचीत की . प्रस्तुत है उसी बातचीत के प्रमुख अंश-
आपका स्वागत है अमरजीत जी परिकल्पना ब्लॉग उत्सव में
धन्यवाद सुमन जी
किसी सामूहिक उत्सव को आप किस रूप में देखती हैं ?
मेरे समझ से उत्सव वही सार्थक है जिससे जनरुचि जुडी हो, जनभावना जुडी हो और सामूहिकता की भावना जुडी हो . जहां ये तीनों चीजें होती है वहां अपने आप उत्सव का माहौल बनाता चला जाता है . परिवेश में एक नयी आस्था पैदा करने में जो हलचल सफल होता है वही उत्सव है .
कला और सर्जना के ऊपर घोर व्यावसायिक दबाब बाले इस युग में जनरुचि बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण क्या है ?
जनरुचि बिगड़ने की वजह पूंजीवाद की बुराईयाँ है. आज हर कोई गिरावट या जीवन के गिरते मूल्यों का रोना रोता है. दरअसल हमारी पुरानी परंपराओं के जबाब में कुछ लोग रुपयों को ही वेहद महत्वपूर्ण और जिन्दगी में अहम् मानने लगे हैं .पूंजीवाद ने ही आज जिन्दगी इसतरह सोच को प्रभावी करार दिया है. अमेरिकी इसे पूंजीबाजार कहते हैं . पूंजीवाद आज इतना बदनाम है कि कि दुनिया में एक विकल्प बतौर प्रचारित हो रहा है . इसके जरीय आज व्यावसायिक समाज को पैसा बनाने का अधिकार मिल गया है. आप ही देखिये आज व्यापारी कितने हलके बहाने लेकर कीमतें बढ़ा देते हैं. इसलिए मैं तो कहती हूँ कि जनरुचि बिगारने का सबसे बड़ा काम किया है अमेरिकी पूंजीवाद ने .
अंतरजाल पर ब्लोगिंग को आप कितना महत्वपूर्ण मानती हैं ?
एक समय था जब हम अपनी संवेदनाओं को परस्पर बांटने हेतु पत्रिकाओं का सहारा लेते थे . उन पत्रिकाओं का विस्तार और प्रसारण सिमित था . हम अपने सरोकार को प्रतिबद्धता का रूप देने में ज्यादा सफल नहीं हो पाते थे , मगर आज परिस्थितियाँ विल्कुल बदल चुकी है . अंतरजाल के माध्यम से हम अपनी अभिव्यक्ति को वैश्विक पहचान देने में सफल हो जाते हैं . मेरा मानना है कि हर बुद्धिजीवी को ब्लोगिंग से जुड़ जाना चाहिए. मगर इस बात का ध्यान रखा जाए कि लिखने की आजादी का दुरुपयोग न हो .
आज के सांस्कृतिक वातावरण में ब्लोगिंग कितना सहायक है ?
आधुनिक युग में जनसंचार के माध्यमों की लोकप्रियता के कारण संस्कृति दरवारों और महलों की दीवारों से बाहर निकलकर साधारण लोगों के घरों में प्रवेश कर रही है . जनता की चेतना के साथ उनकी सामाजिक हैसियात में भी परिवर्तन आया है .आपके सामने हमेशा यह समस्या बनी रहेगी कि किस पत्रिका को पढूं और किस पत्रिका को न पढूं पर नेट पर बैठकर आप अपनी रूचि के हिसाब से सामग्री जुटा सकते हैं और उपयोग में ला सकते हैं . ब्लोगिंग के लिए सबसे ख़ास बात तो यह है कि यह संपादक के नखरों से परे है . आप मन में जो कुछ चल रहा है ब्लॉग पर दाल दो. यदि आपकी संवेदनाएं परिपक्व है तो आपको अवश्य सम्मान मिलेगा . इसलिए मेरा मानना है कि अभिव्यक्ति के आदान प्रदान के लिए आज सबसे बड़ा माध्यम है ब्लॉग . सबसे ख़ुशी की बात तो यह है कि आज हिंदी ब्लोगिंग समानांतर मीडिया का रूप ले चुका है .
हिंदी चिट्ठाकारों के लिए क्या सन्देश देना चाहेंगी आप ?
देखिये सबसे पहले तो मैं यही कहूंगी कि यदि इसे समानांतर मीडिया के रूप में प्रतिष्ठापित करना है तो हिंदी ब्लोगिंग को अपनी मांसपेशियां मजबूत बनानी होगी .यानी अंग्रेजी की तरह हिंदी ब्लोगिंग को भी अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी . हिंदी ब्लोगिंग में बहुत से अयोग्य व्यक्तियों का प्रवेश हो गया है , इससे गुणवत्ता और प्रमाणिकता दोनों प्रभावित होती है . अयोग्य व्यक्तियों के प्रवेश से हिंदी ब्लोगिंग की स्थिति बिगड़ी है और बिगड़ती जा रही है . इससे बचने के लिए यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सुयोग्य लोग ही ब्लोगिंग करे ....ब्लोगिंग के माध्यम से गुटवाजी और शरारत करने बालो को अग्रीगेटर अंकुश लगाए और चिट्ठाकार उनका सामाजिक बहिस्कार करे तभी हिंदी का विकास संभव है .
प्रयोग के नाम पर ब्लोगिंग को मजाक बनाने वालों से क्या कहेंगी आप ?
मैं तो सिर्फ इतना ही कहूंगी कि नए रंग की खोज में बदरंग न हो जाए हिंदी ब्लोगिंग इस बात का ध्यान रखा जाए . मैं अक्सर ब्लोग्स पोस्ट पढ़ती रहती हूँ . कुछ ब्लॉग तो मुझे बहुत पसंद है जैसे सारथी, कबाडखाना, लोकसंघर्ष. परिकल्पना, कस्बा, उड़न तश्तरी, हिन्दयुग्म आदि मगर कुछ ब्लॉग मुझे बहुत निराश करता है . मैं नाम नहीं लेना चाहूंगी मगर इतना जरूर कहूंगी कि ब्लोगिंग को आज स्वक्ष छवि की दरकार है . भाषा अशुद्ध और स्तरहीन न हो . भू-बाजारीकरण के खतरे में तो यह बात और भी ध्यान देने योग्य है हिंदी ब्लोगिंग भाषा में सुधार लाये . यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो किसी बड़े बदलाव की बात बेमानी है .
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव के बारे में क्या कहना चाहेंगी आप ?
इस उत्सव के सूत्रधार रवीन्द्र प्रभात को देखकर यही महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग को एक नया नामवर मिल गया है, जिसमें एक नयी क्रान्ति की प्रस्तावना करने की पूरी क्षमता है. . इस उत्सव के माध्यम से आप लोगों ने नि:संदेह वह काम कर दिखाया है जो आने वाले समय में प्रेरक का काम करेगा . आज तक शायद किसी ने ऐसी परिकल्पना नहीं की होगी जो आप सभी ने की है . मैंने इंग्लिश ब्लॉग भी खूब पढ़े हैं मगर वहां भी इस प्रकार की पहल अर्थात ब्लॉग पर उत्सव की परिकल्पना आजतक नहीं हुई है ....आप सभी सौभाग्यशाली हैं जो इस उत्सव का हिस्सा बने हैं . परिकल्पना ब्लॉग उत्सव की टीम को मेरी ढेरों शुभकामनाएं !
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7 comments:
ज्ञानवर्धक वार्तालाप को पढकर अच्छा लगा,
अमरजीत जी अपनी बातें बेबाकी से कही।
सुमन जी का आभार
माननीय अमरजीत कौर के विचार उत्प्रेरक हैं
"इस उत्सव के सूत्रधार रवीन्द्र प्रभात को देखकर यही महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग को एक नया नामवर मिल गया है, जिसमें एक नयी क्रान्ति की प्रस्तावना करने की पूरी क्षमता है. . इस उत्सव के माध्यम से आप लोगों ने नि:संदेह वह काम कर दिखाया है जो आने वाले समय में प्रेरक का काम करेगा "
सार्थक है...!
"मैं तो सिर्फ इतना ही कहूंगी कि नए रंग की खोज में बदरंग न हो जाए हिंदी .......ब्लोगिंग के माध्यम से गुटवाजी और शरारत करने बालो को अग्रीगेटर अंकुश लगाए और चिट्ठाकार उनका सामाजिक बहिस्कार करे तभी हिंदी का विकास संभव है ."
पढकर अच्छा लगा....!
इस शानदार साक्षात्कार के लिए आप बधाई के पात्र हैं।
bahut achhaa lagaa interweiw dhanyavaad
comrade amarjeet kaur ko yahan dekhkar aur unse ki gai paricharcha padhkar behad khushi hui. unki kahi gai baaton ko dhyaan dene aur vichaar karne ki aawashyakta hai...
''ब्लोगिंग को आज स्वक्ष छवि की दरकार है . भाषा अशुद्ध और स्तरहीन न हो . भू-बाजारीकरण के खतरे में तो यह बात और भी ध्यान देने योग्य है हिंदी ब्लोगिंग भाषा में सुधार लाये . यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो किसी बड़े बदलाव की बात बेमानी है''
bahut bahut dhanyawaad.
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