चलो तुमको लेकर चलें हम फिजाओं में देश, विदेश .... मेरा शहर, तेरा शहर सब रंग गए हैं उत्सवी रंग में . सबके होठों पर गीत मचल उठे हैं ... कुछ इस तरह-( चलो तुमको लेकर...अपराजिता कल्याणी)पुन: परिकल्पना पर वापस जाएँ
3 comments:
संगीत का ज्ञान और स्वर की मिठास झलक रही है इस गायिका में..बधाई.
सुन कर मन प्रसन्न हुआ.बधाई।
क्या समा बाँधा है,अच्छा लगा सुन कर.
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