अदभुत , अविस्मरनीय , अलौकिक , .. उत्सव के समापन की घोषणा किस तरह हो, यहाँ अदा जी का अनुरोध भी हमें रोक रहा है...
(चलते चलते मेरे ये गीत)
मनुहार भरे स्वर में अपराजिता का आग्रह उत्सव की शोभा बढ़ाते हुए रुकने को विवश कर रहा है
🔽विश्व ब्लॉगकोश से जुड़ें और दर्ज कराएं अंतर्जाल पर अपनी सार्थक उपस्थिति
|
1 comments:
दोनों को ही सुनकर आनन्द आ गया. आभार,
एक टिप्पणी भेजें