मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ
घर में दरार बा बाकी सब ठीक हौ
अबकी छुट्टी मिली त आइब जरूर
हम देत बाई तोहके जबान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
.
भोरहरी में उठे क आदत तूँ छोड़ा
मीठ बोल-बतिया से सबके तूँ जोड़ा
कब ले बितईबू तूँ दिन मड़ई में
लउटब त बनवाईब मकान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
.
गिरल बरधा भी उठ जाई हो अम्मा
भर-भर नाद सानी खाई हो अम्मा
सींग आ गयल होई अब त बछवा के
करवाई दीह ओकार नथान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा



() एम० वर्मा

वाराणसी में पला-बढ़ा, दिल्ली में अध्यापन कार्य में संलग्न हूँ। जब कभी मैं दिल के गहराई में कुछ महसूस करता हूँ तो उसे कविता के रूप में पिरो देता हूँ। अभिनय भी मेरा शौक है।ब्लोगोत्सव के दौरान मैंने दो कविताएँ प्रेषित की किन्तु समापन सन्निकट होने के कारण मेरी एक कविता ब्लोगोत्सव में शामिल हो पायी ....रवीन्द्र जी इस भोजपुरी कविता को ब्लोगोत्सव के बाद प्रस्तुत करने की इच्छा व्यक्त की और मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया ....आज उम्र के इस पड़ाव पर माँ के आंचल मे सिर रखने की इच्छा हुई. मेरे लिये भोजपुरी माँ के आंचल से कम नहीं है।

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12 comments:

Jandunia ने कहा… 11 जून 2010 को 1:20 pm बजे

सुंदर पोस्ट

Razia ने कहा… 11 जून 2010 को 1:37 pm बजे

वाकई भोजपुरी माँ के आँचल से कम नहीं है. सुन्दर रचना .. अनर्द्वन्द को व्यक्त करती हुई.

kshama ने कहा… 11 जून 2010 को 1:49 pm बजे

Bahut,bahut bhavuk aur sundar rachana!

Prabhakar Pandey ने कहा… 11 जून 2010 को 1:52 pm बजे

सादर नमन। ए सुन्नर रचना खातिर बहुत-बहुत आधार...राउर इ बात " ....आज उम्र के इस पड़ाव पर माँ के आंचल मे सिर रखने की इच्छा हुई. मेरे लिये भोजपुरी माँ के आंचल से कम नहीं है। " हमरी दिल के छू गइल। सादर।।
हम अपनी ए भोजपुरिया ब्लाग पर राउर विचार चाहबि। सादर
http://pandiji.blogspot.com

Shekhar Kumawat ने कहा… 11 जून 2010 को 2:07 pm बजे

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Taarkeshwar Giri ने कहा… 11 जून 2010 को 2:08 pm बजे

मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
ka bat h bhaiya, i kavita t pura dil ke chu leh lai.

आचार्य उदय ने कहा… 11 जून 2010 को 2:12 pm बजे

आईये पढें ... अमृत वाणी।

AMAN ने कहा… 11 जून 2010 को 2:24 pm बजे

बहुत नीक रचना बा.

mala ने कहा… 11 जून 2010 को 5:59 pm बजे

बहुत खूबसूरत कविता

पूर्णिमा ने कहा… 11 जून 2010 को 6:00 pm बजे

भावपूर्ण रचना,बधाई।

गीतेश ने कहा… 11 जून 2010 को 6:04 pm बजे

vaah, blogotsav ke baad kee rachanaayen itani sundar hai ki man ko mohit kar gayi....badhayi

GITESH ने कहा… 11 जून 2010 को 6:16 pm बजे

मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा....सुंदर पोस्ट

 
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