आज जिस प्रकार हिंदी ब्लॉगर साधन और सूचना की न्यूनता के बावजूद समाज और देश के हित में एक व्यापक जन चेतना को विकसित करने में सफल हो रहे हैं वह कम संतोष की बात नहीं है । अपने सामाजिक सरोकारों को व्यक्त करने की प्रतिबद्धता के कारण आज हिंदी के कतिपय ब्लोग्स समानांतर मीडिया की दृष्टि से समाज में सार्थक भूमिका निभाने में सफल रहे हैं । हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप देने में हर उस ब्लॉगर की महत्वपूर्ण भूमिका है जो बेहतर प्रस्तुतिकरण, गंभीर चिंतन, समसामयिक विषयों पर सूक्ष्मदृष्टि, सृजनात्मकता, समाज की कुसंगतियों पर प्रहार और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी बात रखने में सफल हो रहे हैं। ब्लॉग लेखन और वाचन के लिए सबसे सुखद पहलू तो यह है कि हिन्दी में बेहतर ब्लॉग लेखन की शुरुआत हो चुकी है जो हिंदी समाज के लिए शुभ संकेत का द्योतक है । वैसे वर्ष-2009 हिंदी ब्लॉगिंग के लिए व्यापक विस्तार और बृहद प्रभामंडल विकसित करने का महत्वपूर्ण वर्ष रहा है , जबकि वर्ष-2010 अपने समापन तक हिंदी ब्लॉगिंग को एक नया आयाम देने में सफल होगा ऐसी उम्मीद की जा रही है.........।



हिंदी चिट्ठाकारी पर मेरे इस विहंगम आलेख को सृजनगाथा ने अपने ताज़ा जून-२०१० अंक में मूल्यांकन स्तंभ के अंतर्गत प्रकाशित किया है, इस आलेख में वर्ष-२००९ के जून-जुलाई तक अस्तित्व में आ चुके   महत्वपूर्ण  हिंदी चिट्ठों की चर्चा हुई है।   इस महत्वपूर्ण और विश्लेषणपरक   आलेख को एक बार अवश्य पढ़ें , क्योंकि यह आलेख नहीं हिंदी ब्लोगिंग का जीवंत  दस्तावेज है -

सृजनगाथा में प्रकाशित इस आलेख के लिए यहाँ किलिक करे

7 comments:

कडुवासच ने कहा… 7 जून 2010 को 5:00 pm बजे

...सार्थक पोस्ट !!!

mala ने कहा… 7 जून 2010 को 5:08 pm बजे

yah to achchhee khabar hai ...abhi padhakar tippani detee hoon

Shekhar Kumawat ने कहा… 7 जून 2010 को 7:24 pm बजे

achhi jankari di aap ne

honesty project democracy ने कहा… 7 जून 2010 को 7:55 pm बजे

विचारणीय और सत्य को खोजती पोस्ट ...

आचार्य उदय ने कहा… 10 जून 2010 को 6:48 am बजे

आईये सुनें ... अमृत वाणी ।

आचार्य जी

Mehak ने कहा… 23 दिसंबर 2010 को 12:30 pm बजे

गहन सद्विचार!
Thanks
Domain For Sale

 
Top