अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की ये पहल प्रशंसनीय है: सुमन सिन्हाअन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की ये पहल प्रशंसनीय है: सुमन सिन्हा

जैसा कि आप सभी को विदित है कि आगामी कुछ महीनों बाद लखनऊ में अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है और इसके क्रियान्वयन की दिशा में ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम पूरीतरह कटिबद्ध है । उल्लेखनीय है कि ब्लोगोत्सव-२०१० में अपनी सकारात्मक टिप्पणियों तथा रचनाओं के साथ शामिल प्रमुख उद्योगपति ,च…

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27Jun2010

वहुप्रतिक्षित परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा शीघ्रवहुप्रतिक्षित परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा शीघ्र

जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत १५ अप्रैल को परिकल्पना पर ब्लोगोत्सव-२०१० की भव्य शुरुआत हुई थी । उल्लेखनीय है कि पहली बार इंटरनेट पर इसप्रकार का अनोखा प्रयोग हुआ है और यह उत्सव हिंदी ब्लॉग जगत के लिए कामयाबी की एक नयी परिभाषा गढ़ने में समर्थ हुआ है . ब्लोगोत्सव के समूचे परिदृश्य को लोकसंघर्ष पत्…

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26Jun2010

परिकल्पना सम्मान-२०१० के सन्दर्भ मेंपरिकल्पना सम्मान-२०१० के सन्दर्भ में

मेरे समझ से ब्लोगोत्सव-२०१० में शामिल सभी रचनाकार आज के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में सर्वाधिक अग्रणी हैं । सभी एक से बढ़कर एक हैं । सभी की रचनाएँ प्रेरणादायक और सारगर्भित है । यही वह कारण था कि बिभिन्न वर्गों से श्रेष्ठ रचनाकारों के चयन में हमारी ब्लोगोत्सव की टीम पूरे पंद्रह दिनों तक माथापच्ची करती …

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24Jun2010

मोहब्बत के सफर पर चलने  वाले राही सुनो : दीपक शर्मामोहब्बत के सफर पर चलने वाले राही सुनो : दीपक शर्मा

मोहब्बत के सफर पर चलने वाले राही सुनो,मोहब्बत तो हमेशा जज्बातों से की जाती है,महज़ शादी ही, मोहब्बत का साहिल नहीं,मंजिल तो इससे भी दूर, बहुत दूर जाती है ।जिन निगाहों में मुकाम- इश्क शादी हैउन निगाहों में फ़कत हवस बदन की है,ऐसे ही लोग मोहब्बत को दाग़ करते हैंक्योंकि इनको तलाश एक गुदाज़ तन की है ।जिस …

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22Jun2010

दीपक शर्मा की एक ग़ज़ल और एक नज़्मदीपक शर्मा की एक ग़ज़ल और एक नज़्म

ग़ज़ल लो राज़ की बात आज एक बताते हैंहम हँस-हँसकर अपने ग़म छुपाते हैं,तन्हा होते हैं तो रो लेते जी भर करसर-ए-महफ़िल आदतन मुस्कुराते हैं.कोई और होंगे रुतबे के आगे झुकने वालेहम सिर बस खुदा के दर पर झुकाते हैंमाँ आज फिर तेरे आँचल मे मुझे सोना हैआजा बड़ी हसरत से देख तुझे बुलाते हैं .इसे ज़िद समझो या हमारा …

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21Jun2010

उदास इतिहास की सधी हुई आवाज-सफाई कामगार समुदायउदास इतिहास की सधी हुई आवाज-सफाई कामगार समुदाय

संसार आज नित्यप्रति मानो सिमटता-सिकुड़ता जा है। अपने देश के भीतर का भी अधिकांश समाज इसी दौड़ में शामिल हो चुका है। ऐसे में इस प्रकार की पुस्तकें सामाजिक अध्ययन और आचार-विचार की दिशा में, आधुनिक भारतीय समाज के मौजूदा परिवेश को समझने में काम आनेवाली है।देश और दुनिया के अधिकांश की सामाजिक संरचना में गह…

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16Jun2010

हरिओम पवार की कविता : भारत का इतिहासहरिओम पवार की कविता : भारत का इतिहास

ब्लोगोत्सव के बाद की इस परम्परा में आज प्रस्तुत है देश के एक बहुचर्चित ओज कवि श्री हरिओम पवार की कविता : भारत का इतिहास .....इस विडिओ में कवि ने यह कहने का साहस जुटाया है कि कैसे एक ही कर्म के लिए इतिहास ने दो विशेषण दिए ...कैसे भारतीय इतिहास को अपने ढंग से लिखने का स्वांग रचा इस पुरुष प्रधान समाज न…

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15Jun2010

विश्व की सबसे बड़ी भारतीय रेल का कड़वा सचविश्व की सबसे बड़ी भारतीय रेल का कड़वा सच

मैं शशि सिन्घल उत्तर प्रदेश के अपनी लाजवाब व सुन्दर धरोहर के लिए समूचे विश्व में प्रसिद्ध शहर आगरा में पली - बढ़ी हूं । यदि हम आज से पन्द्रह - सोलह बरस पीछे जाएं तो पाएंगे कि उस दुर में लड़कियों का घर से बाहर कदम रखना तो दूर उन्हें ज्यादा पढ़ने लिखने की इजाजत तक न थी । इन विषम परिस्थितियों में मैंने आ…

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14Jun2010

क्या हकीकत में टाईम ट्रेवल करना और टाईम मशीन बनना असंभव है?क्या हकीकत में टाईम ट्रेवल करना और टाईम मशीन बनना असंभव है?

मैं प्रवीण शाह विराम से पूर्व आपको शाश्वत सत्य की कथा सुना रहा था , और अब टाईम ट्रैवल और टाईम मशीन के बहाने ज्योतिष शास्त्र के विज्ञान होने या न होने का विश्लेषण...........मेरे सत्यसाधक मित्रों,गणित की ही तरह तर्कशास्त्र में भी यदि हम दो परस्पर विपरीत कथनों की एक साथ तुलना करते हैं, तथा हम पूरे विश्…

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14Jun2010

मैं यानी मैं यानी "शाश्वत सत्य" आज आपके सामने हूँ

मैं प्रवीण शाह आप ही की तरह एक चिट्ठाकार हूँ , मगर मेरी विवशता है कि मैं काला को सफ़ेद और सफ़ेद को काला नहीं कह सकता ....मैं तो 'काले' को 'काला' ही कहूँगा और 'सफेद' को 'सफेद',आप भले ही मुझे कुछ भी कहो . . .मगर सुनिए मेरी भी !जी हाँ, मैं ही हूँ "शाश्वत सत्य"... और आप चाहो या न चाहो.. थोड़ी देर बाद आपका…

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14Jun2010

विवेक रस्तोगी बता रहे हैं टर्म इंश्योरेंस के बारे मेंविवेक रस्तोगी बता रहे हैं टर्म इंश्योरेंस के बारे में

टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) बहुत जरुरी है पर ये लोगों को पसंद नहीं है, क्योंकि वो इसे पैसे की बर्बादी मानते हैं, वो सब लोग गलत हैं क्यों ? आइये देखते हैं टर्म इंश्योरेंस में जमा किये हुए धन से वापिस कुछ नहीं मिलता है इस कारण से ज्यादातर लोग इसे पसंद नहीं करते हैं मेरा मानना है की यह एक मनोवैज्ञ…

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12Jun2010

धर्मेश शर्मा की दो कविताएँधर्मेश शर्मा की दो कविताएँ

भारतीय की जान की कीमत (बाल-बुद्धि भारतियों पर कवि का कटाक्ष)अरे - समझौता गाड़ी की मौतों पर - क्या आंसू बहाना थाउनको तो - पाकिस्तान नाम के जहन्नुम में ही - जाना थामरने ही जा रहे थे - लाहौर, करांची - या पेशावर में मरतेऔर उनके मरने पर - ये नेता - हमारा पैसा तो ना खर्च करतेऔर तुम - भारतियों, टट्पुंजियों…

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12Jun2010

राजीव कुमार थेपड़ा की दो कविताएँराजीव कुमार थेपड़ा की दो कविताएँ

संक्षिप्त परिचय : नाम : राजीव कुमार थेपड़ा [वर्मा] जन्म-तिथि :24 सितम्बर 1970 शिक्षा :बी ए आनर्स [दर्शन-शास्त्र] रूचि :रंगमंच,गायन,लेखन तथा सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय [था] विशेष :1997 में इन्डियन फ़िल्म एन्ड थियेटर अकादिमी [दिल्ली] के टापर अभिनय-गायन-लेखन-निर्देशन में सैंकड़ों मंचन पत्र-पत्रिकाओं…

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12Jun2010

ज़िन्दगी की श्रृंखला से मुक्त होकर जाती हुई आत्मा ने एक बार पीछे मुड़कर देखा -- वह कितना विस्मयकारी था ....ज़िन्दगी की श्रृंखला से मुक्त होकर जाती हुई आत्मा ने एक बार पीछे मुड़कर देखा -- वह कितना विस्मयकारी था ....

कविवर पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद जी के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने के समान है । वैसे ब्लोगोत्सव के दौरान आप कई महत्वपूर्ण क्षणों में आदरणीया सरस्वती जी को अपनी समक्ष पाए हैं । समयाभाव के कारण ब्लोगोत्सव के दौरान उनकी एक महत्वपूर्ण कविता प्रकाशित नहीं हो पायी थी , जिसे …

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12Jun2010

संगीता पुरी की कहानी : थम गया तूफ़ानसंगीता पुरी की कहानी : थम गया तूफ़ान

संगीता पुरी जी आज के चर्चित हिंदी चिट्ठाकारों में से एक हैं , इन्होने पोस्‍ट-ग्रेज्‍युएट डिग्री ली है अर्थशास्त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्योतिष को .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकालने में सफ़लता पाते रहना .. बस यही सकारात्‍मक सोंच रखती हैं ये .. सका…

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12Jun2010

शमा की कविता : वो वक़्त भी कैसा था ?शमा की कविता : वो वक़्त भी कैसा था ?

वो वक़्त भी कैसा था..... कुछ रंगीन कपडे के टुकड़े ,कुछ धागे , और कल्पना के रंग ॥इन के मेलजोल से मैंने बनाया है यह भित्ति चित्र...जब कभी देखती हूँ,अपना गाँव याद आ जाता है॥वो वक़्त भी कैसा था,सुबह का सुनहरा आसमाँ,हमेशा अपना लगता था!तेरा हाथ हाथों में रहता,शाम का रेशमी गुलाबी साया,कितना पास लगता था !र…

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11Jun2010

किसी का सम्मान हो गया है...खुशदीपकिसी का सम्मान हो गया है...खुशदीप

समारोह में किसी का सम्मान हो गया है, क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...?सिर पर पत्थर उठाता है बबुआ, क्या बचपन सच में जवान हो गया है...?क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...बूढ़े बाप का ख़ून जलाता है बेटा,क्या सही में लायक संतान हो गया है...?क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...नारी है आज इस देश की राष्ट्रपति…

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11Jun2010

एम० वर्मा की भोजपुरी कविता : छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौएम० वर्मा की भोजपुरी कविता : छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ

मत करा तूं जियरा हलकान अम्माकाहें एतना हो गइलू परेशान अम्माछोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौघर में दरार बा बाकी सब ठीक हौअबकी छुट्टी मिली त आइब जरूरहम देत बाई तोहके जबान अम्मामत करा तूं जियरा हलकान अम्माकाहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा.भोरहरी में उठे क आदत तूँ छोड़ामीठ बोल-बतिया से सबके तूँ जोड़ाकब ले बि…

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11Jun2010

रश्मि प्रभा की कविता : प्रभु तुम और मैं !रश्मि प्रभा की कविता : प्रभु तुम और मैं !

प्रभु तुम और मैं !------------------------------कस्तूरी मृग बन मैंने ज़िन्दगी गुजारीप्रभु तुम तो मेरे अन्दर ही सुवासित रहे !मैं आरती की थाल लिएव्यर्थ खड़ी रहीप्रभु तुम तो मेरे सुकून से आह्लादित रहे !मेरे दुःख के क्षणों मेंतुमने सारी दुनिया का भोग अस्वीकार किया,तुम निराहार मेरी राह बनाने में लगे रहेऔ…

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11Jun2010

चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना कभी अलविदा नाम कहनाचलते चलते मेरे ये गीत याद रखना कभी अलविदा नाम कहना

अदभुत , अविस्मरनीय , अलौकिक , .. उत्सव के समापन की घोषणा किस तरह हो, यहाँ अदा जी का अनुरोध भी हमें रोक रहा है... (चलते चलते मेरे ये गीत)मनुहार भरे स्वर में अपराजिता का आग्रह उत्सव की शोभा बढ़ाते हुए रुकने को विवश कर रहा है(ये लम्हा फिलहाल जी लेने दे)पुन: परिकल्पना पर वापस जाएँ …

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10Jun2010

समय थम गया है , मंच पर मौजूद है हमारी आर्मीसमय थम गया है , मंच पर मौजूद है हमारी आर्मी

समय थम गया है , मंच पर मौजूद है हमारी आर्मी..... जी हाँ ये यहाँ आने से खुद को रोक नहीं पाए हैं ....देखें ये जूनून ........ क्या समा है, क्या अनोखा दृश्य , अनुपम छटा... और अपराजिता कल्याणी -(सुरतिया मतवारी )पुन: परिकल्पना पर वापस जाएँ …

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10Jun2010
 
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