यह कविता प्रख्यात चित्रकार श्री इमरोज से मिलने के बाद महसूस किये गए क्षण पर आधारित है . अपनी कविता में रश्मि प्रभा जी अभिव्यक्त कर रही हैं कल्पना से हकीकत तक के सफ़र की कथा, कि उन्होंने कैसे उनके विषय में जाना , कैसे बातों का क्रम शुरू हुआ, कैसे मिली और अब सबकुछ कितना सहज है .......यह कविता प्रेम के इस उत्सव के लिए रश्मि प्रभा जी ने ख़ास तौर पर प्रेषित किया है .


!! सपने से हकीकत तक !!

एक नन्हीं सी लड़की थी
तितली जैसी
उड़ते उड़ते
वो ख्यालों के बागीचे में पहुंची
घर के लोग कह रहे थे
'मुश्किल है इमरोज़ सा होना'
लड़की ने अपने पंखों को विराम दिया
बगीचे में गुमसुम सी बैठ गई
'कौन है यह इमरोज़
कैसा होगा
क्या उसे पाना इतना मुश्किल है !'


लड़की ने सोचा -
मेरे पास तो पंख हैं
और खूबसूरत रंग भी है
भला क्यूँ मुश्किल होगा इमरोज़ को पाना
सपनों की धरती पर उसने लिखा-

'इमरोज़'
और दूसरे काम में लग गई
सपने हकीकत होते हैं एक दिन
तो मिलेगा इमरोज़ एक दिन
सोचकर आगे बढ़ चली

नन्हीं लड़की बड़ी हुई
लड़की से माँ बन गई
पर चलते चलते
सपनों के झांकना नहीं भूली ..

वक़्त मुस्कुरा उठा
सपने आकर कॉल बेल बजाने लगे
'ये है नंबर इमरोज़ तक पहुँचने का'..

'हलो इमरोज़ जी से ..'
'मैं इमरोज़ ...'
और वाणी को बर्फ ने छू लिया
यह स्वप्न है या हकीकत !
दुविधा लिए मैंने जाने क्या कहा
क्या नहीं
पर हिम्मत बढ़ी
नज़्मों को आवाज़ बनाकर भेजा
और लौटती डाक ने घंटी बजाई
'खोलो द्वार
मैं इमरोज़
अमृता को लेकर
तुम्हारे पास आया हूँ '
पैरों को बर्फ ने छुआ
पर हौसला बना रहा ...

'हलो, मेरी ख्वाहिश है
आप मेरे काव्य-संग्रह का विमोचन करें...'...

'करूँगा .. कहो कहाँ
पुणे,दिल्ली या घर पर ..'
इसे कहते हैं सादगी भरी विनम्रता
यूँ ही इमरोज़ इमरोज़ नहीं हुए !
विमोचन , साक्षात्कार
यूँ लगा
सारे सपने देवदार की कद में
हकीकत बन उठे हैं !

नज़्मों से उपहारों का सिलसिला चला
जन्मदिन का तोहफा मिला
रात के १२ बजे (१३ फरवरी) मोबाइल बज उठा
' रश्मि सालगिरह मुबारक हो '
और प्रख्यात चित्रकार के ढेरों चित्र
बर्थडे गिफ्ट बन गए

वक़्त दर वक़्त इमरोज़
जो सपने जैसा ख्याल रहा
"एक कहानी प्यार भरी"
वह मेरे आज में शामिल हो उठा
गुड मोर्निंग से गुड नाईट तक !

() रश्मि प्रभा
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21 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 3:40 pm बजे

हपने ही हकीकत का रूप ले लेते हैं और आप हकीकत से रूबरू हुयीं....इस रचना में आपने जीवन के हंसीं पलों को जिया है....बहुत अच्छी रचना....दिल से निकला एक एक लफ्ज़ ...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 4:32 pm बजे

सपनो को हकीकत में तब्दील करना कोई तुमसे सीखे "दी"!! वैसे भी कोई भी तुम्हें न नहीं कर पाता है!! और वो तो "इमरोज" हैं.......!! मुझे ख़ुशी है, तुम्हारे दिए पलों के कारण, मैं भी अपने को इमरोज के कंधे से कन्धा सटा कर फोटो खिंचवा सका!!........धन्य हूँ मैं

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 4:38 pm बजे

सपनो को हकीकत के रूप में पाने की काव्य यात्रा है आपकी कविता... कितना सुखद होता है सपनो का साच होना... आपकी कविता बताती है... अद्भूद संयोजन..

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 4:39 pm बजे

उपहार जब मुख्‍यहार बनता है तो अच्‍छा ही लगता है। मन का महल विचारों में सजता है।

सुनील गज्जाणी ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 4:53 pm बजे

आदरणीय दीदी को सदर प्रणाम ,
'' सपने से हकीका '' नमक एक लंबी कविता पढ़े को मिली , साधुवाद . , कविता के माद्यम से आप के जनमदि [ १३ फेब्रुअरी ] का पता चला , आदरणीय श्री इमरोज़ जी को भी सादर प्रणाम,
आभार

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 5:22 pm बजे

waah mam bahut khubsurti ke sath aythart savpan ka ankan kiya hai sbdon ke jariye ....khubsurt si rachna ki badhai ......

Himanshu Pandey ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 5:48 pm बजे

संवेदना को स्पर्श देती कविता ! इमरोज प्रेम को जीने वाले व्यक्तित्व हैं !आकंठ प्रेम पगे !
रचना भी वैसी ही प्रेम पगी !
आभार !

दिगम्बर नासवा ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 5:54 pm बजे

गजब के भाव ... गहरी संवेदनाओं का सागर है यह रचना ...

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 6:06 pm बजे

rashmi ji,
aapke sapno ki udan apne mukaam tak pahunchi, shabdon ke roop mein bahut khoobsurti se dhaala hai aapne. amrita ji se milne ka sapna maine bhi dekha thaa, sabse dukhad ki unke ghar ke paas hote hue bhi kaafi baad mein mili jab wo nazm likhte likhte khud kahani ban chuki thee. unhe aakhiri pal mein hin sahi dekhi, lekin ab jab bhi imroz ji se milti hun amrita ji ko us ghar mein hamesha pati hun.
aapke sabhi sapne falibhoot hon, bahut badhai aur shubhkaamanyen.

निर्मला कपिला ने कहा… 15 अप्रैल 2010 को 11:51 pm बजे

बहुत सुन्दर रचना है रश्मि जी ने बखूबी भावनाओं को शब्द दिये हैं ।शुभकामनायें

संजय भास्‍कर ने कहा… 16 अप्रैल 2010 को 12:31 am बजे

संवेदना को स्पर्श देती कविता ! इमरोज प्रेम को जीने वाले व्यक्तित्व हैं

वाणी गीत ने कहा… 16 अप्रैल 2010 को 5:01 am बजे

इमरोज़ और रश्मि जी की मुलाकात के सफ़र को कविता में ढला पाया ...
बहुत कम लोगों के देखे हुए सपने साकार हो पाते हैं ....
आपके जरिये हम भी इमरोज़जी और उनकी नज्मों से परिचित हुए ...ब्लोगिंग बहुत हद तक ऐसे मुलाकातों के सपने पूरे कर रही है ...सिर्फ एक क्लिक पर विशाल मंच सामने है ...

Khare A ने कहा… 16 अप्रैल 2010 को 11:26 am बजे

सपनो का हकीकत में बदलना,
वास्तव में अचंभित कर देना वाली घटना होती हे
ये और भी अपने आप में , महत्वपूर्ण हे कि
वो जो सपने थे, वो अपने ही थे
वाओ रश्मि दी, सपनो से हकीकत और हकीकत को
जादुई शब्दों का लिबास , जो आपने पहनाया है
अपनी इस हकीकत में, कमाल का है
बधाई

ρяєєтii ने कहा… 16 अप्रैल 2010 को 12:02 pm बजे

खुदा करे हर सपना हकीकत में तब्दील हो आपका ....
आमीन... ILu..!

prithwipal rawat ने कहा… 16 अप्रैल 2010 को 12:30 pm बजे

sapne ka hakikat main badalna mubaarakh ho!


or bhawisy ka har sapna hakikat main badal jaye ye dua hai!!!

aamin!!!!!

स्वप्निल तिवारी ने कहा… 16 अप्रैल 2010 को 3:12 pm बजे

ab main mehsoos sakta hun ...imroz ji ke liye aap ki shraddha ko...amrita ji ke liye aap ke pyar ko ..apne bhi nazm likhte likhte painting kar di hai ....nazm padhte padhte lag raha tha..main paintings dekh raha hun ...har line ke sath painting badal jaati hai .. :)

सुरेश यादव ने कहा… 18 अप्रैल 2010 को 12:44 pm बजे

रश्मि जी आप सचमुच बहुत संवेदनशील हैं इमरोज जी से मिलकर जिन संवेदनाओं को आप ने व्यक्त किया ,कविता के रूप में बहुत महत्वपूर्ण हैं आप को हार्दिक बधाई.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा… 17 सितंबर 2010 को 4:35 pm बजे

एक नन्हीं सी लड़की थी
तितली जैसी
....ठीक वैसे..जैसी मैं...प्यारी लगी यह कविता.
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'शुक्रवार' में चर्चित चेहरे के तहत 'पाखी की दुनिया' की चर्चा...

Ramu ने कहा… 19 सितंबर 2010 को 11:21 am बजे

बहुत सुंदर रचना..बधाई

http://veenakesur.blogspot.com/

वीना श्रीवास्तव ने कहा… 19 सितंबर 2010 को 11:34 am बजे

अच्छी रचना...इमरोज जी तो प्रेम की परिभाषा है...

बेनामी ने कहा… 23 सितंबर 2010 को 10:42 am बजे

This is the most amazing paper I read all month?!?

Adan

 
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