धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है,
जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर -मस्जिद-गिरजे सबको
तोड़ चुका हो मतवाला,
पंडित-मोमिन-पादरियों के
फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का-
स्वागत मेरी मधुशाला ।


() डा हरिवंश राय बच्चन
 
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