खुशदीप सहगल हिंदी चिट्ठाकारी के वेहद उदीयमान,सक्रीय और चर्चित चिट्ठाकारों में से एक हैं ! जिनके पोस्ट आकर्षित करते हैं और भाषा सम्मोहित करती है ....जिनके कथ्य और शिल्प में गज़ब का तारतम्य होता है ! विगत दिनों ब्लोगोत्सव-२०१० के दौरान उनका व्यंग्य "टेढा है पर मेरा है" और "किसी का सम्मान हो गया " प्रकाशित हुआ था जिसे आधार बनाते हुए उन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के चर्चित उदीयमान ब्लोगर का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है . " जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत आज प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर- |
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खुशदीप सहगल
(२) पिता/माता का नाम/जन्म स्थान :
श्री राम अवतार सहगल, श्रीमति कांता सहगल, (मेरठ)
(३) वर्तमान पता :
757, सेक्टर 28, नोएडा (उत्तर प्रदेश)
ई मेल का पता :
sehgalkd@gmail.com
टेलीफोन/मोबाईल न.
9873819075, 0120-2450757
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग : देशनामा http://deshnama.blogspot.com/
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
... नुक्कड़ से जुड़ा हूं, लेकिन समय नहीं दे पाता
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?
.. गिनवाने बैठा तो फेहरिस्त खत्म होने का नाम नहीं लेगी, कुछ नाम जो फौरी तौर पर ज़ेहन में आ रहे हैं- उड़न तश्तरी, फुरसतिया, अदा जी का काव्यमंजूषा, अनवरत, अजित गुप्ता जी, अजित वडनेरकर जी, डॉ टी एस दराल, अनिल पुसदकर, डॉ अरविंद मिश्र, जी के अवधिया जी, बी एस पाबला जी, अविनाश वाचस्पति, कविता वाचक्नवी जी, राजीव तनेजा, ललित शर्मा, अजय कुमार झा, शिखा वार्ष्णेय, रश्मि रवीजा, शेफाली पांडे, ताऊ, दीपक मशाल, शोभना, संगीता पुरी जी, सतीश सक्सेना जी, इरफ़ान भाई, शाहनवाज सिद्दीकी, महफूज़ अली, संगीता स्वरूप जी, हरकीरत हीर जी, वंदना जी, धीरू सिंह जी, विवेक रस्तोगी, शिवम मिश्रा, देव कुमार झा...और भी बहुत सारे नाम हैं
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?-
... ऐसे विषय जिनसे हमारे और समाज पर सीधा असर पड़ता है, हास्य, फिल्म
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
... 16 अगस्त 2009
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?-
...खुद को सातवें आसमान पर देख रहा हूं लेकिन क्या करूं कभी ज़मीन से पैर न हटाने की कसम जो खा रखी है...
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?-
... मैं जिस पेशे में हूं, वहां कभी ब्लॉगिंग के बारे में नहीं सोचता...लेकिन घर की ज़िम्मेदारियों और नींद से ज़रूर कभी-कभी ब्लॉगिंग के शौक के चलते समझौते करने पड़ते हैं...
यदि होता है तो उसे कैसे प्रबंध करते है ?...बस अपने आप ही हो जाता है...यहां मुझे अमिताभ बच्चन जी का कथन याद आता है...अगर इनसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है...
(११)ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
... बहुत अच्छा
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
...अपनी तरह का अभिनव, अनूठा और सार्थक प्रयास रहा, सभी की श्रेष्ठ रचनाएं एक मंच पर मिल जाएं, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है...
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
....ये पूरी तरह आभासी रहा...ऐसे आयोजनों में एक-दो दिन के लिए सबके मिलने का कहीं कार्यक्रम ज़रूर होना चाहिए..
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
... आपने चुन चुन कर नगीने पेश किए थे, सभी रचनाएं बेजोड़ थीं
(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
...साल में एक ही बार क्यों, ऋतुओं के हिसाब से चार बार होना चाहिए...
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?...रवींद्र जी, जैसा आदमी सोचेगा, उसे वैसा ही लगेगा...क्या खेमेबाज़ी के ज़रिए किसी अयोग्य को भी आगे बढ़ाया जा सकता है....ये सब मन का वहम है...आप अच्छा लिखेंगे तो आपको ज़रूर सराहा जाएगा...
(१८) यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?...
देखिए अगर हर ब्लॉगर अपने को संपादक समझते हुए अपनी ज़िम्मेदारियों का गंभीरता से निर्वाहन करें तो इस तरह के प्रश्न ही नहीं उठेंगे...
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
सीधा सपाट है, जो घटता है वो ब्लॉग पर आप सबसे शेयर करता ही रहता हूं...हां, ब्लॉगिंग शुरू करने के बाद मेरा आत्मविश्वास ज़रूर बढ़ा है
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
मेरे ब्लॉगिंग शुरू करने के दस दिन बाद ही मुझे भारत के श्रेष्ठ हिंदी न्यूज़ प्रोड्यूसर का अवार्ड मिला था...जूरी में तरुण तेजपाल, मधुर भंडारकर जैसी हस्तियां थीं....
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ : (यदि आप चाहें तो यहाँ ऑडियो/विडिओ का प्रयोग भी कर सकते हैं )
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विकास या विनाश
वो कहते हैं,
विकास हुआ है,
मैं कहता हूं,
विनाश हुआ है,
वो कहते हैं,
सभ्यता फूली-फली है,
मैं कहता हूं,
मानवता सड़ी-गली है,
वो कहते हैं,
पहले इनसान नंगा था,
मैं कहता हूं,
अब आत्मा नंगी है,
वो कहते हैं,
सबको हक़ मिले हैं,
मैं कहता हूं,
ज़ेबों के मुंह खुले हैं,
वो कहते हैं,
नारी को अधिकार मिले हैं,
मैं कहता हूं,
नारी को बाज़ार मिले हैं,
वो कहते हैं,
मैं बहुत बोलता हूं,
मैं कहता हूं,
वो मतलबी ही क्यों बोलते हैं,
वो कहते हैं,
विकास हुआ है,
मैं कहता हूं,
विनाश हुआ है...
बहुत बहुत धन्यवाद खुशदीप जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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धन्यवाद तो मुझे देना चाहिए आपको इस सम्मान के लिए, क्योंकि यह सम्मान पाकर मुझे कितनी खुशी हुई शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता...लगा ब्लॉगिंग में करीब एक साल जो मेहनत की वो सार्थक हो गई......रवींद्र जी, आपको याद होगा, मेरी ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में ही आपने एक परिचर्चा में मुझे श्रेष्ठ नवोदित ब्लॉगर कह कर अनुगृहीत किया था...मैंने आपके श्रमसाध्य और स्नेहिल आशीर्वाद को देखते हुए उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया था...आप जैसे विद्वान और निस्वार्थ भाव से ब्लॉगिंग की सेवा करने वाले मनीषी ने मुझे इस योग्य समझा, सोच कर ही मन पुलकित हो उठता है..
प्रस्तुति: रवीन्द्र प्रभात
18 comments:
खुशदीप जी के बारे में जानकर अच्छा लगा .. एक बार फिर से उन्हें बधाई !!
खुशदीप भाई के बारे में और अधिक जानकार अच्छा लगा।
लख लख बधाईयाँ।
KHUSHDEEP जी को बधाई !
खुशदीप भाई को बधाई !
खुशदीप जी के बारे में जानकर अच्छा लगा .. बधाई !
हार्दिक बधाई!
बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
खुशदीप जी को हार्दिक बधाई।
खुशदीप भाई को बधाई !
खुशदीप भाई को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
खुशदीप जी एक संतुलित विचारधारा के व्यक्ति हैं ..इसलिए इनके लेखन में भी स्वच्छ संतुलन मिलता है ..बहुत बहुत बधाई .
खुशदीप जी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
बहुत बधायी,खुशदीप जी बहुत विनम्र ,खुशमिजाज ब्लॉगर हैं और उनकी लेखनी में बड़ा प्रवाह है ...हालांकि मैं टिप्पणी गाहे बगाहे ही करता हूँ किन्तु उनकी पोस्ट पर एक नजर डाल जरूर लेता हूँ -उन्होंने मक्खन का चरित्र सृजित किया है जो कभी कभी जोर से औचक गुदगुदा देता है ...उनका हास्य बोध उत्कृष्ट है -
मगर वे सम्मान से चिढ़ते हैं ,न जाने कैसे मान गए इस बार : और खुशदीप सम्मान को खुद ग्रहण कर लिए :) इस ब्लॉगर के लिए बहुत शुभकामनायें !
मुझे खुशी मिली इतनी कि मन में न समाए,
पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही न जाए...
आप सब के प्यार को समर्पित है ये गीत...
जय हिंद...
@डॉ अरविंद मिश्रा जी,
मुझ नाचीज़ को इतना मान देने के लिए आभार...डॉक्टर साहब, शायद आपने नोट किया हो, इस सम्मान में श्रेष्ठ शब्द कहीं नहीं जुड़ा है...सिर्फ चर्चित उदीयमान ब्लॉगर है...जिस कथित चिढ़ की आप बात कर रहे हैं, वो मुझे श्रेष्ठ शब्द से ही रही है...ये मेरी अपनी राय है कि इंसानों के बीच कोई किसी से श्रेष्ठ हो ही नहीं सकता...और मैं क्यों तैयार हुआ, इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है...जिसे मैं और रवींद्र भाई ही जानते हैं...लेकिन अब मुझे लगता है कि वो कहानी साफ़ कर ही देनी चाहिए...शायद आज इसी पर पोस्ट लिखूं...
जय हिंद...
खुशदीप जी इस सम्मान के योग्य हैं भी ...
मगर अब वे सिर्फ उदीयमान नहीं रहे हैं ...स्थापित हो चुके हैं ...
बहुत बधाई ...!
खुशदीप जी के बारे में और अधिक जानकार बहुत अच्छा लगा...सर्वश्रेष्ठ उदीयमान ब्लॉगर का खिताब जीतने पर उनको बहुत-बहुत बधाई
खुशदीप सदा खुश रहे यही कामना है। आभार।
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