मुरैना , ग्वालियर और मध्य प्रदेश के विभिन्न गावों और शहरों में बचपन और विद्यार्थी जीवन के अनमोल वर्ष गुजारने के बाद श्री राम त्यागी दिल्ली , सिंगापुर जैसे अन्य महानगरो और देशो से गुजरते हुए आजकल अमेरिका के शिकागो के पास के एक कस्बे में कुछ सालो से डेरा डाले हुए हैं . ये नौकरी को मेहनत और लगन से कर रहे हैं पर इनका मन कहता है कि जल्दी से छोड़ो कुछ और शार्थक करो, इनका स्वच्छ राजनीतिक जीवन जीने का सपना है और लोगो के बीच रहकर उनके लिए काम करने की तमन्ना है, लिखने और पढ़ने में (विशेषकर भारत के बारे में) बहुत लगाव है, इसलिए ब्लॉग की दुनिया में ये आपके साथ हैं .ये संयुक्त परिवार से आते हैं इसीलिए हिन्दी, हिंदुस्तान और भारतीय संस्कृति से इन्हें वेहद लगाव है. ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रस्तुत पर्यावरण से संवंधित इनके सारगर्भित आलेख-प्रकृति से खिलवाड़ को आधार मानते हुए किन्तु ब्लोगिंग में इनके समर्पण को देखते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष का श्रेष्ठ नवोदित ब्लोगर का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ! "जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत प्रस्तुत है आज उनसे पूछे गए कुछ व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर- |
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(१) पूरा नाम :
राम कुमार त्यागी
(२) जन्म स्थान :
ग्राम दीपैरा, जिला – मुरैना, म. प्र. भारत
(३) वर्तमान पता :
शिकागो, अमेरिका
ई मेल का पता :
ramkumartyagi@gmail.com
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग :
मेरी आवाज : http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/
कविता संग्रह : http://kavitacollection.blogspot.com/
(५) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉग पर गतिविधियों का विवरण :
जो भी लेख पसंद आया वहाँ पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर देता हूँ टिपण्णी के रूप में !!
(६) अपने ब्लॉग के अतिरिक्त आपको कौन कौन सा ब्लॉग पसंद है ?
ये कैसा प्रश्न, मेरे लिए तो हर ब्लॉग मेरा वैचारिक भोजन है जहाँ हर जगह मुझे कुछ न कुछ जरूर मिलता है। वैसे तो हर ब्लॉग अपने आप में कुछ अनूठा सहेज कर रखता है , पर कुछ ब्लॉग मैं विशेष रूप से पढ़ता रहता हूँ -
श्री प्रवीण पाण्डेय, समीर लाल, अनुराग शर्मा, दिनेश राय द्विवेदी, अनूप शुक्ल, स्तुति, ज्ञान दत्त पाण्डेय, अदा, अजय झा, देव झा, अभिषेक, इंदु गोस्वामी, अजित गुप्ता, संगीता पुरी, ललित शर्मा, रूपचंद्र शाश्त्री, राज भाटिया, डॉ टी एस दराल, आराधना, शिवम मिश्रा, राजकुमार सोनी, दीपक मशाल, हिमांशु मोहन, काजल कुमार, शिखा वार्ष्णेय, डॉ अरविंद मिश्र जी - इन सबके ब्लॉग मुझे खास पसंद हैं…जरूरी नहीं सबके नाम मैं याद रख पाया हूँ और भी कई लोग हैं जो बहुत बेहतर लिखते हैं। श्री बी एस पाबला, अविनाश वाचस्पति, ताऊ, और रविन्द्र जी जैसे लोग भी हिंदी के विकास में ब्लॉग और प्रतियोगिताओं, सम्मेलनों के जरिये अतुल्य योगदान कर रहे हैं।
(७) ब्लॉग पर कौन सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?-
कुछ हट कर लिखने वाले मौलिकता लिए ब्लॉग, कुछ विशिष्ट विषयों पर लिखने वाले और समाज के ऊपर लिखने वाले ब्लॉग….हास्य और कार्टून वाले ब्लॉग भी बहुत पसंद हैं ... कभी कभी यात्रा विवरण वाले ब्लॉग भी पढ़ लेता हूँ !!
(८) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?
…शायद २००८ जनवरी से …पर बीच बीच में अज्ञातवास में जाता रहता हूँ :)
(९) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?-
अपने आप को हिंदी ब्लॉग्गिंग के इस स्वर्णिम पल का हिस्सा पाकर हर्ष और जिम्मेदारी दोनों का अहसास हो रहा हैं और उत्साहवर्धन भी आगे बढ़ते रहने का !! एक अपनी कविता जरूर यहाँ लिखूंगा -
मैं ना रुकूँगा
ना ही हारूँगा
बस प्रयास के रास्ते
बढता ही जाऊँगा !!
सपने संजोकर
कर्मठ की कसौटी पर
आशा के दीप जला
बढता ही जाऊँगा !!
नदिया का बहना
सूरज का उगना
सीख लेकर प्रकृति से
बढता ही जाऊँगा !!
(१०) क्या ब्लोगिंग से आपके अन्य आवश्यक कार्यों में अवरोध उत्पन्न नहीं होता ?-
घर के कार्यों में कभी कभी जरूर अवरोध उत्पन्न होता है, पर अगर समय निश्चित करके चले तो सब कुछ ठीक रहता है, और ब्लॉग्गिंग का नशा एक दायरे में हो तो ठीक हैं क्यूंकि ‘अति सर्वत्र वर्जते’ - पर इतने अच्छे अच्छे ब्लॉग हैं हिंदी में कि मुझे संलग्न करके ही रखते हैं !!
(११)ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ?
उत्सव तो मंगलकारी ही होता है और हम भारतीय हर उत्सव में सिर्फ आनंद ही आनंद लेते हैं बस !! तन्मय होकर मैं भी इसके हर पल से रूबरू हो रहा हूँ !!
(१२) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?
मेरे हिसाब से ये एक उत्साहवर्धन है लिखने वालों के लिए….इंद्रधनुषी छठा बिखेर रहा है ये उत्सव हर क्षेत्र से मोती चुन चुन कर !!
(१३) ब्लोगोत्सव में वह कौन सी कमी थी जो आपको हमेशा खटकती रही ?
क्या फिर भी आप मुझे चुनेंगे :-) अभी तक तो सब बढ़िया ही लगा !!
(१४) ब्लोगोत्सव में शामिल किन रचनाकारों ने आपको ज्यादा आकर्षित किया ?
रत्नों में से भी विशिष्ट चुनने के झमेले में मत डालिए - सब एक से एक थे !!
सबकी अपनी अपनी विशेषताएं हैं इसलिए हर कोई अपने अपने क्षेत्र में बिगुल बजा रहा हैं !!
(१५) किन रचनाकारों की रचनाएँ आपको पसंद नहीं आई ?
ये कैसा प्रश्न ??? - सब विशिष्ट हैं - वैसे भी भारत में जज पर उंगली नहीं उठाई जाती :-)
(१६) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
जरूर !! और भी लोगों को शामिल करिये आयोजन समिति में, मैं भी तत्पर हूँ अगर कुछ कर सकूं योगदान तो !!
(१७) आपको क्या ऐसा महसूस होता है कि हिंदी ब्लोगिंग में खेमेवाजी बढ़ रही है ?
बर्तन तो हर जगह खटकते हैं, वैसे भी धूप के बिना छाँव का क्या मजा ?? बहुत बढ़िया लिखने वाले लोग भी हैं , बस पारखी नजर रखो और मोती चुनते जाओ - हम तो कबीर जी के दोहे को गुनगुनाते रहते हैं -
निंदक नियरे राखिये - आँगन कुटी छबाय !!
(१८) यदि हाँ तो क्या यह हिंदी चिट्ठाकारी के लिए अमंगलकारी नहीं है ?...
होते रहने दो…अमंगल के डर से ही मंगल रहेगा …ज्यादा शांति तो तूफान के पहले हुआ करती है, इसलिए थोड़े बहुत चटखारे चलते रहने चाहिए!!
…वैसे मैंने भी एक हलुआ पार्टी बना रखी है जो इस तरह के राजनीतिक दांव पेंच खेलने वाले लोगों का समूह है :-)
(१९) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
रहता देश से बाहर हूँ पर सोचता अपने देश के बारे में ही हूँ, सीधा साधा कर्मठ भारतीय !! हिंदी और हिन्दुस्तान से बेहद प्यार !! गाँव के खेतों से यहाँ तक का सफर बस चल रहा है नदी के प्रवाह की तरह…बाकी ब्लॉग मेरा दर्पण है तो वहाँ देख लो !!
(२०) चिट्ठाकारी से संवंधित क्या कोई ऐसा संस्मरण है जिसे आप इस अवसर पर सार्वजनिक करना चाहते हैं ?
अभी उस तलाश में हूँ - जो छुपा सकूं कभी बताने के लिए !!
(२१) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ : (यदि आप चाहें तो यहाँ ऑडियो/विडिओ का प्रयोग भी कर सकते हैं )
मुझे अपनी सारी रचनाएँ पसंद हैं क्यूंकि वो सीधे दिल से निकलती हैं - बिना तोड़े मरोड़े - उसी वक्त जो दिल ने बोला लिखा दिया - पर जीवन को आगे ले जाती एक कविता प्रस्तुत करना चाहूँगा -
रुके सन्घर्ष कभी ना, हो यही कहानी मेरे जीवन की
बहते जाऊं नदिया की तरह, यही अभिलाशा मेरे मन की
पर्वत की तरह हो द्रढ निश्चय, मिटा दे खाई कथनी करनी की
रुकूं ना में आगे बढना, देख पल भर के गम या खुसी
बढता ही जाऊं में हर पल, खोजता मन्जिल नयी नयी
जब तक ना छुयेगा पानी को, क्या तू तैरना सीखेगा
फिर कैसे केवल बातो से , जीवन की नाव चलायेगा
मुस्किल रोकेंगी सफर, मिलेंगे उपहारों के फूल
कदम राही के रुके नहीं, प्रक्रति की सीख यही मत भूल
बटोही सोने से पहले, सोच ले मन्जिल कितनी दूर
समय को खोने से पहले, याद रख नही आये ये लौट
रुके सन्घर्ष कभी ना ....-
बहुत बहुत धन्यवाद राम त्यागी जी .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे इस सम्मान के लिए चुना, यह मेरे लिए गौरव की बात है…
12 comments:
सुन्दर! ऐसे प्रयास नए लोगों के लिए और साहस देंगे. भविष्य में भी ऐसा प्रयास जारी रहेगा.
राम त्यागी के बारे में जानकर अच्छा लगा, बधाईयाँ !
बहुत बहुत बधाई...
बधाईयाँ !
राम त्यागी जी को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
राम त्यागी को पढता रहा हूँ, उन्हें हार्दिक बधाई!
राम त्यागी जी को बधाई !!
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत बहुत बधाई...
priy bhaai Ram Tyagee ko bhavishy kee unkee yojanaaon ke liye shubhkamanayen
बधाईयां !!
राम त्यागी के बारे में जानकर अच्छा लगा, सब को स्वतन्त्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें
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