पटना स्थित डेल्ही पब्लिक स्कूल की हिंदी की प्राध्यापिका और प्रखर लेखिका नीलम प्रभा को उनके प्रकाशित चिंतन: इमरोज मुबारक हो को वर्ष का श्रेष्ठ चिंतन का अलंकरण देते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है ! " जानिये अपने सितारों को" के अंतर्गत आज प्रस्तुत है नीलम जी का व्यक्तिगत परिचय और बिभिन्न मुद्दों पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर- |
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नीलम प्रभा
(२) पिता/ स्व रामचंद्र प्रसाद माता का नाम/ श्रीमती सरस्वती प्रसाद
जन्म स्थान : बक्सर
(३) वर्तमान पता : पटना
ई मेल का पता :<neeprabha@gmail.com>,
(४) आपके प्रमुख व्यक्तिगत ब्लॉग : http://banjaaraa.blogspot.com/
(५) ब्लॉग पर कौन-सा विषय आपको ज्यादा आकर्षित करता है?-
रचनात्मक
(६) आपने ब्लॉग कब लिखना शुरू किया ?-
२००८ से
(७) यह खिताब पाकर आपको कैसा महसूस हो रहा है ?
बहुत ख़ुशी हो रही है
(८) ब्लोगोत्सव जैसे सार्वजनिक उत्सव में शामिल होकर आपको कैसा लगा ? -
बहुत ख़ुशी हुई
(९) आपकी नज़रों में ब्लोगोत्सव की क्या विशेषताएं रही ?-
सागर से मोती निकालने का अदभुत प्रयास
(१०) क्या इस प्रकार का आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए ?
जी हाँ, ऐसे साहित्यिक आयोजन प्रतिवर्ष होने चाहिए.
(११) आप कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं :
व्यक्तिगत जीवन का आदर्श मेरे पापा रहे , जीवन को मैंने हमेशा चुनौती की तरह जीया है
(१२) अपनी कोई पसंदीदा रचना की कुछ पंक्तियाँ सुनाएँ :
(मेरी द्वारा ज़िन्दगी के विविध रूप की एक झलक )
मेरे कई हैं रूप मेरे कई हैं नाम
सब मुझको जानते सब मुझसे ही अनजान
पलटूं नकाब कितने सूरत दिखाऊं कितनी
मैं नभ सी हूँ विशाल मैं मिट्टी के कण जितनी
मैं राधा की पीड़ा मैं मीरा का हूँ गीत
मैं ऊधो का सन्देश मैं श्याम का संगीत
मैं संध्या शरद की बसंत की छटा
हेमंत की मैं भोर बरसात की घटा
कवि की प्रेरणा हूँ मैं शायर का हूँ ख्याल
मैं हीर की पालक मैं उर्वशी के बाल
मैं पथ हूँ मैं पथिक मैं सफ़र मैं मंजिल
मैं किश्ती मैं सागर मैं भंवर मैं साहिल
मैं सपनों की आँधी जज़्बात का तूफां
मैं बस्ता हुआ घर मैं उजड़ा आशियाँ
मैं पल मैं पूरा दिन मैं वर्ष मैं सदी
मैं ठहरा हुआ जल बहती हुई नदी .....
बहुत बहुत धन्यवाद नीलम जी, आपने अपना बहुमूल्य समय दिया ब्लोगोत्सव में .....इस अवसर पर ऋग्वेद की दो पंक्तियां आपको समर्पित है कि - ‘‘आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणी:। हृदाश्च पुण्डरीकाणि समुद्रस्य गृहा इमें ।।’’अर्थात आपके मार्ग प्रशस्त हों, उस पर पुष्प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम, आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिले। |
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जी धन्यवाद आपका भी, आपने अवसर दिया कुछ कहने का कुछ सुनाने-सुनाने का ...!
प्रस्तुति: रवीन्द्र प्रभात
12 comments:
बहुत बहुत बधाइयां।
http://banjaaraa.blogspot.com/
इस पर तो कोई पोस्ट दिख ही नहीं रहा।
नीलम प्रभा जी के बारे में जानकर अच्छा लगा, बहुत-बहुत बधाईयाँ !
बहुत-बहुत बधाईयाँ !
प्रभात जी,
आपने तो सागर की गहराईयों में उतर कर मोती निकालते जा रहे हैं, बधाई हो आपको भी और नीलम जी कोभी बहुत-बहुत बधाईयाँ !
बहुत बहुत बधाई भई नीलम जी.
NICE
नीलम प्रभा जी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें...
प्रेरक व्यक्तित्व।
बहुत बहुत बधाई भई नीलम जी.
क्या बात है !!
समय हो तो पढ़ें:
शहर आया कवि गाँव की गोद में
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_04.html
बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
बहुत बहुत बधाइयां।
बहुत बहुत बधाइयां।
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